खगड़िया : किसी भी पिक्चर का अंत बहुत ही सुखद होता है. अगर सब कुछ ठीक न हो, तो समझो पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त. फिल्म ओम शांति ओम का यह डायलॉग विधानसभा क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं पर बड़ा ही सटीक बैठ रहा है.
चुनाव के सारे सीन समाप्त हो चुके हैं. अब शतरंज की बिसात पर सह और मात का खेल बाकी है. शतरंज के चौसर पर कौन सा मोहरा किस प्रत्याशी के कितने काम आया है, यह आठ नवंबर को साफ होगा. पर,
इस बीच अटकलों का दौर जारी है. बोलने वाले अधिक हैं, लेकिन गुप्त मतदान और मतदान का प्रतिशत जो इशारा कर रहा है, उससे प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ी हुई है.
कार्यकर्ता जब अपने नेताओं के समीकरण मिला रहे हैं, तो जीत का मार्ग प्रशस्त नजर आ रहा है. पर, दूसरे के समीकरण को जान कर फिर से प्रत्याशियों के पसीने छूटने लगते हैं.
दिन-रात के जोड़ और घटाव को लेकर कुछ प्रत्याशियों की बेचैनी इतनी बढ़ी हुई है कि उनको चिकित्सक के पास तक जाना पड़ रहा है.क्या बोल रहा है मतदान का प्रतिशतवर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में 57.20 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार के विधानसभा चुनाव में 61 प्रतिशत मतदान हुआ है.
वहीं इस बार मोदी की लहर के बीच महागंठबंधन का समीकरण क्या प्रभाव डाल पाया, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा. इन सभी बातों से दीगर मतदान का बढ़ा प्रतिशत आखिर क्या कहना चाहता है,
इस पर लोग भी चर्चा कर रहे हैं. निश्चित रूप से यह एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है और यही कारण रहा कि इस बार मतदान के प्रतिशत में काफी इजाफा हुआ. एक अच्छी बात और लगी, कुछ प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार में निकल रहे थे,
तो वे लोगों से अपील कर रहे थे कि अपने मत का प्रयोग जरूर करें. बधाई के पात्र आप भी हैंलोकतंत्र के इस महापर्व में जिस प्रकार से अभिरुचि आपने दिखायी, निश्चित रूप से आप भी बधाई के पात्र हैं. आप सबों ने इस प्रक्रिया में भाग लिया. यह लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत हैं. यह संकेत है कि अब आप जागरूक हो रहे हैं.
नेताओं को भी अब संभल कर काम करना होगा, क्योंकि उनको भी इस बात का इल्म हो गया है कि पब्लिक अब जाग चुकी है. काम नहीं करने पर वोट की चोट देकर पैदल भी हो सकते हैं प्रत्याशी.