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रेलवे का रिटायर पुल लोगों का बना सहारा

फोटो है 2 में कैप्सन : जर्जर है पुल, फिर भी आ रहा लोगों के काम.प्रतिनिधि, खगडि़याशोले फिल्म का वह डायलॉग आज भी पिक्चर का नाम आते ही जेहन में ताजा हो जाता है. मैं अंगरेज के जमान का जेलर हूं. फरकिया में कुछ इसी अंदाज में रेलवे का रिटायर पुल लोगों को अपने होने […]

फोटो है 2 में कैप्सन : जर्जर है पुल, फिर भी आ रहा लोगों के काम.प्रतिनिधि, खगडि़याशोले फिल्म का वह डायलॉग आज भी पिक्चर का नाम आते ही जेहन में ताजा हो जाता है. मैं अंगरेज के जमान का जेलर हूं. फरकिया में कुछ इसी अंदाज में रेलवे का रिटायर पुल लोगों को अपने होने का एहसास कराता है. वह पुल जिसको रेल डिपार्टमेंट ने रिटायर घोषित कर ट्रेन के परिचालन पर रोक लगा दी. वह आज भी इस क्षेत्र के सुगम यातायात का साधन बना हुआ है. जी हां, यह पुल मजबूती के मामले में अन्य पुलों के लिए एक मिसाल है. बताया जाता है कि इस पुल का निर्माण सर्व प्रथम तब किया गया था जब सहरसा जिले को छोटी रेल लाइन की सेवा से जोड़ा गया था. पुल के पाये का निर्माण ईंट और सीमेंट व बालू से किया गया था. इसके एक एक ईंट आज तक सुरक्षित हैं. जबकि जोड़ उतना ही मजबूत. फिलवक्त इस पुल पर से भारी-भारी मक्का लदा ट्रैक्टर, यात्री लदा जीप, बाइक आदि आसानी से आर पार जा रहे हैं. जबकि मवेशियों के लिए तो कुछ बात ही नहीं. इसके अलावा मंदिर के पास कोसी नदी में नाव का पुल तैयार किया गया है. जिससे कोई भी वाहन आसानी से मंदिर होते हुए धमारा स्टेशन तक पहुंच जाती है. इस तरह फरकिया के लोग अभी तक जुगाड़ तकनीक के माध्यम से ही आगे बढ़ रहे हैं.

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