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शहर में और बढ़ी चहल पहल, तैयारी में तेजी
भभुअ सदर : नेम, निष्ठा, पवित्रता व लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. शनिवार को छठव्रती खरना अनुष्ठान करेंगी. रविवार को जिले के सभी छठ घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य व सात नवंबर सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जायेगा. नहाय-खाय के साथ हुई […]
भभुअ सदर : नेम, निष्ठा, पवित्रता व लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. शनिवार को छठव्रती खरना अनुष्ठान करेंगी. रविवार को जिले के सभी छठ घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य व सात नवंबर सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जायेगा.
नहाय-खाय के साथ हुई शुरुआत
शुक्रवार को छठ के पहले अनुष्ठान के अनुसार नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत हो गयी. छठव्रतियों के घरों में कद्दू-भात बनाया गया था. व्रतियों द्वारा सुबह में ही स्नान करके मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से नये अरवा चावल का भात, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनायी गयी थी. पहले स्वयं ग्रहण किया फिर परिजनों सहित परिचिताें को खिलाया गया. छठ को लेकर शुक्रवार को बाजार में कद्दू का भाव भी दोगुना हो गया. शहर के सभी चौक-चौराहों व सब्जीमंडी में आम दिनों 10 से 15 रुपये किलो बिकने वाले कद्दू की कीमत 25 से 30 रुपये किलो रही. जबकि चना दाल भी 130 से 140 रुपये बाजार में बिकी.
मनोकामनाएं होती हैं पूरी : कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाये जानेवाले छठ महापर्व की मान्यता है कि इससे पारिवारिक सुख, समृद्धि, आरोग्यता और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. विभिन्न कामनाओं को लेकर श्रद्धालु दंडवत कर के भी घाट तक पहुंचते हैं. नदी के जल में छठ व्रतियों के साथ हाथ व आंचल फैला कर मन की मुरादें पूरी करने हेतू सूर्य की आराधना की जाती है. जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे अगले साल पूरे धूमधाम के साथ छठ का डाला लेकर घाट पहुंचते हैं.
छठमय हुआ माहौल
महापर्व के अनुष्ठान की तैयारी से ही शहर छठमय हो गया है. भक्तिमय छठ गीतों के साथ जगह-जगह छठ पूजा से संबंधित पूजन सामग्री, फल, नारियल, सूप, डालिया, सजावट सामग्री आदि की दुकानें शुक्रवार से हीसजी हुई हैं. गांव से लेकर बाजारों में छठ मइया के ही गीत बजाये जा रहे हैं. इससे माहौल भक्तिमय हो गया है.
स्वच्छता का देता है संदेश
बिहार का लोक पर्व छठ अपने चार दिवसीय अनुष्ठान के दौरान स्वच्छता का संदेश भी देता है.छठ पर्व के आयोजन के दौरान घरों व अगल-बगल की साफ-सफाई के साथ स्वच्छता, शुद्धता व पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है. प्रसाद व पकवान तैयार करने में मिट्टी का चूल्हा व बांस निर्मित सूप व डालिया का ही उपयोग होता है. खरना पूजा में दूध व चावल के साथ नये गुड़ से तैयार प्रसाद केले के पत्ते पर रख कर पूजा अर्चना की जाती है. पकवान में भी शुद्ध देशी घी का ही उपयोग किया जाता है.
महंगे हुए सामान
महापर्व छठ को लेकर पिछले साल की तुलना में सूप के दामों में वृद्धि हुई है. नारियल के दाम इस साल जस के तस हैं.पिछले बार शहर में सूप जहां 50 से 60 रुपये में बिका था, इस बार 80 रुपये से 100 रुपये में बेचा जा रहा है. बांस का दउरा भी 150 से 200 रुपये के भाव में बेचे जा रहे हैं. इसके अलावा बाजार में सेव, नारंगी के साथ -साथ पानी फल और आंवला, अदरक, हल्दी के दाम भी आसमान छू रहे हैं. पानी वाले फल जिसका छठ पर्व में अपना एक विशेष महत्व है, उसके दाम भी आसमान चढ़े हुए हैं.
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