लेकिन मूक -बधिर हो चुका जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को नि:शक्ता के बीच नारकीय जीवन गुजार रहे इस वंचित समाज की सुधि नहीं है. जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति की कमी की वजह से भी नि:शक्त जन की पीड़ा समाप्त नहीं हो रही है. केंद्र व राज्य सरकार नि:शक्त जनों के लिए कई कानूनी पेच व नियमों के कार्यान्वयन में लापरवाही के कारण नि:शक्तों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिला पदाधिकारी प्रकाश कुमार चिकित्सकों की कमी बता कर भले ही अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करें. लेकिन यह सबको पता है कि एक डीएम को कई तरह के अधिकार दिये गये हैं. प्रभाव व समन्वय से डीएम जिले के नि:शक्त जनों की समस्याओं को दूर कर सकते हैं.
Advertisement
नि:शक्तों की योजनाओं पर कुंडली मारे बैठी है साहबगीरी
कटिहार: कटिहार जिले में वंचित समाज 21 वीं सदी में भी समाज की मुख्यधारा से कटा हुआ है. ऐसे समाज की चिंता न तो रहनुमाओं को नहीं है. प्रभात खबर अपनी सामाजिक सरोकार की प्रतिबद्धता के तहत जिले के नि:शक्त जनों की स्थिति श्रृंखला के रूप में शुक्रवार व शनिवार के अंक में प्रकाशित की. […]
कटिहार: कटिहार जिले में वंचित समाज 21 वीं सदी में भी समाज की मुख्यधारा से कटा हुआ है. ऐसे समाज की चिंता न तो रहनुमाओं को नहीं है. प्रभात खबर अपनी सामाजिक सरोकार की प्रतिबद्धता के तहत जिले के नि:शक्त जनों की स्थिति श्रृंखला के रूप में शुक्रवार व शनिवार के अंक में प्रकाशित की. हालांकि, ये महज उदाहरण है. जिले में ऐसे सैकड़ों नि:शक्त जन हैं, जो समाज से कटे हुए हैं. अपनी नि:शक्तता को प्रमाणित करने के लिए नि:शक्त जन कभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का चक्कर लगाते हैं, तो कभी सदर अस्पताल का चक्कर लगाते हैं.
उदासीन है जिला प्रशासन
जिले में सैकड़ों नि:शक्त जन ऐसे हैं, जो प्रमाण पत्र बनाने के लिए अपने गांव से हर रोज सदर अस्पताल में चक्कर लगाते हैं. करीब दो वर्ष से मूक -बधिर नि:शक्त जनों का जांच के अभाव में प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. दूसरे प्रकार के नि:शक्त जन भी प्रमाण पत्र के लिए जद्दोजहद कर रहा है. जिला पदाधिकारी श्री कुमार कहते हैं कि मूक-बधिर के जांच के लिए कटिहार जिले में सरकारी चिकित्सक नहीं हैं. जबकि कटिहार मेडिकल कॉलेज सहित शहर में कई चिकित्सक हैं, जो नि:शक्तता की जांच कर सकते हैं. दूसरी ओर राज्य सरकार ने निजी चिकित्सक से जांच कराने तथा उन्हें पारिश्रमिक देने संबंधी अधिसूचना भी जारी किया है. जिला पदाधिकारी कटिहार मेडिकल कॉलेज, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से समन्वय करके इस समस्या का समाधान कर सकते हैं तथा मूक -बधिर सहित अन्य प्रकाश के नि:शक्तता की जांच कर जरूरतमंद को प्रमाण पत्र दिया जा सकता है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में 91 हजार के आसपास नि:शक्त जन है. लेकिन नि:शक्त जनों की समस्या का समाधान किसी भी राजनीतिक दल अथवा जनप्रतिनिधियों के एजेंडे में नहीं है. अपने हाल पर जीवन-यापन कर रहे नि:शक्त जन को प्रमाण पत्र नहीं मिलने से उसे सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
जांच के बाद भी 365 लोगों को नहीं मिला प्रमाण-पत्र
सदर अस्पताल परिसर में संयुक्त पुनर्वास केंद्र पटना द्वारा 16 मार्च 2012 को शिविर आयोजित कर 365 मूक -बधिर व मानसिक रूप से नि:शक्त जनों का स्वास्थ्य जांच हुआ था. जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग के संचिका संख्या – 3-18/2012/88 – स सु दिनांक 03.03.2012 के आदेश पर जांच शिविर में कोशी क्षेत्रीय विकलांग वृद्ध कल्याण समिति कटिहार ने सक्रिय सहयोग किया था. लेकिन आज तक 365 मूक-बधिर व मानसिक नि:शक्त को प्रमाण पत्र नहीं मिला.
कहते हैं जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र के सचिव
इस संदर्भ में जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र के सचिव शिव शंकर रमानी कहते हैं कि इन समस्याओं से कई बार जिला पदाधिकारी व अन्य अधिकारी को अवगत कराया गया. अब तो नि:शक्तजन हताश हैं. उनकी समस्याओं को तुरंत हल किया जायेगा.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement