19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

और जब बद्दुआ लेने के लिए फेंकते हैं दूसरों के घरों पर ढेला

गोगरी : मिथिलांचल में भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को तीज और चौठचंद्र पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में चंद्रमा की पूजा की जाती है. काफी नियम-निष्ठा से मनाये जाने वाले इस पर्व में व्रतियां दिनभर उपवास रखती हैं और शाम में चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है. कई जगहों पर पूजा की संध्या […]

गोगरी : मिथिलांचल में भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को तीज और चौठचंद्र पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में चंद्रमा की पूजा की जाती है. काफी नियम-निष्ठा से मनाये जाने वाले इस पर्व में व्रतियां दिनभर उपवास रखती हैं और शाम में चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है. कई जगहों पर पूजा की संध्या दूसरों के घरों पर ढेला फेंकने की परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन बद्दुआ भी फलदायी होती है और इसका शुभ फल मिलता है. धीरे-धीरे यह चलन कम जरूर हुआ है लेकिन अब भी कई जगहों पर ढेले फेंके जाते हैं.

भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानी रविवार को आज होने वाले चौठचंद्र पर्व में दही और फलों का विशेष महत्व है. इसके लिए दही जमाने का काम दो-चार दिन पहले से शुरू हो जाता है. मिट्टी के बर्तन में दही जमाया जाता है. लगभग हर घरों में पर्व होने के कारण दूध की किल्लत हो जाती है. पर्व को लेकर दूध और फलों के भाव भी तेज हो जाते हैं. पर्व के दिन भर व्रतियां दिन भर उपवास रहती हैं. गोबर से लीपे आंगन में चावल के आटे से तैयार किए गये पिठार से चौका (अल्पना) लगाया जाता है.
इस चौके पर डालियों में फल, नैवेद्य आदि डाले जाते हैं और घर के जितने सदस्य होते हैं उतने केले के पत्ते पर प्रसाद लगाया जाता है. इसके बाद पूजा शुरू होती है.चंद्रमा को बिना देखे अ‌र्घ्यदान किया जाता है और लोग हाथ में फल लेकर चंद्रमा का दर्शन करते हैं.पूजा उपरांत घर के सभी सदस्य चौके पर पत्तल में लगाये गये प्रसाद एक साथ ग्रहण करते हैं. इस पत्तल को उसी स्थान पर मिट्टी के नीचे दबाया जाता है. बच्चों को चांद निकलने का इंतजार रहता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें