गोगरी : अभी शहीद दिवाकर के चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई होगी कि मुआवजे की रकम को लेकर परिजनों में जंग छिड़ गयी है. सरकार द्वारा घोषित रकम पर शहीद के घर वाले व ससुराल वाले आमने-सामने आ गये हैं. शनिवार को मुआवजे की रकम को लेकर दावेदारों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला थाना तक पहुंच गया.
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मुआवजे को लेकर शहीद के परिजन आमने-सामने
गोगरी : अभी शहीद दिवाकर के चिता की आग भी ठंडी नहीं हुई होगी कि मुआवजे की रकम को लेकर परिजनों में जंग छिड़ गयी है. सरकार द्वारा घोषित रकम पर शहीद के घर वाले व ससुराल वाले आमने-सामने आ गये हैं. शनिवार को मुआवजे की रकम को लेकर दावेदारों के बीच विवाद इतना बढ़ […]
एएसपी ने कहा दोनों को मिलेगा लाभ : एएसपी अभियान विमलेश चन्द्र झा ने दोनों पक्षों को महेशखूंट थाना में बुलाकर समझाया बुझाया और दोनों को लाभ दिये जाने का आश्वासन दिया. इस दौरान सैकड़ों लोग मौजूद थे. इस संबंध में महेशखूंट थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि मुआवजे की रकम को लेकर शहीद के ससुराल वाले व परिजन के बीच विवाद बढ़ने के कारण दोनों पक्ष थाना आये हुए थे. जहां समझा-बुझा कर भेज दिया गया है.
27 जून को हुई थी शहीद दिवाकर की शादी
जानकारी के अनुसार शहीद दिवाकर कुमार की शादी पिछले महीने 27 जून को महेशखूंट थाना क्षेत्र के गौछारी मानसी टोल गोपालपुर के राजेश्वर प्रसाद चौरसिया की पुत्री क्षमाप्रिय के साथ हुई थी. शादी के बाद 16 जुलाई को शनिवार के दिन दिवाकर घर से अपने ड्यूटी पर गये और 18 जुलाई को सोमवार के दिन नक्सली हमले में शहीद हो गये.
सर्विस बुक में शहीद की पत्नी का नाम अंकित नहीं
अभी शहीद दिवाकर की पत्नी क्षमाप्रिया का नाम सर्विस बुक पर भी अंकित नहीं हो पाया है. बता दें कि औरंगाबाद में हुई बीते सोमवार को नक्सली हमले में गोगरी अनुमंडल के झंझरा निवासी कोबरा बटालियन के जवान दिवाकर कुमार शहीद हो गये थे. जिसके बाद सरकार ने शहीद के परिजन को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की सरकार ने घोषणा की है. मुआवजे की रकम को लेकर शहीद के परिजनों के बीच जंग छिड़ गयी है. हालांकि कानून के जानकार के मुताबिक सरकार की और से मिलने वाले आर्थिक लाभ का हक पहले शहीद दिवाकर की पत्नी क्षमाप्रिया का ही बनता है. उसके बाद माता पिता और अन्य परिजनों का, लेकिन शहीद दिवाकर के परिजनों के ओर से सरकारी लाभ और मिलने वाले पैसे में नॉमनी के आधार पर पत्नी की जगह पिता का नाम अंकित करवा दिया है. जिसको लेकर विवाद बढ़ गया है.
डीसीओ पर हो सकती है कार्रवाई
अनुशंसा. भ्रष्टाचार के मामले को दबाने का है आरोप
जिला सहकारिता पदाधिकारी सह एमडी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है. डीसीओ सह कॉपरेटिव बैंक प्रबंधक निदेशक रामाश्रय राम के विरुद्ध सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार से संबंधित जांच कार्य में सहयोग नहीं करने के आरोप में कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है.
खगड़िया : सहयोग समिति भागलपुर के संयुक्त निबंधक ललन शर्मा ने निबंधक पटना को पत्र लिखकर डीसीओ सह एमडी के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है. जानकारी के अनुसार संयुक्त निबंधक ने डीसीओ के कार्य प्रणाली को बेहद असंतोषप्रद बताया है. निबंधक को भेजे रिपोर्ट में इन्होंने डीसीओ पर कई आरोप लगाये हैं.
क्या है मामला : संयुक्त निबंधक ने राज्य स्तर पर भेजी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि डीसीओ भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जांच में सहयोग नहीं करते हैं. बिहार विधान सभा में उठाये गये सवाल पर को-ऑपरेटिव बैंक की चौथम शाखा की जांच पूरी नहीं हो पायी है. संयुक्त निबंधक ने कहा है कि वे स्वयं इस मामले की जांच करने तीन बार उक्त शाखा जा चुके हैं, लेकिन उन्हें डीसीओ सह एमडी के द्वारा अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया है.
अलौली में भी नहीं हुई जांच : संयुक्त निबंधक ने डीसीओ सह एमडी पर अलौली शाखा की भी जांच को प्रभावित करने की बाते अपनी रिपोर्ट में कही है. केसीसी वितरण में अनियमिता की शिकायत मिलने के बाद अलौली शाखा की जांच करने के लिए वरीय सहकारिता प्रसार पदाधिकारी कुमारी क्रांति को भागलपुर सहयोग समिति कार्यालय के द्वारा भेजा गया था, लेकिन एमडी सह डीसीओ के असहयोगात्मक रवैये के कारण इस मामले की भी जांच पूरी नहीं हो पायी. निबंधक को भेजे रिपोर्ट में संयुक्त निबंधक ने इस बात की चर्चा करते हुए कहा है कि एमडी ने जांच पदाधिकारी के विरुद्ध अभद्र व्यवहार भी किया. आइसीडीपी के कार्यों की समीक्षा करने खगड़िया आये संयुक्त निदेशक को बैरंग लौटना पड़ा.
पूर्व में भी भेजी गयी थी रिपोर्ट
संयुक्त निबंधक भागलपुर के द्वारा इसके पूर्व भी डीसीओ के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा राज्य स्तर पर भी की गयी थी. जांच को प्रभावित करने के आरोप में 15 फरवरी 2016 को ही डीसीओ के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. संयुक्त निबंधक ने हाल के दिनों में दूसरी बार राज्य स्तर पर रिपोर्ट भेजी है. जिसमें यह कहा है कि उक्त पदाधिकारी के विरुद्ध अपेक्षित कार्रवाई नहीं होने के कारण इनमें लगातार अनुशासनहीता व वरीय पदाधिकारी के आदेश को दरकिनार करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है.
कहते हैं डीसीओ
डीसीओ ने कहा कि उनपर लगे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर उनके विरुद्ध रिपोर्ट की गयी है. इन्होंने संयुक्त निबंधक की जांच रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाये हैं.
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