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बिन मौसम बरसात ने किसानों को किया बरबाद, दोहरी मार ङोल रहे किसान

कटिहार: जिले के अन्नदाता दोहरी मार ङोल रहे हैं. एक तो गेहूं के बाली में दाना नहीं आने से किसान हताश हैं तो दूसरी ओर बिन मौसम बरसात व तेज हवा ने किसानों के बचे हुए अरमान को चकनाचूर कर दिया. अभी भी 20 फीसदी किसानों के गेहूं खेत में लगे हैं. बिन मौसम बारिश […]

कटिहार: जिले के अन्नदाता दोहरी मार ङोल रहे हैं. एक तो गेहूं के बाली में दाना नहीं आने से किसान हताश हैं तो दूसरी ओर बिन मौसम बरसात व तेज हवा ने किसानों के बचे हुए अरमान को चकनाचूर कर दिया.
अभी भी 20 फीसदी किसानों के गेहूं खेत में लगे हैं. बिन मौसम बारिश व तेज हवा खेत में लगे गेहूं को बरबाद करने पर तूली है. गेहूं की बाली में दाना नहीं आने से परेशान किसान भविष्य को लेकर चिंतित हैं. जिला कृषि विभाग द्वारा गेहूं के नुकसान का आकलन धीमी गति से हो रहा है. आकलन का कोई मॉनिटरिंग भी नहीं किया जा रहा है. एक तो पहले ही किसान धान को औने-पौने कीमत पर बेच कर गेहूं का खेती किया. अब मौसम की वजह से गेहूं भी दगा दे गया. ऐसे में किसानों के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया.
कछुआ गति से हो रहा सर्वे का काम : जिला कृषि विभाग के अनुसार गेहूं की क्षति का आकलन के लिए प्रखंड कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि गेहूं की क्षति का आकलन व प्रभावित किसानों से आवेदन लिया जा रहा है. लेकिन यह कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. दर्जनों किसान तो प्रभावित गेहूं को कटनी भी कर लिया है. ऐसे किसानों का कहना है कि खेत खाली होगी तभी दूसरी फसल लग सकती है.
केस स्टडी -एक
हसनगंज प्रखंड अंतर्गत कालसर के किसान विद्यानंद विश्वास व इंदिरा देवी ने पिछले दिनों खेत में लगे गेहूं की फसल को आग के हवाले कर दिया. यह तो महज बानगी है. जिले भर में ऐसी स्थिति बनी हुई है. दोहरी मार ङोल रहे किसानों में आक्रोश भी पनप रहा है. ऐसे किसानों का आरोप है कि जांच व आकलन के नाम पर कृषि विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रही है.
केस स्टडी-दो
डंडखोरा प्रखंड के तीनधरिया के जीतन पासवान के डेढ़ एकड़ में लगी गेहूं के बाली में दाना नही है. इसी तरह राम बिहारी सिंह, गणोश मंडल, माजिद खान, हरिमोहन सिंह, कुसुम लाल उरांव, नरेश विश्वास, नरेश ठाकुर, ललन मंडल, हीरा गुप्ता, चंदन गुप्ता, कृत्यानंद यादव, राजेश गुप्ता, प्रमोद गुप्ता सहित इस प्रखंड के दर्जनों किसान ऐसे हैं जिसके कुछ खेतों में लगे गेहूं की बाली में दाना नहीं है. इन किसानों की माने तो अगली फसल बोने के लिए खेत भी खाली करना है. इसी प्रखंड में ऐसे किसान भी हैं, जिनका गेहूं ठीक है. खेत में अभी तक लगे हैं. लेकिन बिन मौसम बरसात ने ऐसे में किसानों को गेहूं तैयार करने का मौका नहीं दे रहे हैं.
दाना नहीं आने की भी हो जांच : इन किसानों का कहना है कि सरकार फसल की क्षति का आकलन कर मुआवजा दे देगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर किन कारणों से गेहूं की बाली में दाना नहीं आया. सूत्रों की माने तो शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नकली खाद-बीज का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. सरकार की ओर से इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रहा है. इसके पीछे भी खाद-बीज तैयार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां है. ऐसी कंपनी कुछ अच्छे खाद-बीज की आड़ में नकली खाद-बीज भी सप्लाइ कर देते हैं. किसानों को खाद-बीज की खरीद पर पक्की बिल भी नहीं देते हैं. जानकार बताते है, बाजार में ऐसे बीज भी किसानों को दिया जाता है जो इस क्षेत्र के मिट्टी के लिए उपयरुक्त ही नहीं है. इन बिंदुओं पर जांच करने को लेकर विभाग अब तक खामोश रहा है.

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