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जहरीली हवा में सांस ले रहे शहरवासी

खगड़िया: शहर के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को विवश हैं. इसके कारण शहर के लोगों में दमा सहित अन्य कई बीमारियां होने लगी हैं. सर्वाधिक लोगों में एलर्जी की शिकायत मिल रही है. आये दिन सरकारी अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में स्कीन डिजिज के केस आ रहे हैं. हालांकि अब कुछ लोग एहतियात […]

खगड़िया: शहर के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को विवश हैं. इसके कारण शहर के लोगों में दमा सहित अन्य कई बीमारियां होने लगी हैं. सर्वाधिक लोगों में एलर्जी की शिकायत मिल रही है. आये दिन सरकारी अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में स्कीन डिजिज के केस आ रहे हैं. हालांकि अब कुछ लोग एहतियात के तौर पर नाक पर मास्क लगा कर सड़क पर निकल रहे हैं. पर, मास्क लगाने वाले लोगों की संख्या नगण्य है.
कैसे बढ़ रहा है प्रदूषण : धूल, धुआं व गंदगी के कारण शहर की हवा काफी प्रदूषित हो गयी है. शहर में चलने वाली हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र में इजाफा हो रहा है, जो शहर के लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है. हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड के बढ़ने से लोगों को दम घुटने की बीमारी हो सकती है. प्रदूषण मापक केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र एक से 1.5 एमजी रहनी चाहिए. इसमें दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है. हवा में धूल कण भी मानक से डेढ़ गुना पाये गये हैं.
सुबह में होता है कम प्रदूषण : शहर की सड़कों पर दिन में गुजरते समय सामान्य तौर पर धूल व धुएं के कारण परेशानी होती है. लोगों को मुंह पर रूमाल या मास्क लगाये देखा जाता है. पर, शहर की हवा में प्रदूषण की मात्र लगातार बढ़ रही है. विशेषज्ञ इसे खतरनाक मान रहे हैं. प्रदूषण मापक केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, रात में शहर की सड़कों पर कम संख्या में वाहन चलते हैं. इस वजह से सुबह के समय हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड की मात्र कम रहती है. पर, जैसे-जैसे दिन चढ़ता है और वाहनों की संख्या शहर में बढ़ती है, इसका प्रतिशत बढ़ने लगता है. शाम के समय यह अपने पीक पर पहुंच जाता है. हालांकि बारिश होते ही तेजी से इसमें गिरावट भी आती है. हवा को दूषित करने में पुराने वाहनों को भी कारक माना जा रहा है. ऐसे वाहनों को लेकर नियम तो बने हैं, लेकिन उसका पालन शत-प्रतिशत नहीं हो पा रहा है. इस पर सख्ती किये जाने की जरूरत है.
कहते हैं चिकित्सक : डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि कॉर्बन मोनोऑक्साइड जहरीली गैस है. ये पेट्रोल, कोयला भट्ठी के जलने से पैदा होती है. शहर में वाहनों की अधिकता है. इस वजह से गैस बढ़ी है. ग्लोबल वॉर्मिग के कारणों में यह गैस भी एक कारण है. इससे तभी बचा जा सकता है, जब शहर में वाहनों की संख्या कम हो.
गैस से घुटने लगता है दम : डॉ कुमार ने बताया कि कॉर्बन मोनोऑक्साइड गैस अधिक मात्र में शरीर के अंदर जाने से पहले दम घुटने लगता है. बाद में बेहोशी आती है. अगर जल्दी चिकित्सा नहीं की जाये, तो मौत भी हो सकती है. अभी जो स्थिति है, उसमें लोग सांस के रोगी बन रहे हैं.

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