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बांध जर्जर, अनहोनी की आशंका
परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए बनाया गया रिंग बांध वर्ष 2013 में क्षतिग्रस्त हो गया था. उस वक्त कई गांव जलमग्न भी हुए थे, लेकिन अब तक बांध के किनारे पत्थर नहीं देने से लोगों को अनहोनी की आशंका सता रही है. खगड़िया : वर्ष 2013 […]
परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए बनाया गया रिंग बांध वर्ष 2013 में क्षतिग्रस्त हो गया था. उस वक्त कई गांव जलमग्न भी हुए थे, लेकिन अब तक बांध के किनारे पत्थर नहीं देने से लोगों को अनहोनी की आशंका सता रही है.
खगड़िया : वर्ष 2013 में बाढ़ से हुई तबाही के बाद तत्कालीन डीएम ने कहा था कि पत्थर की सिल्ट को बांध के किनारे में तार से मढ़कर बांध को मजबूत बनाया जायेगा. लेकिन घोषणा को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है.
बांध किनारे पत्थर नहीं देने से लोगों को अनहोनी की आशंका सता रही है. जीएन बांध के किनारे सिर्फ बोरी को समेटकर रख देने से शायद आने वाले खतरे से बचाने में नाको चने चबाना पड़े. बाढ़ का समय आ चुका है. अगर जल्द ही इस दिशा में ठोस उपाय नहीं हुए तो किसी भी वक्त अनहोनी हो सकती है़
उल्लेखनीय है कि परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों को बाढ़ की विभीषिका से सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया रिंग बांध वर्ष 2013 में क्षतिग्रस्त हो गया था. उस वक्त कई गांव जलमग्न भी हुआ था. दोनों रिंग बांधों पर मरम्मत कार्य तो कई महीनों पूर्व ही करा दिया गया. पिछले वर्ष जब लगार का दोनों रिंग बांध टूट गया था तो अधिकारी और जनप्रतिनिधि रिंग बांध की मरम्मत को लेकर चुप थे. मालूम हो कि बीते वर्ष 2013 के अगस्त व सितंबर माह में गंगा की भयावह बाढ़ से तबाही हुई थी.
वर्ष 2013 में जिस वक्त आई भीषण बाढ़ की वजह से उदयपुर ढाला के पास बने ह्युम पाईप के टूटने के बाद चकप्रयाग में जीएन बांध पर पानी की तेज रफ़्तार ने आधे से अधिक बांध को काट कर रख दिया था. उस वक्त डीएम संजय कुमार सिंह व एसपी दीपक वर्णवाल ने कहा था कि ह्युम पाईप को जीएन बांध के सामने से टर्न कर दिया जायेगा.
जब पानी का तेज बहाव होगा तो जीएन बांध पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. जिससे इलाके में बाढ़ से कम से कम गांव में प्रभावित होंगे और लोगों को अपनी संपत्ती नहीं गवानी पड़ेगी. बहुत हद तक सुरक्षा मुहैया कराया जा सकता था. लेकिन डीएम के जाने के बाद आज भी ह्युम पाईप उसी तरह है. जिस तरह से 2013 में बाढ़ आने के बाद जीएन बांध आधा से अधिक कटने के बाद हाय तौबा मचा था.
2013 में मचा था हाहाकार
लगार और चकप्रयाग गांव के लोगों का कहना है कि चकप्रयाग गांव का रिंग बांध टूटने से बड़ी आबादी प्रभावित हुई थी. आज भी वो दिन याद आने से दिल सिहर उठता है .चकप्रयाग, हरिणमार, जवाहर नगर, इंग्लिश लगार के 10 हजार से अधिक की आबादी तबाह हो गया था. बाढ़ से क्षतिग्रस्त रिंग बांध को देखने के लिए अभी तक कोई नहीं आया था. वहीं तेमथा करारी का रिंग बांध जिससे सैकड़ों एकड़ फसल की सुरक्षा होती थी. बाढ़ ने केले के फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था. किसानों में हाहाकार मची हुई थी.
पशुपालकों तथा किसानों को इस दौरान भारी क्षति हुई थी. इस बांध से कुछ गांवों को बाढ़ से सुरक्षा भी होती थी लेकिन अब तो सभी कुछ खत्म हो गया था. इस रिंग बांध की कभी भी मरम्मत नहीं की गई थी लेकिन आज इस रिंग बांध को मरम्मत कर जिएन बांध से भी उंचा कर दिया गया है. इसकी वहज ये है कि बाढ़ आने पर दोनों रिंग बांधो को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा एड़ी चोटी एक कर दिया जाता था.
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