शुरूआती ठंड है , रहें संभल कर खगड़िया. गुरुवार को शीतलहर ने लोगों को स्वेटर, कोट, जैकेट, चादर, टोपी, मफलर सहित सभी तरह के गर्म कपड़े निकलवा दिये. कुहासा करीब 11 बजे तक उसी स्थिति में बना रहा. इस समय भी गाड़ी से बाहर निकलने वालों को अपनी बाइक अथवा कार की लाइट जलानी पड़ी. मंद-मंद चल रही हवा ठंड को लगातार बढ़ा रही है. बूढ़े-बुजुर्ग तो अपने-अपने घरों में दुबके रहे. पर, बच्चों को ठिठुरते हुए स्कूल, कॉलेज व कोचिंग के लिए निकलना पड़ा. हालांकि सुबह-सबेरे सैर के लिए निकलने वालों की संख्या पूर्ववत बनी रही. सड़कों पर पहली शीतलहर का मजा लेते भी काफी लोग दिखे. ठंड से रहें संभल कर कहा जाता है कि ठंड की शुरुआत व अंत में लोगों को संभल कर रहना चाहिए. ठंड इन्हीं दोनों समय में अधिकांश लोगों को अपनी चपेट में लेता है. कारण होती है हमारी लापरवाही और आलस्य. इस समय लोग गरम कपड़ों के प्रति थोड़े लापरवाह होते हैं. खासकर कामकाजी लोग व स्कूल जाने वाले बच्चों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. ठंड हवा से बचने का पूरा उपाय कर लेना चाहिए. घरों में कंबल के साथ-साथ रजाई भी निकल चुकी है. गरम कपड़े भी धूप में सुखाये जा चुके हैं. फिर भी घर से निकलते समय इन कपड़ों से परहेज बरतना ठंड लगने का सबसे बड़ा कारण है. कामकाजी लोग भी सुबह 10 या 11 बजे की धूप में निकल तो जाते हैं, लेकिन शाम होते ही ठंड हवा की सिहरन उन्हें सर्द करती है.कहते हैं चिकित्सक चिकित्सक प्रेम कुमार ने बताया कि छोटे बच्चों के लिए भी ऐसे मौसम में खास सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्हें घर में भी स्वेटर सहित पैर में जुराब व सर को टोपी से ढ़ंक कर रख कर शुरूआती ठंड के प्रकोप से बचाया जा सकता है. अचानक बढ़ी ठंड गुरुवार को ठंड की अचानक बढ़ी रफ्तार ने लोगों को अंदर तक हिला दिया. पानी का स्पर्श भी डराने लगा. कई लोगों ने स्नान का तय दैनिक कार्यक्रम कैंसिल कर दिया. वहीं कई जगह बच्चे व बूढ़े अलाव तापते नजर आये. बाजार में सड़कों पर अतिआवश्यक कार्य से निकले लोग ही नजर आये या फिर पढ़ाई करने जा रहे बच्चे व बच्चियों की चहलकदमी ही दिखी. लेकिन वे भी ठंड से ठिठुरते व सिकुड़ते रहे. कुहासे से दुर्घटना की आशंका मौसम में बदलाव होने के कारण कुहासे ने सड़कों का परिचालन प्रभावित कर दिया है. सुबह देर तक गाडियों को लाइट जलाकर चलना पड़ा. वहीं रात को धीमी गति से गाडियों का परिचालन होने लगा है. सुबह व रात में कुहासे के कारण सड़क पर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. ठंड ने पशुओं पर भी डाला प्रभाव अचानक ठंड का प्रकोप बढ़ जाने के कारण आम जनजीवन के साथ-साथ पशुओं पर भी प्रभाव डालने लगा है. ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों द्वारा अपने पशुओं को ठंड से बचाव हेतु कई प्रकार की सुरक्षा करने में लग गये हैं. धान के पुआल का विस्तर बना कर पशुओं को ठंड से बचाने का प्रयास पशुपालकों द्वारा किया जा रहा है. पशुओं को बंद कमरे व मोटे कपड़ों से ढ़ंक कर रखने लगे हैं. अत्यधिक ठंड से गरीब पशुपालकों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
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शुरूआती ठंड है , रहें संभल कर
शुरूआती ठंड है , रहें संभल कर खगड़िया. गुरुवार को शीतलहर ने लोगों को स्वेटर, कोट, जैकेट, चादर, टोपी, मफलर सहित सभी तरह के गर्म कपड़े निकलवा दिये. कुहासा करीब 11 बजे तक उसी स्थिति में बना रहा. इस समय भी गाड़ी से बाहर निकलने वालों को अपनी बाइक अथवा कार की लाइट जलानी पड़ी. […]
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