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आयरनयुक्त पानी पीकर अपाहिज हो रहे हैं लोग

कटिहार : शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका है. लोग आयरन युक्त पानी पीने को विवश हो रहे हैं. इससे लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, जबकि करोड़ों की लागत से शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर पानी टंकी का निर्माण कार्य कराया गया है. इसके […]

कटिहार : शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका है. लोग आयरन युक्त पानी पीने को विवश हो रहे हैं. इससे लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, जबकि करोड़ों की लागत से शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर पानी टंकी का निर्माण कार्य कराया गया है. इसके बावजूद शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है.

कटिहार को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा मिले करीब साढ़े चार साल गुजर गये, लेकिन इसके बावजूद शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका है. निगम का दर्जा मिलने के बाद शहर वासियों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही पेयजल सहित अन्य समस्याओं का समाधान होगा, परंतु किसी समस्या का समाधान तो नहीं हुआ लेकिन विभिन्न तरह के भारी-भरकम टैक्स जरूर चुकाने पड़ रहे हैं.

सवाल उठता है कि निगम क्षेत्र के लोगों को आखिर शुद्ध पेयजल क्यों नहीं नसीब हो रहा है. इसके लिए जिम्मेवार कौन है. प्रभात खबर ने रविवार को पेयजल की समस्या का पड़ताल किया है और जानने का प्रयास किया है कि इससे लोगों को किस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

फिल्टर युक्त चापाकल बेकार
आयरनयुक्त पानी पीने से निजात दिलाने के लिए पांच वर्ष पूर्व प्रत्येक वार्ड में एक से अधिक फिल्टरयुक्त चापाकल लगाया गया था. मंशा यह थी कि लोगों को आयरन मुक्त पीने की पानी मिल सके, लेकिन यह फिल्टरयुक्त चापाकल भी लोगों के लिए ज्यादा दिनों तक कारगर साबित नहीं हुआ.
कुछ चापाकल के यंत्र पर चोरों ने हाथ साफ कर लिए है तो कुछ से शुद्ध पानी निकलना बंद हो गया है. देख-रेख व सुरक्षा के अभाव में यह चापाकल भी बेकार हो गया.
पूर्व में होती थी पानी की सप्लाई
शहर के कुछ हिस्सों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति 20 वर्ष पूर्व में होती थी, लेकिन पिछले लगभग 20 वर्षों से पानी देना बंद कर दिया है. यह पानी की आपूर्ति पानी टंकी चौक के रूप में मशहूर पानी टंकी से होता था.
उस समय कटिहार को नगर परिषद का ही दर्जा प्राप्त था. अब नगर निगम का दर्जा प्राप्त होने से इसका और ज्यादा विकास होना चाहिए. लोगों को मूलभूत सुविधा प्रदान होना चाहिए था, लेकिन यहां तो शुद्ध पेयजल पर भी आफत है.
पानी का रंग हो जाता है पीला
शहर के लोग किस तरह का पानी पीने को विवश हो रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ देर तक बरतन में पानी रखने पर पानी पीला हो जाता है. यही नहीं कपड़ा साफ करने पर वह भी पीला हो जाता है. चापाकल के आसपास पीला टाइप का कजली पड़ जाता है. लोग वैसे पानी को पीने को विवश हो रहे हैं. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों के स्वास्थ्य पर किस तरह का असर पड़ रहा होगा.
निगम को देना होगा ध्यान
अगले वर्ष 2016 में नगर निगम के चुने गये वार्ड पार्षदों का समय सीमा समाप्त हो जायेगा. यानी नये सिरे से चुनाव होगा. ऐसे में शहर वासी अपने प्रतिनिधियों से सवाल जरूर करेंगे कि पांच वर्षों में आपने हमें क्या दिया. शुद्ध पेयजल की भी बात उठेगी. ऐसे में निगम प्रशासन, मेयर, उप मेयर, वार्ड पार्षदों को संयुक्त रूप से शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस पहल करना होगा. इसके साथ ही पीएचइडी विभाग को पर दबाव बनाना होगा. अन्यथा शहर के लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आकर यों ही बीमार होते रहेंगे.
कहते हैं मेयर
नगर निगम के मेयर विजय सिंह ने कहा कि शहर वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में शीघ्र ही एक बैठक बुलायी जायेगी. इसमें पानी टंकी को चालू कराने की दिशा में रणनीति तैयार की जायेगी, तािक लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया करायी जा सके.

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