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अगुवानी बस स्टैंड बदहाल

परेशानी. लाखों कमाई के बावजूद मेंटेनेंस पर खर्च शून्य अगुवानी बस स्टैंड में यात्रियों को परेशनी का सामना करना पड़ता है. यात्रियों की सुविधा के लिए यहां बने शौचालय, चापानल आदि उपयोग के लायक नहीं हैं. बस स्टैंड अतिक्रमण की भी चपेट में है. परबत्ता : प्रखंड के सियादपुर अगुवानी पंचायत अंतर्गत अगुवानी बस स्टैंड […]

परेशानी. लाखों कमाई के बावजूद मेंटेनेंस पर खर्च शून्य

अगुवानी बस स्टैंड में यात्रियों को परेशनी का सामना करना पड़ता है. यात्रियों की सुविधा के लिए यहां बने शौचालय, चापानल आदि उपयोग के लायक नहीं हैं. बस स्टैंड अतिक्रमण की भी चपेट में है.
परबत्ता : प्रखंड के सियादपुर अगुवानी पंचायत अंतर्गत अगुवानी बस स्टैंड की बदहाली व उपेक्षा के कारण यात्रियों को परेशनी का सामना करना पड़ता है. इस बस पड़ाव पर अब वाहन मालिक अपने वाहनों को खड़ा करने के लिए हर दिन झंझट सहने को मजबूर हैं. लाखों रुपये प्रतिवर्ष राजस्व देने वाला यह बस पड़ाव देखरेख के लिए उद्धारक की बाट जोह रहा है.
अतिक्रमित है बस पड़ाव: अगुवानी बस पड़ाव विगत कुछ वर्षों से बुरी तरह से अतिक्रमण का शिकार हो गया है. बस स्टैंड के अधिकांश हिस्से पर अवैध रूप से झोपड़ी आदि बनाकर कब्जा कर लिया गया है. इसमें छोटे-मोटे व्यवसाय किये जाते हैं. इसके अलावा भविष्य में अगुवानी घाट में गंगा नदी पर पुल निर्माण पूर्ण हो जाने की स्थिति में इस बस पड़ाव के जमीन पर स्थायी रूप से दखल करने की मंशा से भी कुछ लोगों ने अभी से ही झोपड़ी आदि बनाकर छोड़ दी है.
स्थायी रूप से रहता है जल जमाव: अगुवानी बस स्टैंड के आधे हिस्से पर स्थायी रूप से जलजमाव रहता है. इस जलजमाव को दूर करने के लिए न तो प्रशासन की तरफ से कोई प्रयास किया जाता है, न ही अगुवानी बस स्टैंड विकास समिति की ओर से कोई पहल होती है. लिहाजा यात्रियों के लिए परेशानियों से जूझ कर यात्रा करवाने की मजबूरी बनी हुई है.
जमा होती रही राशि, नहीं हुआ विकास: अगुवानी बस स्टैंड विकास समिति में राशि जमा भी होती रही और निकलती भी रही, लेकिन इस राशि को बस स्टैंड के विकास या मेंटेनेंस मद में खर्च होते किसी ने नहीं देखा. शुरुआती दिनों के बाद इस राशि का दुरुपयोग होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. सूचना का अधिकार के तहत गोगरी के अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा उपलब्ध कराये गये पत्रांक 83 दिनांक 09 जनवरी 14 के अनुसार वर्ष 2011 में इस खाते में लगभग 85 हजार रुपये शेष थे. इस खाते के हिसाब में कई गड़बड़ियां स्पष्ट दिखायी देती है.
बसों को ही किया जा रहा बेदखल : विगत कुछ वर्षों से स्थिति यह है कि बस पड़ाव से बसों को ही बेदखल किया जा रहा है. वहीं टूटे व बंद चापानल, वर्षों से अनुपयोगी एक दर्जन शौचालय, जर्जर धर्मशाला आदि के विकास के लिए बनाये गये समिति के खाते के लूट खसोट की गवाही देते हैं.
अभी भी होती है वसूली: अगुवानी बस स्टैंड के शुल्क की वसूली अभी भी हो रही है, लेकिन विगत एक दशक से यह वसूली परबत्ता प्रखंड कार्यालय के ठीक सामने होने लगी है. दरअसल भागलपुर में विक्रमशिला सेतु के चालू होने के बाद अधिकांश सवारी गाड़ियां परबत्ता से ही चलना शुरू हो गयी थी. प्रशासन ने वसूली कम होने के कारण यह वसूली परबत्ता में ही करना शुरू कर दिया. इससे वसूली तो बढ़ गयी,लेकिन बस पड़ाव के स्थिति में कोई अंतर नहीं आया. सियादतपुर अगुवानी पंचायत के मुखिया सिंटु राय ने बीडीओ डॉ कुंदन को आवेदन देकर अतिक्रमण हटाने, प्रकाश की व्यवस्था करने, साफ सफाई, शौचालय, चापानल की व्यवस्था करने का आग्रह किया है.
1990 में बनी थी बस स्टैंड विकास समिति
अगुवानी में स्थित बस पड़ाव को बड़ा रूप देने की कवायद 1988 में तब की गयी, जब रविनंदन सहाय यहां के प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे. इसके विकास के लिए अगुवानी बस स्टैंड विकास समिति का गठन किया गया. इस समिति में खगड़िया के जिलाधिकारी को पदेन अध्यक्ष, गोगरी के एसडीओ को पदेन सचिव तथा परबत्ता के बीडीओ को कोषाध्यक्ष बनाया गया. इस समिति के द्वारा प्रतिवर्ष बस स्टैंड का डाक कराया जाने लगा तथा डाक की राशि समिति के खाते में जमा होने लगी, लेकिन बाद में बस स्टैंड की बदहाल होता गया, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

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