शराबबंदी के बावजूद नहीं रुक रहा शराब का अवैध कारोबार
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बड़का जाता है बच, छाेटका जाता है जेल, उगाही का खेल
शराबबंदी के बावजूद नहीं रुक रहा शराब का अवैध कारोबार बिचौलियों की कट रही है चांदी कटिहार : शराबबंदी का असर कटिहार जिले में नहीं पड़ रहा है. शहर सहित पूरे जिले में शराब की बिक्री अवैध ढंग से हो रही है. अवैध शराब की उंचे दामों पर बिक्री हो रही है. इसे रोकने में […]
बिचौलियों की कट रही है चांदी
कटिहार : शराबबंदी का असर कटिहार जिले में नहीं पड़ रहा है. शहर सहित पूरे जिले में शराब की बिक्री अवैध ढंग से हो रही है. अवैध शराब की उंचे दामों पर बिक्री हो रही है. इसे रोकने में उत्पाद विभाग पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. हालात यह है कि कोई ऐसा दिन नहीं है, जिस दिन अवैध शराब कारोबारी व शराब पीने वाले लोग पकड़े नहीं जाते हों. सवाल उठता है कि आखिर इतनी सख्ती बरते जाने का दावा करने के बावजूद शराब आ कहां से रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में अब तक ढाई हजार से अधिक मामले सिर्फ अवैध शराब कारोबारियों के विरुद्ध दर्ज किये जा चुके हैं.
मामले में थाना से लेकर उत्पाद कार्यालय के अधिकारियों की ओर से छापेमारी व जांच के दौरान हजारों अभियुक्त जेल की हवा भी खा चुके हैं. इस अधिनियम के लागू होने के बाद बिचौलियों के लिए बड़ा चारागाह बना दिया है. बिचौलियागिरी के इस कारोबार में पुलिस प्रशासन से लेकर उत्पाद अधीक्षक के कार्यालय तथा अन्य बाबुओं की मिलीभगत स्पष्ट रूप से होती है. बिचौलियों की पहुंच उत्पाद कार्यालय के बाबू और पुलिस तक आसानी से होती है. बिचौलियागिरी के कार्य में प्रतिमाह लाखों की वूसली का खेल वर्तमान में चल रहा है. इससे सरकार के शराबबंदी अभियान को झटका लग रहा है, लेकिन इस दिशा में किसी का कोई ध्यान नहीं है.
कैसे होता है बिचौलियों का बाबुओं व आरोपियों से संपर्क: उत्पाद अधीक्षक कार्यालय के बाबुओं से जानकारी प्राप्त कर बिचौलिया शराबबंदी को लेकर छापेमारी करने जा रही टीम के पीछे लग जाते हैं. जहां छापेमारी होती है, वहां बिचौलिया पकड़े गये आरोपियों के साथ बातचीत करते हैं. ज्यादातर मामले में अच्छे खासे संपन्न दिखने वाले अारोपियों की पहचान कर उसे मौके से ही मामले को रफादफा कर छोड़ दिया जाता है. पीने वाले अभियुक्त अथवा कम मात्रा में शराब के साथ पकड़े गये आरोपियों के रहनुमा बन कर बिचौलिये सेटिंग करते हैं और सुविधा शुल्क लेकर उन्हें छोड़ दिया जाता है. शराब पीने के जुर्म में पकड़े गये एक व्यक्ति ने बताया कि मोटी रकम लेकर उत्पाद विभाग ने उन्हें छोड़ दिया. ऐसे मामले रोज हो रहे हैं.
बिचौलिये देते है घरवालों को पकड़े जाने की सूचना: आरोपियों के परिवार वाले का मोबाइल नंबर लेकर उनके घर फोन अथवा किसी अन्य माध्यम से सूचना देकर न्यायालय बुलवा लेते हैं. फिर जेल से बाहर निकलवाने के नाम पर मोलभाव किया जाता है. इस मामले का यह रोचक पहलू भी है कि बिचौलिया के चंगुल से अभियुक्त बाहर नहीं हो इस कारण वह किसी अधिवक्ता से वकालतनामा पर हस्ताक्षर करवाकर जेल गेट पर वकालतनामा भेज देते हैं. सामान्यतया दस से पंद्रह हजार तक की राशि बिचौलिये जेल से निकलवाने के नाम पर अभियुक्त के परिजनों से वसूल कर लेते हैं.
