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पांच डीलरों पर कार्रवाई की जगह एसडीओ करवा रहे फिर से जांच
खगड़िया : जांच… जांच फिर जांच तो आखिर कार्रवाई कब होगी? अलौली की रौन पंचायत के पांच डीलरों पर कार्रवाई की जगह कहीं उन्हें बचाने की तो साजिश नहीं हो रही है? अब तक जो भी इस मामले में घटित हो रही है. उससे यही लग रहा है कि कार्रवाई करने की जगह इस मामले […]
खगड़िया : जांच… जांच फिर जांच तो आखिर कार्रवाई कब होगी? अलौली की रौन पंचायत के पांच डीलरों पर कार्रवाई की जगह कहीं उन्हें बचाने की तो साजिश नहीं हो रही है? अब तक जो भी इस मामले में घटित हो रही है.
उससे यही लग रहा है कि कार्रवाई करने की जगह इस मामले को जांच के नाम पर रफा दफा करने की साजिश रची जा रही है. प्रखंड के आपूर्ति पदाधिकारी, सहायक जिला आपूर्ति पदाधिकारी के साथ साथ तत्कालीन एसडीओ की भूमिका पर सवाल उठने लगे है. ऐसे में सवाल उठता है कि जांच के बाद कार्रवाई के आदेश की अनदेखी कर फिर से दोबारा मामले की जांच कराने का क्या औचित्य है. गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई तो पीडीएस में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कैसे लगाम लगेगा? यह सवाल मुंह बाये खड़ा है.
क्या है पूरा मामला
रौन पंचायत के श्रवण कुमार कई दिनों से उक्त पंचायत के कुछ डीलरों के खिलाफ अलौली के एमओ सहित एसडीओ के पास शिकायत करते आ रहे थे. शिकायतकर्ता का दावा है कि पदाधिकारी उनकी शिकायत पर जांच व कार्रवाई नहीं कर थे. लेकिन इसी दौरान अलौली प्रखंड के कई पंचायतों में योजनाओं की जांच कराई गयी. जिसमें रौन पंचायत भी शामिल था.
डीएम के आदेश के आलोक में आत्मा के परिजन निदेशक राम गोविन्द सिंह रौन पंचायत पहुंचकर पांच पीडीएस दुकानों की जांच जाने के बाद डीएम को रिपोर्ट सौंप दिया गया. जिसके बाद जिला स्तर से उन सभी डीलरों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. जहां जहां अनियमितता पायी गयी थी. लेकिन तत्कालीन एसडीओ ने कार्रवाई की जगह फिर से जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
लोक शिकायत कार्यालय पहुंचा मामला
जानकारी के मुताबिक 23 अथवा 24 अप्रैल को रौन पंचायत में जांच हुयी. अप्रैल माह के अंत तक ही इस माह में कार्रवाई के आदेश जिला स्तर से जारी कर दिये गये. लेकिन शिकायकर्ता को शायद यह मालूम नहीं था. पूर्व में दिये आवेदन पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज होकर इन्होंने जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई. यहां से जारी नोटिस जारी होने के बाद डीएसओ ने 17 मई 2017 को यह जानकारी दी कि रौन पंचायत में पीडीएस दुकानों की जांच आत्मा के परियोजना निदेशक से कराई गयी है. अनियमितता पाये जाने के बाद एसडीओ को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया जा चुका है. हालांकि तब इस वाद को समाप्त कर दिया गया.
कार्रवाई नहीं होने पर मामला पहुंचा कमिश्नर के पास
आदेश के बाद भी गड़बड़ी करने वाले डीलरों पर कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में शिकायतकर्ता को दोबारा शिकायत करने की सलाह दी गयी. लोक शिकायत एडीएम के आदेश के बाद डीएसओ ने 18 जुलाई 2017 को एसडीओ को पत्र लिखकर इस मामले में डीलरों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी. लेकिन इसके बाद जो हुआ उसे जान आप भी दंग रह जाएंगे. इस तरह की व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पायेगा.
जांच में खानापूर्ति कर डीलर पर मेहरबानी !
आत्मा के परियोजना निदेशक ने पांच माह पूर्व जहां इन दुकानों पर अनियमितता पायी थी. उस दुकान में सहायक आपूर्ति पदाधिकारी के जांच के दौरान पूर्व के आरोप को झूठे हो गए. वरीय पदाधिकारी की रिपोर्ट को गलत बताते हुए एडीएसओ ने सब कुछ ठीक ठाक होने की रिपोर्ट सौंप दी. जिसे स्वीकार करते हुए एसडीओ ने लोक शिकायत एडीएम को भेज दिया. जहां इस मामले को समाप्त कर दिया गया.
तीसरी बार फिर हुई जांच
शिकायत कर्ता इस मामले को लेकर आयुक्त के दरबार पहुंचे. जहां इस शिकायत के आलोक में एसडीओ को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगे गए. लेकिन सूत्र के मुताबिक इस मामले की जांच करने के लिए एक बार फिर सबसे निचले पदाधिकारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी प्रभाष प्रियदर्शी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि वे एसडीओ के लिखित आदेश पर रौन जांच के लिए गये थे. जानकारी के मुताबिक 13 नंबर 2017 को वर्तमान एसडीओ ने भी प्रमण्डलीय आयुक्त को यह रिपोर्ट भेजी कि शिकायतकर्ता अपात्र श्रेणी में होने कारण जान बूझकर बगैर साक्ष्य के शिकायत कर रहे हैं.
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