फोटो संख्या-37,38 कैप्सन-संबोधित करते आचार्य सुदर्शन जी महाराज व उपस्थित श्रद्धालु.प्रतिनिधि, बारसोईआज के बच्चों में संस्कार समाप्त होता जा रहा है. वे छोटे-बड़े में अंतर भूल रहे हैं. अगर समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो आनेवाला वक्त अंधकारमय हो जायेगा. बच्चों में अगर संस्कार देना है, तो गुरु अर्थात शिक्षक का सम्मान अभिभावकों को भी करना होगा. यह बातें कथा वाचक परम पूज्य आचार्य सुदर्शन जी महाराज ने कही. वे आदर्श उच्च विद्यालय बारसोई घाट के मैदान में बोल रहे थे. उन्होंने अभिभावकों को आगाह करते हुए कहा कि बच्चे बड़ों की नकल करते हैं. अभिभावक यदि शिक्षक का सम्मान नहीं करेंगे तो उनके मन में भी अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना नहीं जगेगी. शिक्षकों का सम्मान करने से ही उनमें ज्ञान आयेगा. आचार्य जी महाराज ने कहा कि लोग राम राज्य की चाहत रखते हैं, लेकिन उनके आदर्शों व संस्कारों का पालन नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पहले हमें राम के आदर्श को मानना होगा. उनके त्याग से शिक्षा लेनी होगी. तभी हम राम राज्य की कल्पना कर सकते हैं. महाराज जी ने कहा कि मेरा यही प्रयास है कि सबों में संस्कार, त्याग व बलिदान स्थापित हो, तभी हमारा उद्देश्य पूर्ण होगा.
संस्कार बिना बेहतर समाज की कल्पना बेमानी : सुदर्शन जी महाराज
फोटो संख्या-37,38 कैप्सन-संबोधित करते आचार्य सुदर्शन जी महाराज व उपस्थित श्रद्धालु.प्रतिनिधि, बारसोईआज के बच्चों में संस्कार समाप्त होता जा रहा है. वे छोटे-बड़े में अंतर भूल रहे हैं. अगर समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो आनेवाला वक्त अंधकारमय हो जायेगा. बच्चों में अगर संस्कार देना है, तो गुरु अर्थात शिक्षक का सम्मान अभिभावकों […]
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