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रोज 40 लोग होते हैं ट्रैफिकिंग के शिकार
कटिहार : विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठन द्वारा समय-समय पर आने वाले अध्ययन रिपोर्ट में भी कटिहार को ट्रैफिकिंग के मामले में ट्रांजिट प्वाइंट के रूप माना है. यहां का रेलवे जंक्शन व बस स्टैंड ट्रेफकरों के लिए सेफ जोन है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षो से सरकार व गैर सरकारी स्तर पर ट्रैफिकिंग के […]
कटिहार : विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठन द्वारा समय-समय पर आने वाले अध्ययन रिपोर्ट में भी कटिहार को ट्रैफिकिंग के मामले में ट्रांजिट प्वाइंट के रूप माना है. यहां का रेलवे जंक्शन व बस स्टैंड ट्रेफकरों के लिए सेफ जोन है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षो से सरकार व गैर सरकारी स्तर पर ट्रैफिकिंग के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान से सिविल सोसाइटी व आमलोगों में इसके प्रति जागरूकता आयी है.
लेकिन ट्रैफिकिंग की घटनाएं रुकी नहीं हैं. आंकड़े बताते हैं कि ट्रैफकिंग के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. यद्यपि ट्रैफिकिंग करने वाले दलाल ने बदलती स्थिति के मद्देनजर ट्रैफिकिंग के लिए अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है. वर्ष 2014 में कटिहार जिले में हुई आपराधिक घटनाओं में सर्वाधिक मामला ट्रैफिकिंग का ही है.
अगस्त तक 316 मामले हुए हैं दर्ज
वर्ष 2014 के जनवरी से अगस्त तक आंकड़ों पर गौर करें तो अन्य आपराधिक घटनाओं में सर्वाधिक घटनाएं ट्रैफिकिंग की हुई है. साथ ही हर महीने ट्रैफिकिंग के मामलों में वृद्धि हुई है. अगर जनवरी से अगस्त 2014 के आंकड़ों पर भरोसा करें, तो कटिहार जिले में प्रतिदिन औसतन 40 ट्रैफिकिंग की घटनाएं हुई है. यह विभागीय आंकड़ा जिला प्रशासन व सिविल सोसाइटी के लिए चुनौती है. साथ ही मानवाधिकार की दुहाई देनेवाले गैर सरकारी संगठन के लिए भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है.
ट्रैफिकिंग के भी हैं कई कारण
कटिहार जिला से बंगलादेश-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा काफी नजदीक है. साथ ही पश्चिम बंगाल एवं झारखंड की सीमा को भी छूता है. यहां से देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनें जाती हैं. साथ ही कई शहरों के लिए सीधी बस सेवा भी है. इस जिले के सर्वाधिक आबादी बाढ़ व कटाव से प्रभावित होते हैं. आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन की वजह लोग रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे बड़े शहर पलायन करते हैं. ट्रैफिकिंग की घटनाओं को अंजाम देने वाले ट्रेफेकर लोगों की गरीबी व अशिक्षित होने का लाभ उठाते हैं.
कई तरह का दिखाते हैं सब्जबाग
इस जिले से कोशी-महानंदा के इलाके में ट्रेफेकर समय के साथ अपनी रणनीतियों में भी बदलाव करता रहा है. ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम करने वाले संगठनों की माने तो ट्रैफेकर का नेटवर्क काफी मजबूत है. वह इस तरह का सब्जबाग व जाल फैलाता है कि साधारण गरीब व अशिक्षित परिवार को लोग आसानी से फंस जाते हैं. लड़कियों को नौकरी दिलाने, शादी करके रानी की तरह रखने, प्रेम करने जैसे विविध तरह से भोली-भाली लड़की व उसके परिवार को अपने जाल में फंसाते हैं. समाज के कुछ लोगों को भी ट्रेफेकर अपने विश्वास में ले लेता है. इसी तरह ट्रेफेकर अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं और बेचारी लड़की का जीवन नरक बन जाता है. आंकड़े जो प्रस्तुत किये गये हैं, वह विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर किया गया है. कई मामले तो थाने तक पहुंचते ही नहीं है. गुपचुप तरीके से ट्रेफेकर अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं. अगर गांव स्तर पर वास्तविक सर्वे कराया जाय, तो ट्रैफिकिंग के मामले में स्थिति और भी विस्फोटक हो सकती है.
कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता
ट्रैफिकिंग के विरुद्ध काम करने वालीसंगठन सितारा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्र की माने तो कटिहार जिले में ट्रैफिकिंग एक बड़ी समस्या है. अभी हाल ही में नेपाल में संपन्न हुए सार्क सम्मेलन में भी ट्रैफिकिंग को चुनौती के रूप में लिया गया है. कटिहार जिले में गठित एंटी ट्रैफिकिंग सेल को सक्रिय कर इसकी रोकथाम किया जा सकता है.
कहते हैं डीएम
मामले में डीएम प्रकाश कुमार ने बताया कि जिले में एनटी ट्रैफिकिंग सेल नियमित रूप से कार्य कर रहा है. लेकिन, इसे रोकने के लिए समाज के लोगों को भी आगे आना होगा.
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