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गरमी के कारण सब्जी हुई महंगी

हाल . महंगाई ने गरीव व मध्यमवर्गीय घरों के रसोई का बजट बिगाड़ा तेज धूप की वजह से सब्जी की फसल को नुकसान पहुंच रहा है. इसका सीधा असर सब्जी के उत्पादन पर पड़ा है. हरी सब्जी के दाम में दो गुना तक बढ़ोतरी हो गयी है. यहां तक कि जरूरी अनाज चावल, आटा तक […]

हाल . महंगाई ने गरीव व मध्यमवर्गीय घरों के रसोई का बजट बिगाड़ा

तेज धूप की वजह से सब्जी की फसल को नुकसान पहुंच रहा है. इसका सीधा असर सब्जी के उत्पादन पर पड़ा है. हरी सब्जी के दाम में दो गुना तक बढ़ोतरी हो गयी है. यहां तक कि जरूरी अनाज चावल, आटा तक महंगा हो गया है. इसमें कोई भी परिवार चाहकर भी कटौती नहीं कर सकता है.
कटिहार : हाल के दिनों में बढ़ी महंगाई से हर तबका परेशान है. महंगाई की वजह से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है. रसोई से दाल व सब्जी गायब हो रही है. महंगाई का सबसे ज्यादा असर गरीब व मध्य वर्गीय परिवार पर पड़ा है. इससे निबटने की दिशा में सरकार व प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है. जिसका नतीजा यह है कि लोग बगैर दाल व सब्जी के भोजन करने को विवश हो रहे हैं.
दरअसल आमलोगों से जुड़ी हर खाने-पीने की वस्तु के दाम में इजाफा हो गया है. ऐसी स्थिति में लोगों के सामने विकट समस्या आ गयी है कि आखिर क्या खायें, जो उनकी बजट का हो. महंगाई की वजह से लोग दाल खाना तो पहले ही छोड़ चुके हैं. अब सब्जी के दाम में हुए इजाफा के कारण सब्जी का इस्तेमाल चटनी के तौर पर करने को विवश हुए हैं. इसका सीधा प्रभाव लोगों के सेहत पर पड़ रहा है.
महंगाई की वजह से जब सब्जी, दाल का सेवन नहीं करेंगे तो विटामिन की कमी होना लाजमी है और लोग बीमार होंगे. प्रभात खबर ने हाल के दिनों में बढ़े महंगाई से लोगों के घर का बिगड़ा बजट और इससे हो रही परेशानी का पड़ताल किया है. जिसमें पता चला कि महंगाई की वजह से कमोवेश हर तबका परेशान है. शहर के मिरचाईबाड़ी निवासी गीता देवी कहती है कि महंगाई ने घर का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. हमलोग मध्यवर्गीय परिवार है इसलिए ज्यादा परेशानी हो रही है.
शिक्षक श्यामलाल मंडल कहते हैं कि महंगाई ने सारे रेकार्ड तोड़ दिये हैं. इस पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार को कुछ करना चाहिए. किसान दिनेश मोहन ठाकुर कहते हैं कि महंगाई ने गरीब की थाली में डाका डाला है. यही स्थिति रही तो गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार को भोजन के लाले पड़ जायेंगे.
दाल पहले से ही रसोई से हो गयी है गायब : इन दिनों दाल के भाव आसमान छूने लगे हैं. पहले गरीब अब मध्यवर्गीय परिवार की थाली से भी दाल गायब होने लगी है. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. चिकित्सक भी दाल खाने की सलाह देते हैं, लेकिन दाल के दाम में लगी आग के बाद रसोई से दाल पूरी तरह से गायब हो गयी है.
लोग सप्ताह में एक या दो दिन ही दाल का सेवन कर रहे हैं. प्रतिदिन दाल का सेवन करने से लोगों का बजट बिगड़ जा रहा है. कई लोग तो मेहमान आने के बाद ही दाल घर में बना पा रहे हैं. जो नियमित दाल अब भी खा रहे हैं उसकी मात्रा काफी कम हो गयी है. दरअसल कोई भी दाल सौ रूपये से नीचे नहीं है. चना का दाल एक सप्ताह पूर्व तक 60 रुपये किलो बिक रहा था. लोग चना के दाल से काम चला रहे थे. चना दाल की मांग बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी बढ़ गये. चना दाल 80 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि चना 70 रुपये बिक रहा है. अरहर की दाल में पहले से आग लगी हुई है. मूंग, उड़द सहित अन्य के दाल भी लोगों के बजट से बाहर हो गया है.
सब्जी के उत्पादन पर पड़ा असर : तेज धूप की वजह से सब्जी की फसल को नुकसान पहुंच रहा है. इसका सीधा असर सब्जी के उत्पादन पर पड़ा है. हरी सब्जी के दाम में दो गुना तक बढ़ोतरी हो गयी है. भिंडी, करेली 40 रुपये किलो की दर से बाजार में बिक रही है. तीन दिन पूर्व तक ये दोनों सब्जी 25 से 30 रुपये किलो की दर से बिक रही थी. इसी तरह परवल 35 से 40 रुपये किलो की दर से बिक रहा है
. कटहल, सजन, घेरा, कद्दू, पपीता, आलू के दाम में भी वृद्धि हो गयी है. इसके कारण लोगों के किचन से अब सब्जी भी गायब हो रही है. हरी सब्जी का सेवन नहीं कर पाने के कारण लोगों स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है.
चावल, आटा व सरसों तेल भी महंगा : आम लोगों को इन दिनों खाने के सामान में हर दो से तीन दिन में वृद्धि हो जा रही है. जरूरी अनाज में शुमार चावल, आटा तक महंगा हो गया है.
इसमें कोई भी परिवार चाहकर भी कटौती नहीं कर सकता है. साधारण चावल भी 35 रुपये से ऊपर बिक रहा है. इसके ऊपर तो 40 से सौ रुपये किलो की दर से चावल की बिक्री हो रही है. ऐसे में गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के लोग घटिया चावल ही खाकर किसी तरह पेट भर रहे हैं. एक ओर गेहूं सस्ते दाम में किसान बेच रहे हैं, लेकिन आटा अब भी 22 से 25 रुपये किलो की दर से बिक र है. रोजमर्रारा के सामान के दाम रोज बढ़ जाते हैं.
दुकानदार कहते हैं क्या करें रोज दाम ही बढ़ रहा है. यही स्थिति रही तो गरीब के थाली से भोजन भी कहीं दूर नहीं हो जाय. केंद्र व राज्य सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह से फेल साबित हो रही है. बाजार में जिसका जो मन हो रहा है, उसी रेट पर सामान की बिक्री कर रहा है.
फलों के दाम भी बढ़े : फलों के दाम बढ़ने से भी लोग इसका मजा लेने से अब कतरा रहे हैं. मूल्य बढ़ जाने से आमलोग ठीक से भोजन नहीं कर पा रहे हैं, तो फल कैसे खायेंगे. वैसे भी फल तभी लोग खाते हैं, जब उनका पेट भरा हुआ होता है. खाली पेट फल पर्व त्योहार में ही खाते हैं. सेब, मौसमी, अनार, संतरा, केला, तरबूज आदि के दाम में इजाफा हो गया है. हालांकि संपन्न लोग फलों का सेवन कर रहे हैं. उन्हें महंगाई से कोई लेना देना भी नहीं होता है.

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