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कोसी नदी को पार करने में अटक जाती है सांसे

बेलदौर : कोसी नदी को पार करना पहाड़ को पार करने के समान है. जिस दिन से कोसी नदी में नाव चलना शुरू हुआ है. उस दिन से लोग कोसी नदी जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं. नाव पर चढ़ने के बाद लोगों की सांसे अटक जाती है. कई बार तो लोग भगवान […]

बेलदौर : कोसी नदी को पार करना पहाड़ को पार करने के समान है. जिस दिन से कोसी नदी में नाव चलना शुरू हुआ है. उस दिन से लोग कोसी नदी जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं. नाव पर चढ़ने के बाद लोगों की सांसे अटक जाती है. कई बार तो लोग भगवान का भी लेते रहते हैं. हालांकि नाविक द्वारा लोगों को सुरक्षित यात्रा का आश्वासन दिया जाता है.

इसके बावजूद सर्वाधिक प्रभाव जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को होती है. खासकर कोर्ट कचहरी एवं अन्य सरकारी कार्यालयों के काम से गोगरी एवं खगडि़या जाने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. ऐसे लोगों के मुताबिक समय से कार्यालयों के काम काज को निबटाने के लिए एक दिन पहले घर से निकलना पड़ता है.

अब इस काम को निबटाने में पहले जहां लोगों को एक दिन का समय लगता था. वहीं घाट बाट की समस्या उत्पन्न हो जाने के बाद इसे निबटाने के लिए तीन दिन का समय जाया करना पड़ता है. प्रखंड वासियों के साथ ही पूरे कोसी वासियों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है. इससे परेशान लोग इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार बताते है. नाराज लोगों के मुताबिक सरकार एवं जनप्रतिनिधि इन समस्याओं से बेखबर हो लोगों को अपने हाल पर मरने जीने के लिए छोड़ दिया है.

पहले लोगों को यह उम्मीद थी कि सरकार विजयघाट पुल के चालू हो जाने के बाद वहां अनुपयोगी बना पीपा पुल को उठाकर इस जगह पर लगाएगी. लेकिन पुल उद्घाटन के तीन सप्ताह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने से लोगों के इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया. बहरहाल लोगों के मुताबिक जब तक बीपी मंडल पुल का मरम्मत कार्य पूरा नहीं हो जाता है. तब तक इस समस्या का कोई दूसरा समाधान उन्हें नहीं दिखाई पड़ रहा है.

नाव से नदी पार करने में महिलाओं को चढ़ने उतरने में काफी परेशानी हो रही है. इतमादी पंचायत के पूर्व पंचायत समिति सदस्य ललिता देवी के मुताबिक बीपीमंडल पुल के निर्माण में इस प्रख्ंाड के लोगों ने जो कुरबानी दी उसका समुचित लाभ कोसी के लोगों को नसीब नहीं हो पाया. बेलदौर के निवेदिता देवी के मुताबिक उस पार के रिश्तेदारों के यहां जाना मुश्किल सा दिख रहा है. सकरोहर गांव के ललिता देवी कहती है कि अब खगडि़या से एक दिन में लौट पाना दिवास्वप्न सा हो गया है.

फुलवडि़या गांव के रेणु देवी क्षतिग्रस्त पुल को तोड़ने के पूर्व स्टील ब्रीज पाईल पुल अथवा पीपा पुल की व्यवस्था नहीं किए जाने पर सरकार को दोषी ठहराती है. वहीं हनुमाननगर के आरती देवी के मुताबिक घाट बाट की समस्या उत्पन्न हो जाने से मायके ससुराल आने जाने में समय एवं खर्च बढ़ गया है.

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