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कलश स्थापना के साथ आज विराजेंगी मां

कलश स्थापना के साथ आज विराजेंगी मां चित्रा नक्षत्र में शुरू होगी नवरात्रप्रतिनिधि, भभुआ (सदर) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र में आरंभ होनेवाली इस साधना को शुभ माना गया है. इस बार शारदीय नवरात्र दस दिन का होगा, जबकि नवमी व […]

कलश स्थापना के साथ आज विराजेंगी मां चित्रा नक्षत्र में शुरू होगी नवरात्रप्रतिनिधि, भभुआ (सदर) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र में आरंभ होनेवाली इस साधना को शुभ माना गया है. इस बार शारदीय नवरात्र दस दिन का होगा, जबकि नवमी व दशमी एक ही दिन पड़ेंगे. 13 अक्तूबर को कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि का शुरू हो जायेगा. इस बार दशहरा व नवमी एक ही दिन होगा. कलश स्थापना भी अभिजीत काल में ही हो सकेगी. इसका समय मात्र 46 मिनट ही रहेगा. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11:49 बजे से लेकर 12:37 बजे तक रहेगा. कलश स्थापना की तैयारियां पूरी नवरात्र पर जिले में करीब 300 से अधिक सार्वजनिक स्थानों पर कलश व मूर्ति की स्थापना होती है. आयोजक और समितियां अपने-अपने स्तर पर तैयारी में जुट गये हैं. देवी मंदिर, मुुंडेश्वरी मंदिर, रामगढ़ में छेरावरी मंदिर, दुर्गावती स्थित कुलेश्वरी धाम व चैनपुर स्थित हरसुब्रह्म धाम में नवरात्र में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ को देखते हुए विशेष तैयारी की जा रही है. शहर में पूजा समितियों द्वारा पंडाल निर्माण व लाइट-डेकोरेशन की तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही हैं. सात दिन श्रेष्ठ योग इस बार नवरात्र में सात दिन का श्रेष्ठ योग बन रहा है. वहीं तिथियों का महासंयोग भी बनेगा. ज्योतिषाचार्य आचार्य सत्येंद्र द्विवेदी ने बताया कि शारदीय नवरात्र में इस बार 10 में से सात दिन राजयोग, रवि योग, सिद्धि योग व कुमार योग आदि का संयोग बन रहा है. ये सभी योग श्रेष्ठ कार्यों के लिए शुभ माने गये हैं. देवी अराधना के चौथे दिन 16 अक्तूबर को सुबह 9:45 बजे से दोपहर 12:01 बजे तक राजयोग रहेगा. इसी दिन सुबह 9:43 बजे से रवि योग शुरू हो जायेगा. रवि योग 17 अक्तूबर को 11:42 बजे तक रहेगा. 18 अक्तूबर को दोपहर 1:13 बजे से 19 अक्तूबर के सूर्योदय तक सिद्धि योग रहेगा. नवरात्रि में इस बार तिथियों का भी अजीब संयोग है. पहले दिन प्रतिपदा तिथि होगी, जो कि 14 अक्तूबर की सुबह 8:02 बजे तक रहेगी. इसके बाद की सभी तिथियां दोपहर तक ही हैं. नवमी व दशमी एक साथ इस बार नवमी व दशमी एक ही दिन होगा. आचार्य द्विवेदी के अनुसार 13 अक्तूबर से 22 अक्तूबर के मध्य तिथियों का गणनाक्रम कम व अधिक अवस्था में ज्ञात हो रहा है. तिथि के आधार पर दिन की गणना विशेष मानी जाती है.

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