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कहां गया राघव : मां के सूखे आंसू, परिजन निढाल

।। अखिलेश जायसवाल ।। गुलाबबाग : व्यवसायी पुत्र राघव विहानी मामले का खुलासा ग्यारहवें दिन भी नहीं हो सका. इकलौते लाल की सकुशल बरामदगी के लिए परिजन सीएम से गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं. 24 जनवरी को राघव विहानी के लापता होने और पुलिस की तत्परता से राघव के परिजनों समेत समस्त शहर […]

।। अखिलेश जायसवाल ।।

गुलाबबाग : व्यवसायी पुत्र राघव विहानी मामले का खुलासा ग्यारहवें दिन भी नहीं हो सका. इकलौते लाल की सकुशल बरामदगी के लिए परिजन सीएम से गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं.

24 जनवरी को राघव विहानी के लापता होने और पुलिस की तत्परता से राघव के परिजनों समेत समस्त शहर वासियों को उसकी बरामदगी का भरोसा था. घटना के ग्यारहवें दिन भी कोई खुलासा नहीं होने से पुत्र के वियोग में मां कंचन विहानी के आंसू सुख चुके हैं. दादी, दादा सहित परिजन नाते-रिश्तेदार इकलौते राघव की तलाश में थक हार कर निढाल हो रहे हैं. वहीं, पिता अशोक विहानी बेटे की सूचना पाने की बेचैनी में मोबाइल को पास रख घंटी बजने के इंतजार में आंसू बहा रहे हैं. राघव परिजनों के काफी करीब था.

मां-बाप का लाडला लाल स्वभाव से भी सरल व व्यवहार कुशल था. राघव मामले में कोई खुलासा या सूत्र न मिलने से अब पुलिस कार्यवाही से भी परिजनों का भरोसा टूटने लगा है और वह सीधा सीएम से गुहार लगाने की तैयारी में जुट गये हैं.

न राघव मिला न कोई सुराग

इस प्रकरण में कई बातें चौंकाने वाली है. एक तो राघव को क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने के नाम पर साथ ले जाने वाला राजबीर मिस्टर इंडिया बन गायब हो चुका है.

न तो उसके साथ खेलने वालों का कोई प्रूफ, कोई एड्रेस न लोकेशन और न ही तफ्तीश में पुलिस कोई परदा उठा सकी है. कार्यवाही, सर्च ऑपरेशन और आश्वासनों के सहारे ग्यारह दिन गुजर गये मगर न तो राघव मिला न राजबीर का सुराग. अलबत्ता शहर वासियों के बेचैनी के साथ परिजनों का भरोसा टूट चला है.

पिता का हौसला भी छोड़ने लगा साथ

कारोबारी मामलों में बुलंद हौसले के इंसान के रूप में चर्चित अशोक विहानी अब कमजोर पड़ने लगे हैं. मामला इकलौते पुत्र के संबंध में ग्यारहवें दिन भी कोई सुराग नहीं मिलने के बाद गंभीर होता जा रहा है. एक, दो, तीन नहीं पूरे ग्यारह दिन बीतने के बावजूद कोई रिजल्ट सामने नहीं देख पुत्र की कुशलता सोच अशोक फफक पड़ते हैं. आंखों से आंसू नहीं कलेजे से आह निकलती है और निढाल अशोक विहानी बार-बार विचलित होकर पास रखे मोबाइल को देख शून्य सा होकर सामने वालों को मदद की गुहार करने लगते हैं.

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