जेल और बेल के अवैध खेल पर प्रशासन चुप: प्रशासन के नाक तले होने वाले इस अवैध खेल में उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों की संलिप्तता किसी से छुपी नहीं है. कहा तो यह जा रहा है कि कल तक उत्पाद कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी किसी तरह वेतन से अपनी गुजारा करते थे. वे आज करोड़ों के मालिक बन गये हैं. उत्पाद कार्यालय के नवनियुक्त सिपाही भी लाखों में खेल रहे हैं. कई वर्षों से एक ही मुख्यालय में पदस्थापित रहने के कारण कुछ पदाधिकारी स्थानीय अपराधियों के इशारे पर काम कर रहे हैं. अपने स्थानांतरण को रुकवाने के लिए पटना में ऐसे पदाधिकारी जमे रहते हैं और अपने आकाओं से संपर्क में रहते हैं.
बिचौलियों के विरुद्ध अधिवक्ता संघ मुखर
इस मामले में अधिवक्ता संघ के कड़े रुख के बाद न्यायालय परिसर व आस-पास घूमने वाले बिचौलियों की शामत आ गयी है. जानकारी के अनुसार कुछ बिचौलिये जो न्यायालय परिसर में अधिवक्ता व मुंशी बताकर घूमते रहते थे. वह या तो कुछ दिनों से न्यायालय परिसर में नहीं आ रहे हैं या फिर अधिवक्ता संघ के नरम रुख अपनाने का इंतजार करते दिख रहे हैं. दरअसल विगत कुछ दिनों से उत्पाद अधिनियम के तहत पकड़े गये अभियुक्ततों के रहनुमा बन कर बिचौलिये न्यायलय परिसर एवं उत्पाद कार्यालय के आस-पास पहुंच जाते थे और फिर खेल शुरू होता था. शराब सेवन अथवा शराब से जुड़े मामले में पकड़े गये अभियुक्त के साथ उसे जेल से निकलवाने तक का ठेका लेकर राशि का दोहन किया जाता था. वैसे शराब से जुड़े ज्यादातर मामले में आदिवासी तथा निम्न आय वर्ग के लोग पकड़े जाते हैं. अन्य तो बाहर से मामले को रफादफा करवा लेते हैं.
कहते हैं अधिवक्ता संघ के सचिव
अधिवक्ता संघ के सचिव विजय कुमार झा का कहना है कि फर्जी अधिवक्ता लिपिक व बिचौलिये के विरुद्ध अधिवक्ता संघ ने कई बार न्यायालय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन को सूचना दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर अपने स्तर से ही अधिवक्ता संघ ने समान्य बैठक में निर्णय लेकर इनके विरुद्ध आवाज उठायी है. इसका सकारात्मक परिणाम भी नजर आ रहा है, लेकिन जब तक उत्पाद कार्यालय के अनियमितता करने वाले कर्मियों पर प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई नहीं करेंगे. तब तक इस व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है. शराब सेवन में पकड़े गये गरीब अभियुक्त बिचौलियों का शिकार होते रहेंगे.
कहते हैं डीएम
यह गंभीर मामला है. यदि कोई ऐसी गतिविधि में शामिल होगा, तो निश्चित रूप से जांच कर उसके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. शराब से जुड़े मामले में ज्यादातर पिछड़े व निचले तबके के लोगों का ही पकड़ा जाना चिंताजनक स्थिति है. मामले की जांच करा कार्रवाई करेंगे.
मिथिलेश मिश्र, डीएम, कटिहार
कहते हैं उत्पाद अधीक्षक
छापेमारी के क्रम में जो लोग पकड़े जाते हैं. उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है. कार्यालय में बिचौलिये की गतिविधि की जानकारी संज्ञान में है. मामले की जांच करायी जायेगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी.
अरुण कुमार मिश्रा, उत्पाद अधीक्षक
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