गोगरी : युवा किसान मजदूर विकास संगठन ने बीरवास में 30 व 31 किलोमीटर के पास कोसी की तेज धारा से हो रहे कटाव पर प्रशासन द्वारा कटाव निरोधी कार्य में शिथिलता बरते जाने को लेकर 31 जुलाई को रेल व सड़क जाम करने का आह्वान किया था. कहा गया था कि अगर समय से पूर्व कटाव निरोधी काम में तेजी नहीं लायी गयी, तो रेल व एनएच-31 सड़क जाम किया जायेगा.
प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए समय रहते कटाव रोधी काम तेज कर दिया. कटाव स्थल पर बोल्डर गिरा कर कटाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. इस पर युवा किसान मजदूर विकास संगठन ने बुधवार को होने वाले आंदोलन को स्थगित कर दिया.
युवा किसान मजदूर विकास संगठन के सदस्य मुसो शर्मा, श्रवण शर्मा, अजय शर्मा, मिथिलेश आर्य, ओमप्रकाश शर्मा, प्रभाष शर्मा, प्रेमचंद शर्मा, सिकंदर शर्मा,राजेंद्र शर्मा, शिव यादव, महेंद्र सिंह, राजकुमार यादव, मणिकांत शर्मा आदि ने बताया कि संघर्षात्मक कार्य पर संगठन के लोगों की कड़ी नजर है. कटाव निरोधी काम में शिथिलता आने पर पुन: आंदोलन किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त 2012 से बीरवास में ही भ्रष्टाचार व समस्याओं के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता बाबूलाल शौर्य ने 20 सदस्यों के साथ आमरण अनशन पर बैठे थे.
जिला प्रशासन ने छह सूत्री मांगों को पूरा करने का आश्वासन देकर अनशन समाप्त कराया था. बाबू लाल शौर्य के अनशन से जिले के सभी आला अधिकारियों की नींद उड़ गयी थी. तत्कालीन डीएम धर्मेद्र सिंह के निर्देश पर तत्कालीन डीडीसी देवनंदन यादव विभिन्न विभागों के कार्यपालक अभियंता के साथ अनशन स्थल पर पहुंच कर अनशन को समाप्त कराया था.अधिकारियों के सकारात्मक वार्ता से संतुष्ट हो कर बाबू लाल व उनके सहयोगियों ने अनशन समाप्त किया था.
गौरतलब है कि युवा किसान मजदूर विकास संगठन का नेतृत्व बाबू लाल शौर्य ही कर रहे हैं. श्री शौर्य ने बताया कि बीएन बांध के लिए वर्ष 1982 ई में किसानों के खेतों से बगैर सूचना के मिट्टी काटी गयी थी. जिससे किसानों के खेतों की जमीन बरबाद हो गयी. लेकिन आज तक किसानों को जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया. राजीव गांधी विद्युत परियोजना के तहत सभी गावों में 2010 तक बिजली पहुंच जाना था, लेकिन आज तक नहीं पहुंचा.
वहीं अनुवानी–सुल्तानगंज पुल का निर्माण सह कमरी–बीरवास पुल के निर्माण करने, बीरवास बांध को जोड़ने वाली सड़क का कालीकरण करने, बाढ़ प्रभावित सभी सड़कों को एनएच-31 से जोड़ने, सर्किल नंबर एक के क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने व कॉलेज की स्थापना करने, किसानों का अनाज भंडारण करने की व्यवस्था आदि मांगों को जिला प्रशासन के समक्ष रखा गया था. उस मांग को पूरा करने का आश्वासन तो मिला, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हो पायी.