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कार्रवाई. बिना बच्चों के ही चल रहा था स्कूल, निरीक्षण में गायब थे छह शिक्षक

एक के बाद एक अधिकारियों के िनरीक्षण में प्राथमिक विद्यालय बलुआही में एक भी छात्र उपस्थित नहीं पाये गये. विद्यालय में निरीक्षण के दौरान कई गडबड़ियां सामने आई हैं. बिना बच्चों के ही संचालित इस स्कूल की दयनीय हालत के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी हद तक जिम्मेवार हैं. खगड़िया : पहले डीडीसी […]

एक के बाद एक अधिकारियों के िनरीक्षण में प्राथमिक विद्यालय बलुआही में एक भी छात्र उपस्थित नहीं पाये गये. विद्यालय में निरीक्षण के दौरान कई गडबड़ियां सामने आई हैं. बिना बच्चों के ही संचालित इस स्कूल की दयनीय हालत के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी हद तक जिम्मेवार हैं.

खगड़िया : पहले डीडीसी फिर चार दिन एसडीओ व उसके एक दिन बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के निरीक्षण के दौरान प्राथमिक विद्यालय बलुआही में एक भी छात्र मौजूद नहीं पाये. निरीक्षण के दौरान अधिकांश शिक्षक गायब थे. विद्यालय में एमडीएम एक साल से बंद हैं. लेकिन विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक मजे से हर महीने वेतन उठा रहे हैं. ऐसे में पूरी गडबड़ी के लिये शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर अंगुली उठना लाजिमी है. हम बात कर रहे हैं भाहर के बीचों–बीच स्थित प्राथमिक विद्यालय बलुआही की.
प्राथमिक विद्यालय बलुआही के सभी शिक्षकों का वेतन बंद : डीडीसी, एसडीओ के निरीक्षण के दौरान गड़बड़ी उजागर होने के बाद विद्यालय में पदस्थापित सभी आठ शिक्षकों का वेतन पर रोक लगा दिया गया है. साथ ही अगली कार्रवाई के लिये डीएम के निर्देश का इंतजार है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार पासवान ने बताया कि विद्यालय में प्रतिनियोजित सभी शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद होने के बाद मूल विद्यालय में योगदान का आदेश दिया गया है. साथ ही प्राथमिक विद्यालय बलुआही को बापू बाल विद्यालय में मर्ज करने की तैयारी की जा रही है.
नींद में शिक्षा विभाग, मजे में गुरूजी
जिले के सरकारी स्कूलों की सेहत ठीक नहीं हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारी नींद में हैं और गुरूजी की मनमानी जारी हैं. घर बैठे लापरवाह गुरूजी वेतन उठा रहे हैं. इधर, सरकारी स्कूलों का बेडा गर्क हो रहा है. कहीं प्रतिनियोजन के नाम पर खेल चल रहा है तो किसी स्कूल में घर बैठे वेतन निर्गत करने के एवज में अवैध उगाही का गोरखधंधा किया जा रहा है. बीते दिनों एसडीओ के निरीक्षण के दौरान सरकारी स्कूलों की हालत का जो खौफनाम सच सामने आये उसे देख अधिकारी भी भौचक्क हैं.
एसडीओ श्री भौव ने भी माना कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता कहें या मिलीभगत जिसके कारण सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय होती जा रही है. बताया जाता है कि एक प्राथमिक विद्यालय बलुआही नहीं अधिकांश विद्यालयों की हालत बदतर है. कागज पर सब कुछ दनादन हो रहा है लेकिन हकीकत बहुत डरावनी है. लिहाजा मासूम बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा है.

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