मानसी : अपनी मनमोहक छटा के लिए जाना जाने वाला कसरैया धार अब तक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है. इस झील के किनारे एक होटल का निर्माण कराया गया है. पर, उसे भी अब तक चालू नहीं किया जा सका है. यह झील जिले के तीन प्रखंड क्रमश: चौथम, मानसी व गोगरी प्रखंड को छूती है. इस झील की खासियत को जानें तो इस झील में समय के साथ-साथ पानी कम होता है तथा बढ़ता है. इस झील की मछलियां भी स्वादिष्ट होती हैं.
इस झील के विकास के लिए यहां वर्षों पूर्व एक संघर्ष समिति बनी थी. आस-पड़ोस के गांव के लोगों ने इस संघर्ष समिति के बैनर तले इस झील के विकास के लिए काफी संघर्ष किया. लंबे संघर्ष के बाद अगर इस क्षेत्र के लोगों को कुछ हासिल हुआ तो एक होटल, वह भी आज तक चालू नहीं हो पाया. पहले तो इसे पूरी तरह बन कर तैयार होने में कई वर्ष लग गये.
होता विकास, तो मिलता रोजगारपूर्वी ठाठा पंचायत के मुखिया अमोद यादव, कांग्रेस नेता बुद्धन यादव, राजद नेता नंदलाल मंडल, सरपंच भरत कुमार यादव ने बताया कि इस क्षेत्र के विकास के लिए उनके साथ कई गांव के लोगों ने कदम से कदम मिला कर संघर्ष किया था.
इसके पीछे मात्र एक कारण था कि जब इस क्षेत्र का विकास होगा तो यहां के लोगों को घर में ही रोजगार मिल जायेगा. इससे यहां से बाहर जाकर कमाने वाले लोगों को राहत मिलती. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब लोग यही कहते हैं कि इस धरोहर पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. इस झील का भी कांवर झील वाला हाल हो जायेगा.
अब लोग फैलाने लगे हैं गंदगीझील की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्थानीय लोगों ने अपने -अपने शौचालय की टंकी का पाइप इसी झील में खोल दिये है. इससे झील का पानी लगातार गंदा होता जा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस झील का पानी इतना शुद्ध हुआ करता था कि लोग प्यास बुझाने तक के लिए इसी पानी का प्रयोग किया करते थे. यहां तक कि इस झील के पानी में दाल महज एक ही सिटी में बन जाया करती थी,
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. लोगों ने जिलाधिकारी से की मांग स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी से इस क्षेत्र के कायाकल्प के लिए हाथ उठाने की मांग की है. लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र का भी मां कात्यायनी स्थान की तरह कायाकल्प हो सकता है. जरूरत सिर्फ प्रशासन को इस झील को अपने हाथ में लेने की आवश्यकता है. अगर ऐसा होता है तो इस झील को विकसित करने में जिला प्रशासन को किसी के समक्ष हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा. साथ ही इस झील को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित भी किया जा सकेगा.