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परेशानी. कूड़ेदानों में फेंक दिया जाता है बायोमेडिकल कचरा 16 महीने बाद पटना के संगम एंडेवर्स को मिला साफ करने का जिम्मा भभुआ सदर : सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों पीएचसी में लगभग 16 महीने बाद इन केंद्रों से निकलने वाले खतरनाक जैव चिकित्सकीय कचरे का उठाव शुरू हो गया. पटना के […]

परेशानी. कूड़ेदानों में फेंक दिया जाता है बायोमेडिकल कचरा

16 महीने बाद पटना के संगम एंडेवर्स को मिला साफ करने का जिम्मा
भभुआ सदर : सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों पीएचसी में लगभग 16 महीने बाद इन केंद्रों से निकलने वाले खतरनाक जैव चिकित्सकीय कचरे का उठाव शुरू हो गया. पटना के संगम एंडेवर्स प्रालि द्वारा 18 महीने बाद पुन: जिले के सभी सरकारी अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट कचरे का उठाव शुरू किया गया है.
सदर अस्पताल से कचरे का उठाव शुरू होने से अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों, मरीजों के साथ-साथ आनेवाले लोगों को प्रदूषण से छुटकारा मिला. कचरे का उठाव बंद हो जाने से साफ-सफाई के कार्य में लगे संवदेक द्वारा खतरनाक कचरे को अस्पताल परिसर में ही जला कर नष्ट किया जाता था. इससे कचरे से उठते प्रदूषित धुएं कमरों में फैल जाती थी. इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती थी.
नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटर गंभीर नहीं
सरकारी अस्पतालों से निकलनेवाले बायो मेडिकल बेस्ट का उठाव तो शुरू हो गया लेकिन प्राय: ऐसा देखने में आता है कि शहर में स्थित निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटरों से बायो मेडिकल वेस्ट अधिक मात्रा में निकलता है, लेकिन इसके सुरक्षित निस्तारण के प्रति न तो संचालक गंभीर होते हैं और न ही स्टाफ. हॉस्पिटल वेस्ट को इन संस्थानों के स्टाफ शहर के कूड़ेदानों और खुले में फेंक देते हैं जबकि अस्पताल से निकलने वाले बेकार पदार्थों का सही प्रकार से निस्तारण करना आवश्यक होता है़ ऐसा नहीं होने पर संक्रामक रोग फैलने की संभावना रहती है़
नहीं हो रहा नियमों का पालन
भारत सरकार ने जैव चिकित्सकीय कचरे (बायोमेडिकल वेस्ट) पर बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और हैंडलिंग रुल्स 1998 में पारित किया है. यह नियम अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक, डिस्पेंसरी, पशु संस्थान, पैथोलॉजिकल लैब पर लागू होता है. जैव चिकित्सा अशिष्ट अधिनियम के तहत उन्हीं चिकित्सकीय संस्थानों का बायो कचरे के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है,
जिनके पास प्रतिमाह एक हजार मरीज इलाज के लिए आते हों. शहर में इन मानकों का पालन नहीं किया जा रहा बल्कि, शहरवासियों को बीमार करने के लिए उनके द्वारा खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए घातक कचरे को कूड़ेदानों में या खुले में फेंक दिया जा रहा है.

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