खुलासा. आरा में 11 लाख रुपये घोटाला करने वाली संस्था को खगड़िया में दिया काम
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जालसाजों के जिम्मे आउटसोर्सिंग सेवा
खुलासा. आरा में 11 लाख रुपये घोटाला करने वाली संस्था को खगड़िया में दिया काम काले कारनामों को लेकर स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर चर्चा में है. इस बार सदर अस्पताल सहित सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा के लिए संस्था के चयन में धांधली उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग कटघरे में है. गलत विपत्र […]
काले कारनामों को लेकर स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर चर्चा में है. इस बार सदर अस्पताल सहित सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा के लिए संस्था के चयन में धांधली उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग कटघरे में है. गलत विपत्र के आधार पर करीब 11 लाख की सरकारी राशि गबन करने वाली जालसाज संस्था ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान को खगड़िया के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा देने के लिए चयन किये जाने के बाद बवाल मचा हुआ है. बताया जाता है कि इस घोटालेबाज संस्था को काम दिलवाने में पिछले दरवाजे से स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों ने दलाल की भूमिका निभायी है.
खगड़िया : जालसाज संस्था को खगड़िया सदर अस्पताल सहित विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा देने के लिए अधिकृत किये जाने का खुलासा हुआ है. जिस संस्था को काली सूची में डालने की अनुशंसा की गयी है उसी को खगड़िया के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग का काम दे दिया गया है. पटना की संस्था ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान को खगड़िया में आउटसोर्सिंग की जिम्मेदारी दिये जाने के खुलासा बाद स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर कटघरे में है
. बताया जाता है कि घोटालेबाज संस्था को आउटसोर्सिंग काम दिये जाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों ने पिछले दरवाजे से महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आरा सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग सेवा देने के दौरान गलत विपत्र के आधार पर सरकारी राशि की हेराफेरी करने वाली यह संस्था क्या खगड़िया के अस्पतालों में गोलमाल नहीं करेगी?
आरा डीएम ने पकड़ा था मामला :
बताया जाता है कि आरा सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान डीएम वीरेन्द्र प्रसाद यादव ने आउटसोर्सिंग सेवा में गड़बड़ी का खुलासा हुआ था. जिसके बाद डीएम ने पूरे मामले की जांच का जिम्मा डीडीसी इनायत खान को सौंपा था. जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुये. जांच रिपोर्ट में आउटसोर्सिंग सेवा देने वाली संस्था ज्ञान भारती के काले कारनामों पर से परदा हटाते हुए कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की गयी.
जांच रिपोर्ट के आधार पर आरा डीएम ने सिविल सर्जन, डीपीएम सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों ने डीएम ने स्पष्टीकरण पूछते हुए उक्त संस्था से हेराफेरी के आधार पर भुगतान की गयी करीब 11 लाख रुपये वसूली के आदेश दिये. साथ ही ज्ञान भारती नामक इस संस्था को काली सूची में डालने की अनुशंसा की गयी है.
आरा सिविल सर्जन के पत्र से हुआ खुलासा : आरा के सिविल सर्जन द्वारा खगड़िया सीएस को भेजे पत्र में ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान की काली करतूत पर से परदा हटाया गया है.
आरा सीएस के पत्र में कहा गया है कि जिलाधिकारी वीरेन्द्र प्रसाद यादव के निर्देशानुसार उप विकास आयुक्त द्वारा सदर अस्पताल आरा में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराये जा रहे कार्यों की जांच की गयी. डीडीसी द्वारा डीएम को सौंपे गये जांच प्रतिवेदन में ज्ञान भारती संस्था द्वारा एकरारनामा की शर्तों का उल्लंघन करने तथा गलत विपत्र समर्पित कर अवैध भुगतान प्राप्त करना आदि प्रतिवेदित किया गया है. जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आरा डीएम ने ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान को काली सूची में डालने की अनुशंसा की है. जो अभी प्रक्रियाधीन है.
