खगड़िया : शहर में जाम की समस्या आम हो गयी है. जिसका निदान न तो प्रशासन के पास नजर आ रहा है और नही आम लोगों के पास. प्रतिदिन लगने वाले भीषण जाम से पूरा शहर कराह रहा हैं. दिन भर लोगों को जाम का सामना करना पड़ता हैं.
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ई रिक्शा चालकों के अराजक रवैये से रोज लगता है महाजाम
खगड़िया : शहर में जाम की समस्या आम हो गयी है. जिसका निदान न तो प्रशासन के पास नजर आ रहा है और नही आम लोगों के पास. प्रतिदिन लगने वाले भीषण जाम से पूरा शहर कराह रहा हैं. दिन भर लोगों को जाम का सामना करना पड़ता हैं. शहर के हृदय स्थली राजेन्द्र चौक […]
शहर के हृदय स्थली राजेन्द्र चौक से लेकर बेंजामिन चौक, स्टेशन रोड तक हर जगह जाम ही जाम दिन भर नजर आता है. वहीं दूसरी ओर हम नहीं सुधरेंगे. लगता है यही सोच रखा है यहां के ई रिक्सा चालकों ने. तभी तो किसी भी कड़ाई का कोई असर नहीं हो रहा है इन ई रिक्शा चालकों पर.
शहर के ई रिक्सा चालकों के अराजक तौर तरीकों से परिचालन अस्त व्यस्त् होता दिख रहा है. ई रिक्सा चालकों की मनमानी से शहरवासियों का पैदल चलना मुहाल है. हर आदमी चाहता है कि शहर के चौक-चौराहे अतिक्रमणमुक्त हों. सड़कों पर आवागमन बाधित न हो, लेकिन यहां के ई रिक्सा वालों ने सड़क और चौक-चौराहों को ही स्टैंड बना कर रख दिया है.
पैदल चलना भी हो रहा मुहाल. राजेन्द्र चौक से यदि आप चलना शुरू करें तो बीच सड़क पर लगे दर्जनों ई रिक्सा कदम-कदम पर आपका रास्ता रोकेंगे. जिस कारण हर स्थान पर जाम लगता है.
बेंजामिन चौक हो या स्टेशन चौक हर स्थान पर ई रिक्शा चालकों का कब्जा है. ये ई रिक्सा चालक अपने राह में किसी का आना भी बर्दाश्त नहीं करते. आगे-पीछे दायें या बायें. कब और कहां इनका हैंडल घूम जाये, यह कहना मुश्किल है. इससे लोग सहम जाते हैं.
पुलिस के डंडे से भी बाज नहीं आ रहे रिक्शा चालक. शहर को जाम और अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने तथा यातायात को सुगम बनाने के लिए पुलिस प्रशासन के प्रयासों पर ई रिक्सा चालकों ने पानी फेर दिया. इनकी चाल से पुलिस प्रशासन ने भी हार मान ली है. ये चालक डंडे खायेंगे, लेकिन अपनी आदतों से बाज नहीं आयेंगे.
शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जहां-तहां ई रिक्सा लगा कर सवारी बैठाने वाले चालकों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी. सड़क का अतिक्रमण व अवैध पार्किंग से जाम लगता है. रोज जाम की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है. लेकिन प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है. फुटपाथ पर दुकान हटाने के बजाय उन्हें और आराम से लगाने दिया जाता है.
क्योंकि इन दुकानदारों से हर रोज बट्टी के तौर पर दस रुपये वसूला जाता है. बकाया दुकानदारों को दस रुपये का रसीद भी दिया जाता है. इसके चलते दुकानदार मनमाने ढंग से फुटपाथ पर अपनी दुकान खोलते हैं. राजेन्द्र चौक पर सुबह से ही सड़क के दोनों किनारों पर दुकानें सज जाती हैं. यहां तक कि नवनिर्मित पुल के दोनों किनारे पर दुकानें और गाड़ियों का अवैध पार्किंग किया जाता हैं.
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