फोटो नं. 37 कैप्सन-कटाव पीडि़त मांगों को लेकर प्रदर्शन करते प्रतिनिधि, कुरसेलारेलवे क्षेत्र से कटाव विस्थापितों के हटने के फरमान से सैकड़ों परिवारों के समक्ष आश्रय की मुश्किलें खड़ी हो गयी है. कटाव विस्थापित परिवार रेलवे क्षेत्र के जमीन को खाली करने के सूचना के विरोध में गोलबंद हो चुके हैं. विस्थापित परिवार रेलवे निर्णय के खिलाफ में चरणबद्ध आंदोलन पर उतारू हो सकते हैं. इन परिवारों का कहना है कि सरकारी स्तर पर पुनर्वास कराये जाने पर वह रेलवे के जमीन को खाली कर देंगे. पुनर्वास पूर्व रेलवे के जमीन को छोड़ना संभव नहीं है. सरकार और प्रशासन से कटाव विस्थापित होने के बाद पुनर्वास के नाम पर डेढ़ दशकों से महज आश्वासन मिल रहा है. मजबूरन रेलवे क्षेत्र के जमीन में विस्थापितों को आश्रय लेना पड़ा है. घर उजाड़ कर परिवार और बच्चों को लेकर आखिर वह कहां जायें. ऐसे में आश्रय रक्षा के लिए विस्थापित परिवार चरणबद्ध आंदोलन को बाध्य हो गये हैं. गौरतलब है कि मलेनियां गांव के सैकड़ों कटाव विस्थापित परिवार रेलवे लाइन किनारे लगभग डेढ़ दशकों से अधिक समय से घर बना कर रहते आ रहे हैं. सरकारी स्तर पर प्रयासों के बाद इन विस्थापित परिवारों का पुनर्वास नहीं हो सका है. जिला परिषद उमेश यादव ने कहा कि विस्थापितों के पुनर्वास के लिये अंचल पदाधिकारियों को ज्ञापन दिया जायेगा. पुनर्वास पूर्व रेलवे क्षेत्र के जमीन से कटाव विस्थापित परिवारों को हटाना उचित नहीं है.
कटाव विस्थापित परिवारों पर मुसीबत
फोटो नं. 37 कैप्सन-कटाव पीडि़त मांगों को लेकर प्रदर्शन करते प्रतिनिधि, कुरसेलारेलवे क्षेत्र से कटाव विस्थापितों के हटने के फरमान से सैकड़ों परिवारों के समक्ष आश्रय की मुश्किलें खड़ी हो गयी है. कटाव विस्थापित परिवार रेलवे क्षेत्र के जमीन को खाली करने के सूचना के विरोध में गोलबंद हो चुके हैं. विस्थापित परिवार रेलवे निर्णय […]
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