Advertisement
पटवन व खाद के लिए किसान कर रहे मगजमारी
खगड़िया : अब जिले में लगभग जगहों पर फसलों की बुआई हो चुकी है और खेते में हरे भरे फसल भी लहलहाने लगे हैं. कुछ जगहों पर किसानों ने पहला पानी डाल दिया है तो कुछ जगहों पर दूसरी बार पानी डालने की तैयारी में हैं. पटवन की समस्या को सरकारी नलकूपों के खराब रहने […]
खगड़िया : अब जिले में लगभग जगहों पर फसलों की बुआई हो चुकी है और खेते में हरे भरे फसल भी लहलहाने लगे हैं. कुछ जगहों पर किसानों ने पहला पानी डाल दिया है तो कुछ जगहों पर दूसरी बार पानी डालने की तैयारी में हैं. पटवन की समस्या को सरकारी नलकूपों के खराब रहने के बाद भी किसान दूर कर लेते हैं लेकिन खाद की समस्या को कैसे सुलझाएं.
जिले में हर वर्ष खेती के समय यह समस्या किसानों को परेशानी में डाल देती है. गुरूवार को भी किसानों ने खाद दुकानदारों के यहां हंगामा किया. हंगामे को शांत कराने के लिए नगर थाना की पुलिस तक को पहुंचना पड़ा. उल्लेखनीय है कि पूरे जिले में कमोबेश किसानों ने अपने फसल की पटवन शुरू कर दी है. ऐसे में किसानों को खाद की सख्त आवश्यकता है. जबकि कुछ जगहों पर किसान अभी तक अपने फसल को पटवन करने के लिए नये-नये तरकीब सोच रहे हैं. जानकारी के अनुसार जिले में किसानों की सिंचाई के लिए सातों प्रखंड में लगभग 150 नलकूपों की स्थापना की गयी थी. जिसमें से एक भी अभी चालू स्थिति में नहीं है. जिससे किसानों के समक्ष यह समस्या प्रत्येक वर्ष उत्पन्न हो जाती है.
नलकूप चालू था तो पांच रुपये में हो जाती थी सिंचाई
जिले के कई किसानों ने बताया कि एक समय था जब जिले के सभी नलकूप चालू स्थिति में थे. तब किसानों को पटवन के लिए सोचना नहीं पड़ता था. पांच रुपये में खेतों का पटवन हो जाया करता था. सिर्फ किसान बिजली के आने का ही इंतजार करते थे. किसानों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचे इसके लिए सरकार द्वारा नाला का निर्माण कराया गया था. लेकिन आज सभी नाले भी टूट चुके हैं.
बिजली तो पहुंची, नहीं चालू हुआ नलकूप
फिलवक्त जिले को पर्याप्त मात्र में बिजली मिल रही है. ऐसे में अगर नलकूप चालू हो जाता तो किसानों को डीजल व पंप सेट पर अतिरिक्त खर्च का वहन नहीं करना पड़ता. कम रुपये में ही किसान अपने खेतों को पूरी मात्र में पानी उपलब्ध करा सकते थे. कम से कम एक तरफ से ही सही किसानों को महसूस तो होता कि सरकार उनलोगों को मदद कर रही है.
नलकूप का किया गया था मरम्मत
वर्ष 2006 के आस पास नलकूप को चालू कराने के नाम पर प्रत्येक नलकूप का मरम्मत किया गया था. इसके बाद इसके चालू किये जाने का प्रतिवेदन भी सौप दिया गया. लेकिन एक भी नलकूप चालू नहीं हुआ. बताया जाता है कि प्रत्येक नलकूप पर एक एसबीओ भी बहाल था. लेकिन जब नलकूप के चालू होने का प्रतिवेदन दिया गया तो एक भी नलकूप पर एसबीओ नहीं पहुंचे. सवाल यह है कि आखिर तब नलकूप चालू कैसे हो गया.
बड़े किसानों पर आश्रित हैं छोटे किसान
जी हां, यहां हालात कुछ ऐसे ही है. जो किसान सामथ्र्यवान हैं. उनके पास अपना संसाधन उपलब्ध है. वे लोग डीजल व पंप सेट की मदद से अपने खेतों की सिंचाई कर लेते हैं. उनको यह घाटे का सौदा इसलिए नहीं लगता है क्योंकि उनके बड़े खेतों के लिए यह उपयुक्त होता है. लेकिन छोटे किसान बेचारे इस बीच में पिस जाते हैं. पहले तो कई बार उनको बड़े किसानों के घर पंप सेट के लिए ही दौर लगाना पड़ता है.
जब पंप सेट मिल जाता है तो डीजल व पंप सेट के भाड़े का भुगतान भी करना पड़ता है.अब समझा जा सकता है कि पहले खाद व यूरिया की कालाबाजारी से लेकर पटवन तक एक छोटा किसान कैसे फसल के लिए अपनी जमा पुंजी पानी की तरफ बहा देता है. जिले के किसानों ने जिलाधिकारी से जिले के सारे नलकूप को अविलंब चालू कराने की मांग की है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement