बौरना के मरीजों को झोलाछाप का ही सहारागांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हैप्रतिनिधि, गोगरीक्षेत्र के लोगों को सरकारी चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में तो सरकारी चिकित्सा व्यवस्था का और भी बुरा हाल है. इसका उदाहरण क्षेत्र का बौरना पंचायत है, जहां के लोग आज भी झोलाछाप चिकित्सक के सहारे हैं. यहां उपस्वास्थ्य केंद्र तो है, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण केंद्र की दयनीय स्थिति बनी है. बोरना पंचायत बाढ़ प्रभावित क्षेत्र भी है. बौरना गांव स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र में न तो चिकित्सक पदस्थापित हैं और न ही दवा आदि की समुचित व्यवस्था ही रहती है. हां एएनएम कभी कभी टीकाकरण आदि कार्य के लिए यहां अवश्य नजर आ जाती हैं, जो चिकित्सा के नाम पर सिर्फ प्राथमिक उपचार या सलाह मात्र ही दे पाती हैं. भवन भी काफी पुराना होने के कारण जर्जर हो चुका है. इस उपस्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक के लिए आवास की भी व्यवस्था है. वर्षों पूर्व यहां चिकित्सक भी पदस्थापित होते थे, लेकिन लगभग डेढ़ दशक से यहां कोई चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. इस इलाके के लोगों को इलाज के लिए चार से आठ किमी दूर गोगरी रेफरल अस्पताल या महेशखूंट जाना पड़ता है या ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे रहना पड़ता है. इसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी है. मुखिया धीरेंद्र नारायण सिंह के अनुसार चिकित्सक को लेकर कई बार अधिकारियों से कहा गया पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दी गया. इधर गोगरी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सकाें की कमी है. उक्त केंद्र पर नियमित रूप से दवा आदि की आपूर्ति की जा रही है. केंद्रों पर एएनएम मौजूद रहती हैं.
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बौरना के मरीजों को झोलाछाप का ही सहारा
बौरना के मरीजों को झोलाछाप का ही सहारागांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हैप्रतिनिधि, गोगरीक्षेत्र के लोगों को सरकारी चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में तो सरकारी चिकित्सा व्यवस्था का और भी बुरा हाल है. इसका उदाहरण क्षेत्र का बौरना पंचायत है, जहां के […]
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