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कैमूर : बड़े दलों को सीट बचाने की चिंता
कैमूर और बक्सर जिले में विधानसभा की चार-चार सीटें हैं. पिछले चुनाव में कैमूर में भाजपा, जदयू, राजद और लोजपा को एक-एक सीट मिली थी, जबकि राजद, भाजपा, बसपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर दूसरा स्थान मिला था. इस लिहाज से इस जिले के मतदाताओं ने सभी दलों को करीब-करीब बराबर अंक दिये. इसके […]
कैमूर और बक्सर जिले में विधानसभा की चार-चार सीटें हैं. पिछले चुनाव में कैमूर में भाजपा, जदयू, राजद और लोजपा को एक-एक सीट मिली थी, जबकि राजद, भाजपा, बसपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर दूसरा स्थान मिला था. इस लिहाज से इस जिले के मतदाताओं ने सभी दलों को करीब-करीब बराबर अंक दिये. इसके विपरीत, बक्सर की सभी चार सीटें राजग को मिलीं थीं.
दो सीट पर भाजपा और दो पर जदयू जीता था. यहां राजद ने कड़ी टक्कर दी थी. तीन सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रहा था, जबकि लोजपा एक सीट पर. इस बार गंठबंधन का दलगत समीकरण बदल चुका है. लिहाजा, चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा.
भभुआ
इस सीट पर पिछले चुनाव में लोजपा ने कब्जा किया था. प्रमोद सिंह तीन बार से यहां विधायक चुने जा चुके हैं. एक बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर रामचंद्र यादव भी विधायक रह चुके हैं.
इस सीट पर लंबे समय तक भाकपा का भी कब्जा रहा है. वर्तमान में भाकपा व बसपा की राजनीतिक पकड़ कमजोर हुई है. इसके बड़े नेता रामलाल सिंह के राजनीति से अलग होने के बाद भाकपा का पहले वाला मजबूत आधार नहीं रहा. पिछले चुनाव में लोपजा के प्रमोद कुमार सिंह ने भाजपा के आनंद भूषण को बहुत कम मतों के अंतर से हराया था. अब वह जदयू में हैं. इस बार दोनों पार्टियां एक ही गंठबंधन में हैं. लिहाजा इस सीट को लेकर दोनों दलों में खींचतान हो सकती है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि जदयू को तीसरा स्थान मिला था. इस बार महागंठबंधन में यह सीट किस घटक दल के खाते में जाती है, इस पर इसके नेता नजट टिकाये हुए हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा को 20 फीसदी से ज्यादा वोट का फायदा हुआ. कांग्रेस को भी विधानसभा चुनाव के मुकाबले 23.83 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे. बसपा की जमान तक नहीं बची थी.
अब तक
विधायक प्रमोद सिंह ने लोजपा छोड़ कर जदयू का दामन थाम लिया है. बाकी दलों के बड़े नेता अभी हवा का रुख भांप रहे हैं.
इन दिनों
भाजपा घर-घर जाकर केंद्र सरकार की उपलब्धियां बता रही है. जदयू घर-घर दस्तक देने का कार्यक्रम चला रहा है.
प्रमुख मुद्दे
सिंचाई की सुविधा
कृषि उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था
स्वास्थ्य सेवा में सुधार व विस्तार
तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था
रोजगार के अवसर.
मोहनिया (सु)
नये वोट समीकरण पर नजर
मोहनिया सीट पर पिछले चुनाव में जदयू को जीत मिली थी. इसके प्रत्याशी छेदी पास ने राजद के निरंजन राम को बहुत कम वोटों के अंतर से हराया था. पासवान लोकसभा चुनाव में भाजपा में शामिल हो गये थे और उसके टिकट पर सासाराम सीट से चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे. उनके सांसद बनने से रिक्त हुई मोहनिया विधानसभा सीट के लिए 2014 में उपचुनाव हुआ.
इसमें निरंजन राम राजद छोड़ भाजपा में आ गये. भाजपा ने इस सीट पर पहली बार उम्मीदवार दिया और राम को प्रत्याशी बनाया. राम विधायक चुने गये. उन्हें बसपा के नहीं लड़ने और जदयू उम्मीदवार के बाहरी होने का भी लाभ मिला. इस बार विस चुनाव के लिए बसपा ने अपना उम्मीदवार तस कर लिया है. उधर महागंठबंधन में इस सीट के राजद के खाते में जाने की उम्मीद है. ऐसे में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
राजद के टिकट पर सुरेश पासी यहां से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं. इस बार उनके उम्मीदवार होने की संभावना जतायी जा रही है. राजद की यहां मजबूत पकड़ रही है. लोकसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस गंठबंधन में यह सीट कांग्रेस को मिली थी और इस विधानसभा क्षेत्र में इसके उम्मीद को सबसे ज्यादा वोट मिले थे. भाजपा दूसरे व जदयू तीयरे स्थान पर रहा था.
