अनुज
पिता शकुनी चौधरी भी लालू पर डालते रहे हैं दबाव
खगड़िया : परबत्ता के विधायक सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार ने राजनीति की राह में कई रोड़े झेले हैं. वे लंबे समय तक उम्र विवाद से भी जूझते रहे, तो सबसे कम उम्र में राज्य सरकार के मंत्री बनने का ख्याति भी प्राप्त किया.
उम्र विवाद के कारण तो एक बार उनका नोमिनेशन भी रद्द किया गया. इनके पिता शकुनी चौधरी राजद सरकार कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. वे मुंगेर जिले के तारापुर विस से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. कई बार उन्होंने भागलपुर लोकसभा से भी चुनाव लड़ा है.
छह माह में छोड़ना पड़ा था पद
सम्राट पहली बार परबत्ता से वर्ष 2000 में 34.69 प्रतिशत मतों से विजयी होकर विधान सभा पहुंचे. इसके पूर्व उन्हें माप तौल मंत्री बनने का अवसर मिला था. हालांकि विवाद हो जाने के कारण छह माह में ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था. सम्राट ने दूसरी बार फरवरी 2005 में चुनाव लड़ा था. इसमें वे अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री आरएन सिंह से हार गये थे.
इसके बाद इसी वर्ष अक्तूबर 2005 में हुए विस चुनाव में उम्र विवाद ने इनका पीछा करना शुरू किया. इस कारण इनका नामांकन भी रद्द हो गया. बाद में इन्होंने अपने भाई राजेश कुमार को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतारा, लेकिन वे हार गये. नवंबर 2010 में हुए चुनाव में जदयू की आयी आंधी में इन्होंने बहुत ही कम मतों से अपने सीट को बचाया. इस चुनाव में इन्हें 60 हजार चार सौ अठाइस मत मिले, जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री आरएन सिंह को 59620 मत प्राप्त हुए.
क्या है इनका जनाधार
सम्राट अपने क्षेत्र के लोकप्रिय नेता हैं. सरल स्वभाव होने के कारण हर वर्ग के लोग इन्हें चाहते हैं. इनका जनाधार इस विस क्षेत्र में यादव, कोयरी, मुसलमान तथा दलित वर्ग का वोट भी इनकी पैठ है.