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लिंक फेल होने के नाम पर चल रहा गोरखधंधा !
लिंक फेल होने के नाम पर समेकित चेकपोस्ट मोहनिया पर अवैध वसूली के गोरखधंधे का नया मामला सामने आया है. चेकपोस्ट पर अगर लिंक फेल रहता है तो चेकपोस्ट अधिकारी उनके ट्रक की जांच कर मैनुअली मुहर लगा कर जुर्माना लेकर रजिस्टर पर चढ़ा कर उन्हें उनके गंतव्य के लिए छोड़ देना रहता है और […]
लिंक फेल होने के नाम पर समेकित चेकपोस्ट मोहनिया पर अवैध वसूली के गोरखधंधे का नया मामला सामने आया है. चेकपोस्ट पर अगर लिंक फेल रहता है तो चेकपोस्ट अधिकारी उनके ट्रक की जांच कर मैनुअली मुहर लगा कर जुर्माना लेकर रजिस्टर पर चढ़ा कर उन्हें उनके गंतव्य के लिए छोड़ देना रहता है और जब लिंक आता है तो रजिस्टर से उस ट्रक का जुर्माना व पूरा विवरणी कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया जाता है. लेकिन, इस नियम का दुरुपयोग कर किया जा रहा है.
मोहनिया (सदर) : लिंक फेल होने के नाम पर समेकित चेकपोस्ट मोहनिया पर अवैध वसूली के गोरख धंधा का नया मामला सामने आया है. विभाग कोई नियम सुविधा के लिए बनाता है तो विभागीय अधिकारी व कर्मचारी उस नियम का नाजायज फायदा उठाने लगते हैं. चेकपोस्ट पर लग रहे जाम से निजात दिलाने के लिए वाणिज्यकर विभाग ने लिंक फेल होने पर ट्रकों को रोका न जाये इसके लिए एक नया नियम बनाया था.
इस नियम के मुताबिक जो ट्रक 24 घंटे के अंदर डोभी चेकपोस्ट से मोहनिया समेकित चेकपोस्ट पर पहुंच जाते या 24 घंटे के बाद भी पहुंचते हैं और चेकपोस्ट पर अगर लिंक फेल रहता है तो चेकपोस्ट अधिकारी उनके ट्रक की जांच कर मैनुअली मुहर लगा जुर्माना लेकर रजिस्टर पर चढ़ा कर उन्हें उनके गंतव्य के लिए छोड़ देना रहता है और जब लिंक आता है तो रजिस्टर से उस ट्रक का जुर्माना व पूरा विवरणी कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया जाता है. लेकिन, अब इस नये नियम का दुरुपयोग कर अवैध पैसा वसूलने का आरोप चेकपोस्ट से गुजरनेवाले ट्रक चालकों ने लगाया है.
लिंक फेल होने पर जो भी ट्रक आते हैं उन्हें
जांच कर रजिस्टर पर चढ़ा जुर्माना वसूल उनके कागजात पर मुहर लगा कर गंतव्य के लिए छोड़ तो दिया जाता है. लेकिन, उसे बाद में लिंक आने पर वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों व कर्मियों द्वारा कंप्यूटर पर अपलोड नहीं किया जाता है, जिसके कारण जब वह ट्रक वापस माल लेकर लौटता है तो उसे डिफाल्टर घोषित हुआ रहता है. और उसकी बहती नहीं बनती है.
ट्रक को डिफाल्टर मान कर दोनों तरफ से जुर्माना मांगा जाता है. इसके लिए ट्रक चालक मुहर लगे मैनुअल पेपर को दिखाते हैं.लेकिन, उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है दो-दो तीन-तीन दिन तक ट्रकें चेकपोस्ट पर खड़े रहते हैं और जब इससे तंग आकर ट्रक चालक कुछ अवैध रूप से पैसे देते हैं तो फिर उनकी बहती बनायी जाती है. जबकि, जो भी ट्रकों लिंक फेल होने पर मुहर लगा छोड़ा जाता है उसे लिंक आने पर कंप्यूटर पर अपलोड कर देना है. ऐसा नहीं किये जाने से जहां ट्रक वालों को एक दिन विलंब होने पर दस से 20 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ चेकपोस्ट पर एक नया गोरखधंधा फल-फूल रहा है.
