कटिहार : यूं तो सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर बाल श्रममुक्त समाज बनाने को लेकर पिछले कुछ दशकों से लगातार अभियान एवं कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. पर बालश्रम अब तक समाप्त नहीं हो सका है. सोमवार को विश्व बालश्रम विरोधी दिवस है. हर वर्ष 12 जून को वैश्विक स्तर पर बालश्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस पर सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है तथा बालश्रम समाप्त करने को लेकर संकल्प लिया जाता है. पर इसका सार्थक परिणाम अब तक नहीं निकल पाया है. इस दिवस का आयोजन एक रस्म अदायगी बनकर रह गया है.
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24000 बाल श्रमिकों का सिसक रहा बचपन
कटिहार : यूं तो सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर बाल श्रममुक्त समाज बनाने को लेकर पिछले कुछ दशकों से लगातार अभियान एवं कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. पर बालश्रम अब तक समाप्त नहीं हो सका है. सोमवार को विश्व बालश्रम विरोधी दिवस है. हर वर्ष 12 जून को वैश्विक स्तर पर बालश्रम विरोधी दिवस […]
बहरहाल विश्व बालश्रम विरोधी दिवस के अवसर पर कटिहार के संदर्भ में भी विमर्श करना जरूरी है. यद्यपि सरकार ने बालश्रम एवं बाल संरक्षण को लेकर कई स्तर पर व्यवस्था की है. उसके बावजूद कटिहार जिले में बालश्रम बदस्तूर जारी है. दो वर्ष पूर्व कराये गये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कटिहार जिले में करीब 24000 बाल श्रमिक हैं,
जो होटल, मोटर गैरेज, साइकिल दुकान, ईंट भट्ठा, खेतिहर मजदूर, घरेलू नौकर के रूप में कार्यरत हैं. यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना समिति कटिहार के द्वारा कराया गया है. सरकार के तमाम योजना एवं कार्यक्रम के बावजूद आज कहीं भी आपको बाल श्रमिक मिल जायेगा. खतरनाक कामों में लगाये गये. बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के लिये श्रम संसाधन विभाग के द्वारा धावा दल का भी गठन किया गया है. पर उसकी भी स्थिति ठीक नहीं है. पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों को देखें तो मात्र 73 बाल श्रमिकों को धावा दल के द्वारा मुक्त कराया गया है. वर्ष 2016-17 में तो मात्र 7 बाल श्रमिक को ही मुक्त किया जा सका. दरअसल सरकारी स्तर पर किये गये व्यवस्था में शामिल अधिकारी व कर्मी सिर्फ निपटाने वाली मनोवृति के तहत काम को अंजाम देने में विश्वास रखते है. यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बाल श्रमिक काम करते देखे जा सकते है.
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