प्रतिनिधि, कदवावन विभाग के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत एवं उदासीनता के कारण हरे एवं सूखे पेड़ों की कटाई आबाद गति से जारी है. फलस्वरूप न केवल इससे स्वच्छ वातावरण प्रदूषित हो रहा है. वरन् सरकार को भारी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. जानकारी के अनुसार आये दिन हरे वृक्षों की कटाई प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी के माफियाओं द्वारा बेखौफ की जाती रही है. वरन् सूखे वृक्षों की भी कटाई वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी के मिलीभगत तथा उदासीनता के कारण सस्ते दरों पर की जा रही है. उदाहरण स्वरूप प्रखंड के कुम्हड़ी सोनैली पीडब्ल्यूडी पथ अंतर्गत चपरघट मोड़ के पास सड़क के किनारे पिछले कई माह से गिरा एक शीशम का पेड़ जिसकी गोलाई पांच फीट एवं लंबाई बीस फीट से अधिक होगी को स्थानीय लोगों द्वारा काट कर ले जाया गया. आश्चर्य पहलू तो यह है कि प्रखंड मुख्यालय कदवा से सोनैली जाने वाली इस पीडब्ल्यूडी पथ सड़क के किनारे सूखे शीशम वृक्ष की कटाई हो गयी व वन विभाग के पदाधिकारी व कर्मचारी को पता तक नहीं चला, यह कैसे संभव है न जाने ऐसे कितने वृक्षों की कटाई की गयी होगी और होना बाकी है. बहरहाल जो भी हो ऐसे हरे एवं सूखे वृक्षों की कटाई किये जाने से न केवल वातावरण प्रदूषित हो रहा है. वरन् सरकार को भारी नुकसान भी हो रहे हैं. कहते हैं वन अधिकारीकदवा प्रखंड के वन विभाग के फॉरेस्ट ऑफिसर बिजनेश्वर झा कहते हैं कि वृक्ष की कटाई की जानकारी मुझे नहीं है. मैं स्थल निरीक्षण करूंगा, मामला सही होने पर उचित कार्रवाई की जायेगी.
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अवैध रूप से काटे जा रहे हरे पेड़
प्रतिनिधि, कदवावन विभाग के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत एवं उदासीनता के कारण हरे एवं सूखे पेड़ों की कटाई आबाद गति से जारी है. फलस्वरूप न केवल इससे स्वच्छ वातावरण प्रदूषित हो रहा है. वरन् सरकार को भारी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. जानकारी के अनुसार आये दिन हरे वृक्षों की कटाई प्रखंड […]
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