बुधवार को इसी को लेकर कई ट्रक चालकों ने चेकपोस्ट की इस करतूत से परेशान होकर वहां जम कर बवाल काटा और चेकपोस्ट के अधिकारियों व कर्मचारियों पर अवैध वसूली का आरोप लगाया.
रसीद पर लिंक फेल लिख कर पास कराते हैं वाहन
राजस्थान से बंगाल जा रहे तीन दिन से चेक पोस्ट पर फंसे चालक सतनाम सिंह ने सेल टैक्स के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी रशीद पर लिंक फेल लिख कर. पिछली बार पास कर दिया गया और कहा गया कि अभी लिंक फेल है. गाड़ी नंबर रजिस्टर में चढ़ा दिया गया है.
लिंक आने पर कंप्यूटर पर लोड कर दिया जायेगा. मैं वहीं रशीद दिखा कर चला गया. लेकिन, जब दुबारा फिर माल लेकर लौटा तो हमारी गाड़ी को चिपली में रोक लिया गया और पिछले बकाया कि मांग की जाने लगी. जब मैंने कहा कि रशीद मेरे पास है लिंक फेल था रजिस्टर पर चढ़ाया गया था. इस पर वहां के कर्मियों ने कहा कि अगर लिंक फेल था तो बाद में लिंक आने पर कंप्यूटर पर क्यों नहीं अपलोड किया गया.
मुझे पूरी राशि का भुगतान फाइन सहित करो मैं तभी गाड़ी पास करूंगा. सेल टैक्स ने रुपये लेकर भी कंप्यूटर पर अपलोड नहीं किया. जिसका खामियाजा हम चालक भुगत रहे है. एक चालक जयपाल सिंह ने बताया कि डोभी में मेरी गाड़ी फंसी है. ये लोग रुपये तो ले लेते है लेकिन कंप्यूटर पर अपलोड नहीं करते है, जिसकी वजह से हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
मैं पिछले दो दिन से केवल मुहर लगवाने के लिए यहां पड़ा हूं. इन दो दिनों में गाड़ी खड़ी रहने से बीस हजार का नुकसान हुआ है. यदि इनके लोगों को मुंह मांगी रकम दिये होते तो इतना परेशान नहीं होना पड़ता. वहीं, कुछ चालकों ने बताया कि डिहरी में बन रहे. पुल के कारण लंबा जाम लगता है जिसकी वजह से यहा पहुंचने में देर हो जाती है. पहले समय सीमा 72 घंटा थी. जिसे अब घटा कर 24 घंटा कर दिया गया है. गाड़ी थोड़ा भी लेट हुई तो इनके आदमी रुपये की मांग करते है. जो चालक मुंह मांगी रकम देते है.
उन ट्रकों को छोड़ दिया जाता है और जो रुपये नहीं देता है उसे डिफाल्टर बता साइड मे लगवा दिया जाता है और उन पर फाइन लगा कई दिनो तक परेशान किया जाता है कुछ लोग यहां काबिज दलालों के माध्यम से फाइन की राशि कुछ कम करा अधिकारियों को दे कर मैनेज कर लेते हैं क्या करें ये वाणिज्य कर वाले भी बिना अवैध रुपये लिये चलने नहीं देते हैं.
चालक संजीव कुमार ने कहा कि ये जितना रुपये मांगते है चुपचाप दे तो अच्छा है कोई नियम नहीं है. चाहे जैसे आओ-जाओ यदि रुपये में कटौती की या कुछ पूछताछ की तो समझ लो यहा कितने दिन और किस वजह से काटना पड़ेगा पता नही चलेगा. बिना वजह किस लिए डिफाल्टर किया पता नही अभी स्टेट बैंक मे 15 हजार रुपये फाइन जमा कर आ रहा हूं.
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