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अचानक बढ़ा गंगा का जलस्तर सैकड़ों एकड़ फसल बरबाद

कुरसेला (कटिहार): गंगा नदी में बेमौसम जलवृद्धि से मलेनिया सहित अन्य दियारा क्षेत्रों की सैकड़ों एकड़ मौसमी फसल डूब कर बरबाद हो गयी. फसल के डूबने से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है. असमय जल वृद्धि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. एक पखवारा के बीच गंगा नदी के जल स्तर […]

कुरसेला (कटिहार): गंगा नदी में बेमौसम जलवृद्धि से मलेनिया सहित अन्य दियारा क्षेत्रों की सैकड़ों एकड़ मौसमी फसल डूब कर बरबाद हो गयी. फसल के डूबने से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है. असमय जल वृद्धि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. एक पखवारा के बीच गंगा नदी के जल स्तर में दूसरी बार वृद्धि हुई है.

जल स्तर में तकरीबन चार फीट तक की वृद्धि से मलेनिया में गंगा नदी क्षेत्र में आठ सौ एकड़ के करीब भू-भाग पर लगे तरबूज, ककड़ी, फुट, खीरा आदि के पौधे डूब कर बरबाद हो गये हैं. इसी तरह पत्थल टोला, तीनधरिया, खेरिया, गोबराही क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फल व सब्जियों के पौधे नष्ट हो गये हैं. गंगा नदी में यह जल वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब पौधे में फल लगना शुरू हुआ है. किसान एक पखवारे में इन मौसमी फलों व सब्जियों की बिक्री कर पाते हैं. इस स्थिति में फसलों की क्षति ने किसानों को विचलित कर दिया है.

उत्तराखंड में वर्षा का असर : माना जा रहा है कि उत्तराखंड में अधिक वर्षा होने से गंगा नदी में अचानक उफान आया है. दूसरी वजह गंगा नदी में बड़े जहाज के परिचालन के लिए जल के कम होने से फरक्का बराज का बंद होना बताया जा रहा है. किसानों का कहना था कि विगत तीन वर्षो से गंगा नदी में असमय जल वृद्धि हो रहा है, जिसकी वजह से किसान को नुकसान उठाना पड़ता है.
जिला पदाधिकारी से मुआवजे की मांग
फसल मुआवजा को लेकर किसान राकांपा नेता सह सांसद प्रतिनिधि विनोद झा व लोक कल्याण समिति के मनोज जायसवाल के नेतृत्व में जिला मुख्यालय में डीएम से मिलेंगे. सांसद प्रतिनिधि श्री झा ने बताया कि गरीब किसानों को बाढ़ से फसल क्षति का मुआवजा मिलना चाहिए. मुआवजा नहीं मिलने की स्थिति में कृषक चरणबद्ध आंदोलन को बाध्य होंगे.
विधायक ने राज्य सरकार से मांगी क्षतिपूर्ति
विधायक विभाष चंद्र चौधरी ने कहा कि गंगा नदी में असमय जल वृद्धि से किसानों को भारी क्षति पहुंची है. सैकड़ों एकड़ की मौसमी फसल डूब कर बरबाद हो चुकी है. इस बरबादी से किसान कर्ज में डूब गये हैं. राज्य सरकार इन किसानों को शीघ्र फसल क्षति का मुआवजा दे.
कर्ज से की थी खेती
मौसमी सब्जियों व फलों की खेती करने वाले किसानों का कहना था कि प्रति एकड़ तीस से पैंतीस हजार रुपये खेती पर खर्च आया है. लागत पूंजी राशि का जुगाड़ ब्याज पर कर्ज लेकर करते हैं. किसानों का जीविकोपाजर्न इसी खेती पर निर्भर करता है. खेती के डूबने से वर्ष भर पारिवारिक भरण-पोषण की समस्याएं खड़ी हो गयी है. फसलों के डूबने से कर्ज का चुकता करना कठिन हो गया है.

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