खगड़िया : जीएसटी को लागू हुए चार माह हो गये हैं. एक राष्ट्र एवं एक कर प्रणाली हो इसके लिए जीएसटी लागू की गयी है. जीएसटी की स्थिति यह है कि नाम तो सबों को मालूम है, लेकिन इस नयी कर प्रणाली की जानकारी अब भी चंद लोगों को ही है. जिले की एक बड़ी […]
खगड़िया : जीएसटी को लागू हुए चार माह हो गये हैं. एक राष्ट्र एवं एक कर प्रणाली हो इसके लिए जीएसटी लागू की गयी है. जीएसटी की स्थिति यह है कि नाम तो सबों को मालूम है, लेकिन इस नयी कर प्रणाली की जानकारी अब भी चंद लोगों को ही है. जिले की एक बड़ी आबादी जीएसटी से संबंधित जानकारी से वंचित है, जानकारी के अभाव में आमलोग ठगे जा रहें हैं.
वहीं इसका फायदा व्यापारी उठा रहे हैं . कई जगहों से ऐसी जानकारी लगातार मिल रही है कि जीएसटी लागू होने के पूर्व बने सामान पर भी व्यापारी जीएसटी टैक्स लगाकर उपभोक्ताओं से पैसे ले रहे हैं. वहीं एमआरपी से अधिक राशि उपभोक्ताओं से लिये जा रहे हैं जबकि जीएसटी लागू होने के बाद बने सामग्री पर भी एमआरपी से अधिक राशि जीएसटी टैक्स को जोड़कर लिये जाने की बातें भी आये दिन सामने आ रही है. जीएसटी की जानकारी के अभाव में आम उपभोक्ता जहां ठगी के शिकार हो रहे हैं. जबकि कारोबारी मालामाल हो रहे हैं.
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित : अगर आम उपभोक्ताओं को जीएसटी की जानकारी हो तो वे कभी भी इस ठगी के नहीं हो सकेंगे. न ही व्यापारी उनसे अधिक मूल्य वसूलने में सफल हो पाएंगे. जीएसटी की जानकारी को लेकर वाणिज्यकर अंचल कार्यालय में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जहां व्यापारी के साथ साथ सभी वर्ग के लोगों को जीएसटी से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. यह कार्यक्रम तब तक चलाये जाने की बातें कहीं जा रही है. जब तक कि आम लोगों को जीएसटी का पूर्ण ज्ञान न हो जाये.
जानकारी से रुकेगी बेईमानी
सहायक वाणिज्य कर आयुक्त एसके चर्तुवेदी की मानें तो बड़ी संख्या में लोग जीएसटी का सिर्फ नाम जानते है. जबकि इससे जुड़ी अन्य जानकारी उन्हें नहीं है. जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन इस लिये किया जा रहा है. ताकि व्यापारी के साथ साथ आम लोगों को भी इसका ज्ञान हो. उन्होंने कहा कि जागरूकता कार्यक्रम में आने वाले हक लोगों को दुकानदारों से पक्के बिल लेने को कहा जा रहा है. ताकि अधिक मूल्य लेने वाले दुकानदारों के विरुद्ध इसी बिल के आधार पर पहले शिकायत व कार्रवाई की जा सकें.
एमआरपी पर रखें नजर
सहायक वाणिज्यकर आयुक्त श्री चतुर्वेदी ने कहा कि उपभोक्ता जिस सामान की खरीदारी कर रहे हैं. उसका एमआरपी एवं उत्पादन तिथि जरूर देख लें. अगर उस सामग्री का उत्पादन जीएसटी लागू होने पूर्व यानी जुलाई माह के पूर्व हुआ हो तो उपभोक्ता यह जरूर आकलन कर लें कि कहीं जीएसटी के कारण उस सामग्री का टैक्स तो नहीं घटा है. अगर टैक्स घटा है तो निर्धारित मूल्य से उस टैक्स की राशि को घटाकर ही दुकानदार को भुगतान करें. अगर खरीदी जा रही सामग्री जीएसटी के बाद जो भी सामान बने है. उसके एमआरपी में जीएसटी टैक्स जोड़कर ही मूल्य का निर्धारण हुआ है.
बाजार में चल रहा खेल
जीएसटी व बाजार को करीब से जानने वालों की मानें तो जीएसटी लागू होने के बाद दैनिक उपयोग में आने वाले अधिकांश सामग्री का टैक्स घटा है. जबकि कुछ लग्जरी व विलासिता से संबंधित सामनों के टैक्स बढ़े हैं. इस वजह से उनके मूल्य भी बढ़े हैं. जानकार बताते हैं कि जीएसटी लागू होने के पूर्व बने दैनिक उपयोग में आने वाले सामग्रियों को एमआरपी पर ही बेचा जा रहा है. जीएसटी के तहत टैक्स कह होने के कारण उनके मूल्य घटे हैं.
वहीं जीएसटी के लागू होने के बाद बने सामग्री पर भी कहीं कहीं से एमआरपी वाणिज्यकर के एमआरपी से अधिक मूल्य लेना अवैध है. जीएसटी के नाम पर अगर कहीं अधिक राशि वसूली होती है तो उपभोक्ता पक्के बिल के साथ शिकायत दर्ज करा सकते हैं. सहायक वाणिज्य कर आयुक्त श्री चतुर्वेदी ने कहा कि एमआरपी से एक पैसा भी अधिक लेना आर्थिक अपराध है.