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धुएं में उड़ रहा तंबाकू नियंत्रण कानून

उचित जानकारी के अभाव में नशे की जद में युवा पीढ़ी सार्वजनिक स्थल पर नशीले पदार्थ के सेवन पर लोगों को नहीं है कानून की परवाह खगड़िया : जिले में तंबाकू नियंत्रण की बात धुएं में उड़ रही है. तंबाकू-धूम्रपान के शौकीन व इससे संबंधित दुकानदारों पर जिला प्रशासन अभी तक पूर्णत: अंकुश लगाने में […]

उचित जानकारी के अभाव में नशे की जद में युवा पीढ़ी

सार्वजनिक स्थल पर नशीले पदार्थ के सेवन पर लोगों को नहीं है कानून की परवाह
खगड़िया : जिले में तंबाकू नियंत्रण की बात धुएं में उड़ रही है. तंबाकू-धूम्रपान के शौकीन व इससे संबंधित दुकानदारों पर जिला प्रशासन अभी तक पूर्णत: अंकुश लगाने में असफल रही है. हालांकि कभी-कभी जिला प्रशासन द्वारा इसे रोकने का प्रयास किया जाता रहा है. लेकिन जिला प्रशासन के प्रयास से तंबाकू नियंत्रण पर न के बराबर ही प्रभाव पड़ा है. आज भी लोग यत्र-तत्र सिगरेट आदि पदार्थ का सेवन करते रोज देखे जा सकते हैं. यूं कहें कि जिले में तंबाकू नियंत्रण कानून की बात सिर्फ कानून की किताब तक ही सीमित रह गयी है. इसे रोकने के लिए कोटपा अधिनियम को बने एक दशक से अधिक बीत चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद तंबाकू का क्रेज बना हुआ है.
क्या है कोटपा अधिनियम
भारत का तंबाकू नियंत्रण अधिनियम अर्थात कोटपा वर्ष 2003 में अस्तित्व में आया. कोटपा की धारा (चार) के तहत सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंध है. इसके लिए दो सौ रुपये दंड का प्रावधान है. इसी प्रकार धारा (छह) में शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल के सौ गज के ईद-गिर्द सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है. इसके लिए भी दो सौ रुपये तक के दंड का प्रावधान है. इसके अलावा भी कई अन्य धाराओं के तहत जुर्माना का प्रावधान है.

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