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झड़ रहे हैं सरसों के फूल

हसनगंज : हसनगंज प्रखंड में जारी शीतलहर से सरसों की खेती करने वाले किसानों की परेशानियां बढ़ने लगी है. कुहासे व शीतलहर के कारण सरसों की फसल को नुकसान होने की आशंका जतायी जा रही है. इसको लेकर दर्जनों किसानों में पूर्व मुखिया मो सलीम, शेख सफीक, अब्दुल वाहिद, प्रमोद यादव, राजेंद्र यादव, मो हबीब, […]

हसनगंज : हसनगंज प्रखंड में जारी शीतलहर से सरसों की खेती करने वाले किसानों की परेशानियां बढ़ने लगी है. कुहासे व शीतलहर के कारण सरसों की फसल को नुकसान होने की आशंका जतायी जा रही है. इसको लेकर दर्जनों किसानों में पूर्व मुखिया मो सलीम, शेख सफीक, अब्दुल वाहिद, प्रमोद यादव, राजेंद्र यादव, मो हबीब, जनार्दन ठाकुर आदि किसानों ने बताया कि भीषण बाढ़ में बर्बाद हुए खरीफ खेती में एक चुटकी अनाज के लिए हमलोग तरस गये हैं. दूसरी तरफ अब शीतलहर और बढ़ते ठंड से सरसों की फसल प्रभावित हो रही है.

यह समय सरसों में फूल आने का है. घने कोहरे से इसके फूलों को नुकसान हो रहा है. इस कारण इसमें माहू व चेपा रोग का प्रकोप बढ़ सकता है. ज्यादा दिनों तक कोहरा पड़ता रहा तो तिलहन की फसलों का उत्पादन आधा रह जायेगा. पिछात खेती में कोई वृद्धि नहीं आ पायेगी. कृषि वैज्ञानिक अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि घने कुहासे व ठंड के कारण सरसों की फसल प्रभावित हो रही है. शीतलहर में सरसों फसल को धूप लगने के बाद खराबी होने का आशंका नहीं रहती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ठंड के कारण सरसों की पत्तियां मुरझाने लगती है, जिसे लादी नामक रोग का नाम दिया गया है.

कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
ऐसे ठंड व शीतलहर में फसलों को पाला से ज्यादा नुकसान होने की संभावना है. खासकर आलू को ऐसे मौसम में 90 प्रतिशत नुकसान हो सकता है. किसान रात में भूसा या अन्य चीजों को जला कर खेत के आसपास वातावरण गर्म बना सकते हैं. इससे कुछ राहत मिलेगी. साथ ही किसान खेतों के किनारे टाटी भी लगा सकते हैं. पर उस टाटी को दिन में खोल देना पड़ेगा. इस तरह के मौसम से किसानों के फसल झुलसने का खतरा बना रहता है.
डॉ रमाकांत सिंह, कृषि वैज्ञानिक

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