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बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं नयी बस्ती सेमरिया के लोग

एक अदद शौचालय भी नहीं, शौच के लिए खेतों में जाने की मजबूरी भभुआ (शहर) : केंद्र व राज्य सरकार गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. लेकिन, धरातल पर आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां मूल सुविधाओं से लोग वंचित हैं. महादलित बस्तियों का हाल, तो और बुरा है. इसका […]

एक अदद शौचालय भी नहीं, शौच के लिए खेतों में जाने की मजबूरी
भभुआ (शहर) : केंद्र व राज्य सरकार गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. लेकिन, धरातल पर आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां मूल सुविधाओं से लोग वंचित हैं. महादलित बस्तियों का हाल, तो और बुरा है. इसका उदाहरण देखना है, तो शहर के ठीक सटे अखलासपुर की नयी बस्ती सेमरियां में चले जायें. करीब 70 घरोंवाली इस बस्ती के लोगों को आज भी विकास की दरकार है.
इस बस्ती को 1993-94 में प्रशासन द्वारा बसाया गया था. पहले यहां के रहनेवाले लोग शहर के हवाई अड्डे के पास रहते थे. रोड के किनारे बसे होने के कारण वह दुर्घटना के भय से प्रशासन द्वारा उन्हे वहां से हटाकर सेमरियां नयी बस्ती में बसाया गया.
विकास की किरणें कोसों दूर
सेमरियां नयी बस्ती को बसाये करीब 20 साल से अधिक का समय हो चुका है. लेकिन, आज भी उन्हें न तो आने-जाने का रास्ता मिला और न ही किसी के घर में शौचालय की सुविधा मुहैया करायी गयी. पानी के लिए यहां पांच चापाकल लगाये गये हैं, लेकिन सिर्फ एक चापाकल चालू है. बाकी चार चापाकल बंद हैं. उन्हें पानी के लिए या तो आसपास बने हुए घरों का सहारा लेना पड़ता है.
स्कूल बच्चों की पहुंच में नहीं
बस्ती में विद्यालय के नाम पर दो पंचायत शिक्षकों का नियोजन किया गया था, लेकिन स्कूल के नहीं होने से वहां के शिक्षकों सहित विद्यालय को शहर नगरपालिका विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है, जो बस्ती से दो किलोमीटर की दूरी है और वहां सेमरिया नयी बस्ती का एक भी बच्चा नहीं जा पाता है.

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