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प्रति केंद्र 1500 रुपये की अवैध उगाही!

खगड़िया : एक बार फिर बाल विकास परियोजना विभाग सुर्खियों में है. अबकी सीडीपीओ पर प्रत्येक केंद्र से वाउचर पास करवाने के एवज में 1500 रुपये अवैध उगाही के आरोप लगे हैं. पूरा मामला परबत्ता प्रखंड से जुड़ा हुआ है. परबत्ता निवासी मनोरंजन कुमार ने डीएम को आवेदन भेज कर परबत्ता में बाल विकास परियोजना […]

खगड़िया : एक बार फिर बाल विकास परियोजना विभाग सुर्खियों में है. अबकी सीडीपीओ पर प्रत्येक केंद्र से वाउचर पास करवाने के एवज में 1500 रुपये अवैध उगाही के आरोप लगे हैं. पूरा मामला परबत्ता प्रखंड से जुड़ा हुआ है. परबत्ता निवासी मनोरंजन कुमार ने डीएम को आवेदन भेज कर परबत्ता में बाल विकास परियोजना विभाग में चल रहे खेल पर से परदा हटाते हुए गुप्त रूप से जांच करने का आग्रह किया है.

इधर, शिकायत के बाद डीएम साकेत कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए आइसीडीएस विभाग के डीपीओ सियाराम सिंह को पूरे मामले की जांच का निर्देश दिया है. वाउचर पास करने का कमीशन फिक्स बताया जाता है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलने वाली रकम का वाउचर पास करवाने के एवज में कमीशनखोरी जोरों पर है.

इधर, डीएम को की गयी शिकायत में आवेदक ने साफ तौर पर कहा है कि प्रत्येक महीने प्रति आंगनबाड़ी केंद्र से 1500 रुपये कमीशन लेने के बाद ही वाउचर पास किया जाता है.

परबत्ता सीडीपीओ ने अवैध वसूली के काम के लिए दो महिला पर्यवेक्षिकाओं को लगा रखा है. डीएम को भेजे पत्र में कहा गया है कि टीएचआर होने के बाद दोनों एलएस द्वारा सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को कार्यालय बुला कर कमीशन की वसूली की जाती है. जब प्रत्येक सेंटर से वसूली हो जाती है, तब ही सीडीपीओ द्वारा वाउचर की फाइल को हाथ लगाया जाता है.

सेंटर निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति बाल विकास परियोजना विभाग की फाइलों में भले ही अधिकतर केंद्रों पर पर्याप्त बच्चे मौजूद रहते हैं, लेकिन अधिकतर केंद्रों का हाल किसी से छुपा नहीं है.

सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी के लिए अधिकारियों को नियुक्त कर रखा है, लेकिन कागज पर चल रहे खेल से केंद्रों की हालत खस्ता है. सूत्रों की मानें, तो आंगनबाड़ी केंद्रों के निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है. कागज पर निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंप कर कमीशन की आड़ में सरकारी राशि का खेल किया जाता है. सीडीपीओ खगड़िया से प्रखंड कार्यालय आती हैं. इसके कारण कार्यालय का हाल भी बुरा है. अधिकांश समय में कार्यालय सूना पड़ा रहता है.

केवल टीएचआर वितरण के बाद वाउचर पास करवाने के समय में सेविकाओं व कर्मचारियाें की भीड़ दिखती है. मेधा सूची निकलते ही दलाल सक्रिय पत्र में कहा गया है कि सेविका बहाली में बड़े पैमाने पर पैसों का खेल किया जाता है. सीडीपीओ ने इसके लिये एक सेविका पति को लगा रखा है. वह मेधा सूची निकलते ही आवेदिका से संपर्क कर बहाली के नाम पर वसूली करते हैं. इतना ही नहीं बाहरी व्यक्ति दिन भर कार्यालय में बैठ कर सरकारी फाइलों को निबटाते हैं.

यहां तक कि सीडीपीओ के साथ निरीक्षण, क्रय पंजी पर हस्ताक्षर में गोलमाल किया जाता है. ऐसे कई आरोपाें के बीच परबत्ता बाल विकास परियोजना विभाग व अधिकारी फिर चर्चा में हैं.

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