अनदेखी. सड़क, नाली व सफाई के लिए तरस रहे गांववाले
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चार विधायक देने के बाद भी अखलासपुर बदहाल
अनदेखी. सड़क, नाली व सफाई के लिए तरस रहे गांववाले शहर का गंदा पानी आता है गांव में खेतों में नाले का पानी जमा होने से फसल को हो रहा नुकसान आबादी के हिसाब से सुविधाएं नदारद प्रशासन उदासीन भभुआ शहर : जिला मुख्यालय से सटा व जिले का सबसे बड़ा गांव का गौरव प्राप्त […]
शहर का गंदा पानी आता है गांव में
खेतों में नाले का पानी जमा होने से फसल को हो रहा नुकसान
आबादी के हिसाब से सुविधाएं नदारद प्रशासन उदासीन
भभुआ शहर : जिला मुख्यालय से सटा व जिले का सबसे बड़ा गांव का गौरव प्राप्त किये अखलासपुर में सुविधाओं का अभाव है. यह गांव जिला मुख्यालय से सटा है. इस गांव में 80 प्रतिशत पक्के मकान व ज्यादातर घरों में शौचालय बने हुए हैं, लेकिन गांव के सभी प्रवेश मार्ग पर खुले में शौच की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए न तो जिला प्रशासन ही रुचि ले रहा है और न ही जनप्रतिनिधि. यह गांव तीन तरफ से मुख्य मार्ग से घिरा है. गांव की तंग गलियां व बजबजाते नाले स्वच्छता की पोल खोल रहे हैं. जिला प्रशासन ने उक्त गांव को खुले में शौचमुक्त बनाने की रूपरेखा तैयार की है. इस दिशा में की गयी पहल के बाद अब तक मात्र 142 घरों में ही शौचालय बने हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यहां के लोगों में जागरूकता की कमी है. यहां शौचालय बनाने से पहले ग्रामीणों को यह बताना होगा कि खुले में शौच करने से क्या परेशानी हो सकती है. बड़ा गांव होने की वजह से इस गांव में प्रवेश के सात मुख्य सड़कें है. सभी में गंदगी का अंबार है.
नगर पर्षद भी जिम्मेवार
जिला मुख्यालय से सटा व बड़ा गांव होने का गौरव तो अखलासपुर गांव को है, लेकिन इस गांव में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. उक्त गांविमें तीन तरफ से नदी व नहरें बहती हैं. गांव की नाली का पानी गांव के बाहर ही इकट्ठा होता है. इसके चलते गांव की चारों तरफ गंदगी पसरी रहती है. शहर के नालों से निकलनेवाला नाले का पानी भभुआ मोहनिया पथ में जाकर उक्त गांव के लोगों की जमीन में जमा हो जाता है. इसके चलते उनकी फसल बरबाद हो जाती है. पटेल चौक के पास से भी निकला गंदा पानी नहर में गिर कर उक्त गांव के बधार में जाकर किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाता है.
गांव की कुल आबादी 12 हजार 514
शहर से सटे अखलासपुर गांव की कुल आबादी 12 हजार 514 है. ज्यादातर गांव में पक्के मकान भी है लेकिन स्वच्छता के नाम गांव में प्रवेश करने पर उक्त गांव की बानगी समझ में आ जाती है जबकि अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधी तक गांव के विकास के दावे करते है लेकिन विकास धरातल पर कही दिखता नही है. उक्त गांव में प्रवेश करने की दो सड़के जो की भभुआ मोहनिया सड़क से होकर जाती है जिसमें एक बबुरा से अखलासपुर की ओर जाती है और दुसरी अखलापुर मडई से गांव की ओर जाती है इस सड़कों की स्थिती यह है बबुरा से अखलासपुर जाने वाली सड़क काफी जर्जर है वही अखलासपुर मडई से गांव जाने वाली सड़क देश की आजादी के बाद सिर्फ एक बार उक्त सड़क पर बोल्डर बिछाये गये थे. अब समझा जा सकता है कि इतनी बड़ी आबादी के गांव में विकास की क्या स्थिती है.
भभुआ क्षेत्र को सबसे ज्यादा दे चुका है प्रतिनिधि
भभुआ क्षेत्र को अखलासपुर गांव से सबसे ज्यादा प्रतिनिधि मिले हैं. 1985 से अब तक उक्त गांव से चार बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व हो चुका है. 1985- 1990 व 1995- 2000 तक गांव के ही रामलाल सिंह ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 2000- 2005 व 2010- 2015 तक डाॅ प्रमोद कुमार सिंह क्षेत्र के विधायक रहे. बावजूद गांव का समुचित विकास नहीं हो सका. गांव में जाने की सड़कें टूटी व कच्ची हैं.
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