बेलदौर : बेलदौर का डुमरी पुल बीते तीन वर्षों से लगातार बंद है. ऐसे में प्रखंड का हर बीपीएल परिवार तंगी के दौर से गुजर रहा है. वहीं इस क्षेत्र में महंगाई सातवें आसमान पर है. इस कारण हर परिवार के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. यही कारण है कि परिवार के भरण पोषण में अब बच्चों को भी अपने अभिभावकों का हाथ बटाना पड़ रहा है.
शुक्रवार को पुल पर एक बच्चा अपने से चार गुणा अधिक वजन को रिक्शा पर लिये पुल के पार जाने की जंग लड़ रहा था. ऐसे बच्चों की संख्या एक दर्जन से भी अधिक है. विद्यालय से दूर इन बच्चों को ना तो विद्यालय की एमडीएम योजना, पोशाक, छात्रवृत्ति आदि अपनी ओर आकर्षित कर रही है और न तो बालश्रम रोकने के लिए बना कानून ही इन भटकते बच्चों के कदमों को रोक पा रहा है.
दीगर बात है कि अक्सर पुल से होकर सांसद, विधायक समेत वरीय पदाधिकारियों का आना होता है जो थकान से बचने के लिए इन बच्चों के रिक्शा की सवारी तो कर लेते हैं लेकिन अंधकार में डूब रहे इन नौनिहाल बालकों के भविष्य को संवारने को लेकर कोई जहमत उठाना मुनासिब नहीं समझते. शहर से लेकर गांव तक हाकिम से लेकर नेताजी के कोठी पर इन मासूमों को जी तोड़ मेहनत करते देखना तो आम बात हो गयी है. ऐसे में बालश्रम रोकने के लिए चलायी जा रही अभियान एवं शिक्षा के अधिकार कानून की खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं.