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जिले के सरकारी अस्पतालों से मरीजों को हो रहा मोहभंग
कटिहार : स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण सदर अस्पताल में मरीज की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. खासकर प्रसव गृह में गर्भवती महिला काफी कम में भर्ती हो रही है. प्राइवेट क्लीनिकों में उपचार कराने में लोग ज्यादा दिलचस्पी रख रहे हैं. जिसके कारण इन दिनों प्राइवेट क्लीनिक में मरीजों की संख्या […]
कटिहार : स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण सदर अस्पताल में मरीज की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. खासकर प्रसव गृह में गर्भवती महिला काफी कम में भर्ती हो रही है. प्राइवेट क्लीनिकों में उपचार कराने में लोग ज्यादा दिलचस्पी रख रहे हैं. जिसके कारण इन दिनों प्राइवेट क्लीनिक में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल से लेकर प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है.
इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में सार्थक पहल नहीं किया जा रहा है. जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में चिकित्सक की कमी रहने के कारण व्यवस्था दिन-प्रतिदिन लचर होती जा रही है. जिसके कारण सदर अस्पताल में भी मरीज की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. हालांकि सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने चिंता जाहिर करते हुए व्यवस्था में सुधार करने की बात कही है. सदर अस्पताल में मात्र 24 चिकित्सक में 12 चिकित्सक के बल पर सदर अस्पताल का संचालन होता है. जिसमें 17 चिकित्सक नियमित हैं. सात चिकित्सक संविदा पर हैं. 24 चिकित्सक में से 4 चिकित्सक एसएनसीयू संचालन करने के लिए अधिकृत किया गया है. पांच चिकित्सक प्रसव गृह को संचालन करने के लिए अधिकृत किया गया है. शेष 15 चिकित्सक में तीन चिकित्सक प्रतिदिन किसी न किसी मामले की गवाही देने के लिए न्यायालय चले जाते हैं. शेष 12 चिकित्सक के भरोसे सदर अस्पताल का संचालन किया जा रहा है. जबकि सदर अस्पताल संचालन के लिए कम से कम पांच दर्जन चिकित्सक की आवश्यकता है. सदर अस्पताल में कहने के लिए महिला चिकित्सक 9 हैं. 9 में से एक महिला चिकित्सक दांत विशेषज्ञ के रूप में अधिकृत हैं. एक महिला चिकित्सक एनेस्थेसिया के लिए अधिकृत हैं. दो महिला चिकित्सक एसएनसीयू के लिए अधिकृत है. पांच महिला चिकित्सक प्रसव क्रिया के लिए अधिकृत किया गया है. जिसके कारण ओपीडी संचालन में प्रसव क्रिया में प्रतिनियुक्त महिला चिकित्सक को ही ड्यूटी करना पड़ता है. महिला चिकित्सक की कमी रहने के कारण प्रसव गृह हमें मरीजों के साथ-साथ अस्पताल प्रबंधन को भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. प्रसव गृह में प्रसव कार्य में व्यस्त रहने के कारण महिला चिकित्सक ओपीडी ड्यूटी करने में उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में सदर अस्पताल में 9448 महिला प्रसव क्रिया में नवजात शिशु को जन्म दिया है. जिसमें सर्जरी के माध्यम से 700 महिला नवजात शिशु को जन्म दिया है. इस प्रकार 10 प्रतिशत महिला महिलाओं का सर्जरी कर किया जाता है. जबकि प्राइवेट क्लीनिकों में इस आंकड़े के दुगुने मरीज प्रसव गृह में नवजात शिशु को जन्म देती हैं.
कहते हैं उपाधीक्षक : सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ योगेंद्र प्रसाद भगत ने कहा कि चिकित्सक की कमी रहने के बावजूद भी सदर अस्पताल में मरीजों की सेवा बेहतर दिया जा रहा है. डॉ भगत ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में 9488 महिलाओं ने प्रसव गृह में नवजात शिशु को जन्म दिया है. जिसमें 700 महिलाओं का ऑपरेशन कर सीजर ऑपरेशन कर नवजात शिशु को जन्म दिया है. डॉ भगत ने कहा कि अप्रैल-मई में औसतन आम महीनों के अपेक्षा शिशुओं का जन्म कम होता है. अगस्त-सितंबर,अक्तूबर, नवंबर माह में अधिक शिशु का जन्म होता है.
मार्च 2017 में एक भी प्रसूता नहीं हुईं भर्ती
सदर अस्पताल रोगी कल्याण समिति से मिले आंकड़े के अनुसार वर्ष 2017 मार्च महीने में एक भी प्रसव गृह में महिला भर्ती नहीं किया गया है. अप्रैल माह में 598, मई में 566, जून में 602, जुलाई में 783, अगस्त में 1039, सितंबर में 1064, अक्टूबर में 918, नवंबर में 895, दिसंबर में 811, जनवरी 2018 में 773, फरवरी 2018 में 718, मार्च 2018 में 721 महिला ने सदर अस्पातल में नवजात शिशु को जन्म दिया.
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