जालसाज संस्था ज्ञान भारती को कैसे मिल गया काम
सरकारी अस्पतालों में भरती मरीजों की निवाले सहित आउटसोर्सिंग सेवा देने के लिये जालसाज संस्था ज्ञान भारती को कैसे काम मिल गया? आउटसोर्सिंग सेवा की निविदा के वक्त स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संस्था के काले कारनामों की जांच करवाना क्यों नहीं मुनासिब समझा? आरा सदर अस्पताल में काम करने के दौरान गलत विपत्र के आधार पर सरकारी राशि की गोलमाल करने वाली इस संस्था को काम देना कहां तक उचित है? क्या काली सूची में डालने के लिये अनुशंसा किये जाने के बाद भी किसी संस्था को आउटसोर्सिंग जैसी महत्वपूर्ण सेवा का काम दिया जा सकता है?
जब आरा सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग सेवा छीने जाने के बाद हुई निविदा में ज्ञान भारती नाम के संस्था को फिर से काम नहीं दिया गया तो खगड़िया के सरकारी अस्पतालों में इसे काम कैसे दिया मिल गया? इस जालसाज संस्था के काले कारनामों को परदे के पीछे रखने के लिये पिछले दरवाजे से कहीं पैसों का खेल तो नहीं हुआ? ऐसे कई सवाल हैं जो स्वास्थ्य विभाग के क्रियाकलाप की पोल खोलने के लिये काफी है.
आउटसोर्सिंग सेवा की निविदा फाइनल करने से पहले ज्ञान भारती संस्था की कारगुजारी पर स्वास्थ्य विभाग ने डाला परदा
डीएम के निर्देश पर आरा डीडीसी की जांच में जेनरेटर मद में फर्जी विपत्र के आधार पर 11 लाख रुपये गोलमाल धराया
जांच रिपोर्ट के आधार पर आरा डीएम ने ज्ञान भारती संस्था को काली सूची में डालने के लिये भेजा पत्र, कार्रवाई शुरू
जालसाज संस्था को खगड़िया सदर अस्पताल सहित विभिन्न अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा देने का मामला तूल पकड़ा
पूरे प्रकरण में डीएम ने सिविल सर्जन से मांगा जवाब, आखिर जालसाज संस्था को कैसे मिला आउटसोर्सिंग का काम
आरा सीएस ने खगड़िया सिविल सर्जन को भेजे पत्र में ज्ञान भारती नामक संस्था द्वारा की गयी गड़बड़ी पर से हटाया परदा
पूर्व से जालसाजी में आरोपित संस्था को खगड़िया के अस्पतालों में काम देने से सिविल सर्जन सहित स्वास्थ्य विभाग कटघरे में
ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान नामक संस्था द्वारा आरा सदर अस्पताल में किये गये कारनामे सामने आने के बाद सिविल सर्जन से पूरे मामले में जवाब मांगा गया है
कि आखिर गलत विपत्र के आधार पर सरकारी राशि का गोलमाल करने के आरोप साबित होने पर आरा डीएम द्वारा काली सूची में डाले जाने की अनुशंसा के बाद भी इस संस्था को खगड़िया के विभिन्न अस्पतालों में आउटसोर्सिंग का काम कैसे मिल गया?
जय सिंह, डीएम, खगड़िया.
आउटसोर्सिंग सेवा देने के दौरान गलत विपत्र के आधार पर करीब 11 लाख रुपये के गोलमाल के खुलासा बाद आरा सिविल सर्जन, डीपीएम आदि स्पष्टीकरण तलब किया गया है. साथ ही सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग सेवा देने वाली संस्था ज्ञान भारती शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान से गोलमाल की गयी रकम वसूली सहित इसे काली सूची में डालने की अनुशंसा की गयी है.
वीरेन्द्र प्रसाद यादव, डीएम, आरा
जो संस्था आरा में जालसाजी कर लाखों की रकम की हेराफेरी कर सकता है उसे खगड़िया के सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग सेवा देने का काम दिया जाना कहीं से भी उचित नहीं है. आरा डीडीसी की जांच में यह साबित भी हो गया कि गलत विपत्र देकर संस्था ने लाखों की सरकारी राशि की हेराफेरी की है. काली सूची में डालने के लिये अनुशंसा किये जाने के बाद उसी संस्था को आखिर कैसे कोई सरकारी काम दिया जा सकता है. पूरे मामले में दाल में काला की बू आ रही है. इसकी तुरंत जांच कर कार्रवाई होनी चाहिये कि जालसाज संस्था को काम कैसे मिल गया?
सुभाष चन्द्र जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता.
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