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आरटीपीएस : रांग रूट पर है ऑनलाइन सेवा

खगड़िया: जिले में लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत निर्गत होने वाली ऑनलाइन सेवा रांग रूट पर आ चुकी है. वरीय अधिकारियों द्वारा बार-बार कार्रवाई का डंडा चलाने के बाद भी विभागीय कर्मचारियों पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत ऑनलाइन के जरिये जाति, आय व […]

खगड़िया: जिले में लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत निर्गत होने वाली ऑनलाइन सेवा रांग रूट पर आ चुकी है. वरीय अधिकारियों द्वारा बार-बार कार्रवाई का डंडा चलाने के बाद भी विभागीय कर्मचारियों पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है.
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत ऑनलाइन के जरिये जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र 10 कार्य दिवस में निर्गत करने का प्रावधान है. पर, ऑनलाइन के जरिये शत-प्रतिशत लोगों को 10 कार्य दिवस में उक्त प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हो पाते हंै. वहीं बिचौलियों द्वारा आवेदन करने पर 10 कार्य दिवस से पहले उक्त सेवा निर्गत कर दी जाती है. इस सेवा के बेपटरी होने से इस अधिनियम पर अभी भी बट्टा लगा हुआ है.
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना होने के कारण इस अधिनियम की समय-समय पर वरीय अधिकारियों द्वारा समीक्षा की जाती है और दोषी कर्मियों पर आर्थिक दंड भी कई बार लगाया जा चुका है.
क्या है उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों को ऑनलाइन की सुविधा मिल सके. पर, ऑनलाइन आवेदन करने पर कभी-कभी तो आवेदकों को अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. तब जाकर उन्हें जाति, आय व आवासीय प्रमाण निर्गत किया जाता है. कई बार इस तरह की शिकायत भी सामने आ चुकी है कि इंटरनेट काम नहीं करने के कारण तय कार्य दिवस में ऑनलाइन के तहत उक्त सेवा तैयार नहीं हो पाती है. जबकि, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि बिचौलियों के माध्यम से आने पर यह सेवा चार-पांच दिनों में ही निर्गत हो जाती है. तय कार्य दिवस में सेवा तैयार नहीं होने के लिए राजस्व कर्मचारी भी जिम्मेवार हैं. जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र के आवेदन पर राजस्व कर्मचारी द्वारा समय पर अनुशंसा नहीं करने के कारण भी शत-प्रतिशत लोगों को तय कार्य दिवस में सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती है.
आवेदक को आना पड़ता है काउंटर पर
इंटरनेट से कोई भी आवेदक कहीं से भी ऑनलाइन जाति, आय व आवासीय के लिए आवेदन कर सकता है. पर, प्रमाण पत्र लेने के लिए आवेदक को काउंटर पर खुद आना अनिवार्य है. कारण, प्रमाण पत्र लेने के समय ही आवेदक से आवेदन एवं शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कराया जाता है. कई बार यह भी देखा गया है कि आवेदक प्रमाण पत्र के लिए काउंटर पर नहीं आते हैं और वे किसी और के माध्यम से प्रमाण पत्र लेने की कोशिश करते हैं, जो अधिनियम के विरुद्ध है.
ऑनलाइन में बिचौलिया हावी
कई आरटीपीएस काउंटर पर बिचौलिया हावी हैं. ऑनलाइन के तहत जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत करने के एवज में बिचौलिया आवेदक से राशि लेते हैं. इसके कारण वैसे आवेदकों को काउंटर पर आना नहीं पड़ता है.
बिचौलियों के माध्यम से आने वाले आवेदक न तो आवेदन पर और न ही शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं. वैसे आवेदकों के आवेदन व शपथ पत्र पर फर्जी हस्ताक्षर किया जाता है. जिले के कई आरटीपीएस में अगर ऑनलाइन के तहत जमा होने वाले जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र के शत-प्रतिशत आवेदनों की जांच की जाये, तो सच्चाई सामने आ सकती है.
फर्जी तरीके से भी होता है सेवा का निष्पादन
कई बार इस तरह की बातें सामने आ चुकी है कि आवेदकों को मोबाइल पर सेवा तैयार होने की सूचना मिल जाती है और जब वे काउंटर पर जाते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि अभी प्रमाण पत्र बन कर तैयार हुआ ही नहीं. वैसे, कई आरटीपीएस इसके अपवाद जरूर हैं. अगर सभी आरटीपीएस का औचक निरीक्षण किया जाये, तो सच्चाई सामने आ सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि आवेदनों के कालबाधित होने के कारण फर्जी तरीके से आरटीपीएस कर्मी सेवा निष्पादन कर देते हैं. जबकि, वास्तव में सेवा तैयार होती ही नहीं है. फर्जी तरीके से सेवा निष्पादन करने के कारण आवेदकों के मोबाइल पर मैसेज जाता है कि आपकी सेवा तैयार हो चुकी है और जब वे काउंटर पर आते हैं, तो उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है. इन्हीं सब खामियों के कारण सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना आज की तारीख में भी धरातल पर नहीं उतर सकी है. जब तक वरीय अधिकारी ऑनलाइन सेवा को लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक शत-प्रतिशत लोगों को तय कार्य दिवस में सेवा उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है.

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