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नियुक्ति अवैध होने के चलते 83 स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा समाप्त
कार्रवाई. स्वास्थ्य विभाग ने उठाया कदम, पर मिलेगा बकाया मानदेय जिले के 83 मानदेय कर्मियों को स्वास्थ्य विभाग ने सस्पेंड कर दिया. हाइकोर्ट के आदेश के बाद डीएम ने जांच कर फैसला लेते हुए इन मानदेय कर्मियों की नियुक्ति अवैध मानते हुए सेवामुक्त करने का आदेश दिया. भभुआ (सदर) : स्वास्थ्य विभाग ने विगत सात […]
कार्रवाई. स्वास्थ्य विभाग ने उठाया कदम, पर मिलेगा बकाया मानदेय
जिले के 83 मानदेय कर्मियों को स्वास्थ्य विभाग ने सस्पेंड कर दिया. हाइकोर्ट के आदेश के बाद डीएम ने जांच कर फैसला लेते हुए इन मानदेय कर्मियों की नियुक्ति अवैध मानते हुए सेवामुक्त करने का आदेश दिया.
भभुआ (सदर) : स्वास्थ्य विभाग ने विगत सात वर्षों से कार्यरत 83 मानदेय कर्मियों को मंगलवार को बरखास्त कर दिया. इन स्वास्थ्य कर्मियों को अवैध तरीके से नियुक्ति का हवाला देकर बरखास्त किया गया है. बरखास्त 83 स्वास्थ्य कर्मियों में 43 कर्मी सदर अस्पताल (भभुआ) में कार्यरत थे. वहीं शेष 40 स्वास्थ्य कर्मी जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत थे. इन्हें जिला दंडाधिकारी सह जिला पदाधिकारी के न्यायालय से जारी आदेश के आधार पर अभी तक के बकाये मानदेय के भुगतान के बाद सेवा से मुक्त करने का आदेश सिविल सर्जन ने जारी किया है.
गौरतलब है कि उक्त सभी 83 स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली छह से सात साल पहले चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के रूप में हुई थी. तब से लेकर अब तक उनकी वैध व अवैध नियुक्ति का मामला समय-समय पर उठता रहा. सदर अस्पताल में कार्यरत 43 मानदेय कर्मियों को दो साल से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया. अपने मानदेय के भुगतान के लिए कर्मियों ने उच्च न्यायालय में गुहार लगायी थी. उच्च न्यायालय ने उनके गुहार पर सुनवाई करते हुए डीएम को मामले की सुनवाई कर तीन महीने में निर्णय देने का आदेश जारी किया.
डीएम के कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई की और सभी 83 मानदेय कर्मियों की बहाली को अवैध पाते हुए, बाकी मानदेय का भुगतान कर सेवा से मुक्त करने का निर्णय सुनाया. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने उनके बकाये मानदेय का भुगतान करते हुए सेवामुक्त करने का आदेश मंगलवार को जारी कर दिया.
इधर सेवा से मुक्त स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि डीएम के कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ वे हाइकोर्ट में गुहार लगायेंगे. उन्होंने कहा कि न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है. जीत अवश्य हासिल होगी.
इधर 83 स्वास्थ्य कर्मियों के हटने से स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. खास कर सदर अस्पताल में दवा का काउंटर हो या ड्रेसिंग या फिर ब्लड बैंक सभी जगह कर्मियों के अभाव में व्यवस्था चरमरायी दिखी. हालांकि उनको हटाये जाने से पहले 10 कर्मियों की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में सिविल सर्जन द्वारा की गयी है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
भभुआ (सदर) : सदर अस्पताल में कार्यरत 42 मानदेय कर्मियों को हटाने रखने का सिलसिला काफी पुराना है. कभी अवैध बहाली पर उच्च न्यायालय के आदेश पर हटाया गया, तो कभी डीएम ने बकाये वेतन का भुगतान कर उन्हें हटाने का निर्णय दे डाला. गौरतलब है कि 2009 में रोगी कल्याण समिति से उस वक्त के सिविल सर्जन डॉ उचित लाल मंडल द्वारा अवैध रूप से बिना विज्ञापन के 83 मानदेय कर्मी, 108 ममता व 17 डाटा ऑपरेटर की बहाली की गयी थी.
इस मामले को उजागर होते ही तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ उचित लाल मंडल को साढ़े पांच करोड़ के घोटाला व अवैध बहाली को करने को लेकर उन्हें बरखास्त कर दिया गया था. इसी मामले पर हाइकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए बहाल किये गये सभी मानदेय कर्मी ममता व डाटा ऑपरेटर को 15 जून 2012 को रिट नंबर 8068 के आलोक में दिये गये आदेश पर हटा दिया था.
इस मामले को लेकर हटाये गये कर्मियों ने भी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो पुन एक अक्तूबर 2012 को ही सभी कर्मियों को कोर्ट के अगले आदेश तक एक ही पत्र से बहाल कर दिया गया. उसके बाद से यह मामला स्वास्थ्य विभाग और कर्मियों के बीच चल रहा था कि मानदेय कर्मी अपने बकाये राशि के भुगतान को लेकर उच्च न्यायालय में गुहार लगायी. इस पर उच्च न्यायालय ने डीएम को सुनवाई का आदेश दिया. डीएम ने सुनवाई कर उनकी नियुक्ति अवैध पाते हुए बकाये वेतन का भुगतान कर उन्हें बरखास्त करने का आदेश जारी किया.
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