अब तक
छेदी पासवान जदयू छोड़ भाजपा के टिकट पर संसद पहुंच गये. निरंजन राम राजद छोड़ भाजपा के टिकट पर ही विधायक निर्वाचित हुए हैं.
इन दिनों
जदयू का घर-घर दस्तक व पर्चा पर चर्चा कार्यक्रम चल रहा है. भाजपा जनसंपर्क चला रही है. वह बूथ स्तर तक अपना अभियान ले जा रही है.
प्रमुख मुद्दे
सिंचाई की सुविधाएं
कृषि उपज के लिए बाजार और किसानों को उसकी सही कीमत का व्यवस्था
रोजगार के साधन
पलायन रोकने की व्यवस्था
चैनपुर
छीनने व बचाने को होगी टक्कर
इस विधानसभा क्षेत्र में बसपा की अच्छी पकड़ रही है, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा के बृजकिशोर बिंद ने उसके प्रत्याशी डॉ अजय आलोक को मतों के भारी अंतर से हराया. तीसरा स्थान निर्दलीय जमा खां को और चौथा स्थान राजद को मिला था.
सिंह के इस बार भी भाजपा प्रत्याशी होने की संभावना है, जबकि बसपा इस बार जमा खां को चुनाव लड़ा सकती है. खां पिछले चुनाव के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये थे. वह फिलवक्त बसपा में हैं. उधर जदयू को उम्मीद है कि महागंठबंधन में यह सीट उसके खाते में जायेगी.
पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे डॉ अजय आलोक बसपा छोड़ जदयू में शामिल हो चुके हैं. उनके आने से पार्टी की दावेदारी और मजबूत हुई है. लिहाजा जदयू नेताओं की सक्रियता बढ़ गयी है. हालांकि, जदयू भी उन्हीं वोटों का भरोसा कर रहा है, जिनके गणित को भाजपा अपने हक में मानती रही है. वैसे, मुसलमान किधर जाते हैं, यह देखना रोचक होगा.
बसपा को उम्मीद है कि जमा खां अगर उसके प्रत्याशी होते हैं, तो उसे मुसलमान वोटों का बड़ा फायदा हो सकता है. जदयू से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां बड़ा फायदा मिला. उसके वोट में लगभग 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि जदयू को बड़ा नुकसान हुआ. जदयू तीसरे स्थान पर रहा, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही. महागंठबंधन के साथ-सथ भाजपा में भी टिकट पाने की दौड़ में शामिल नेताओं की सूची लंबी है.
अब तक
पिछले चुनाव में दूसरेनंबर पर रहनेवाले अजय आलोक बसपा छोड़ जदयू में हैं. उधर, मोहम्मद जमां ने कांग्रेस छोड़ बसपा का दामन थाम लिया है.
इन दिनों
भाजपा ने 70 प्रतिशत बूथ कमेटियों का गठन कर लिया गया है. जदयू कार्यकर्ता लोगों को नीतीश की उपलब्धियां बताने में जुटे हैं.
प्रमुख मुद्दे
खेती को पानी
उच्च शिक्षण संस्थानों की व्यवस्था
रोड नेटवर्क का विस्तार
कृषि उत्पादों की बिक्री की ठोस व्यवस्था
स्वास्थ्य सेवा में सुधार
रामगढ़
टिकट के दावेदारों की लंबी सूची
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र को समाजवादियों की धरती के रूप में जाना जाता है. इस सीट पर राजद का लगातार सात बार कब्जा हुआ. इसके नेता जगदानंद सिंह यहां से पांच बार विधायक चुने गये.
दो बार से राजद के अंबिका सिंह चुनाव जीत रहे हैं. इस सीट को भाजपा छीनने के लिए हर दावं खेल रही है. हालांकि यहां बसपा की भी मजबूत पकड़ है. बसपा अपने कैडर वोटरों के सहारे राजद को कड़ी चुनौती देती रही है. लोकसभा चुनाव में उसे इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोट मिले. भाजपा की लहर के बावजूद इसने उसे दूसरे पर रोका. चूंकि राजद का यहां सीटिंग विधायक है. लिहाजा इस दल में किसी और को टिकट मिलने की उम्मीद कम है.
उधर बसपा द्वारा प्रत्याशी का नाम लगभग तय कर दिया गया है. इससे उसके बाकी दावेदार भाजपा के टिकट की जुगत में हैं. हालांकि लगातार सात बार से इस सीट पर कब्जा बनाये रखनेवाले राजद से आगामी विधानसभा चुनाव में सीट छीनना भाजपा व बसपा के लिए बहुत आसान नहीं होगा. जदयू का साथ मिलने से उसकी ताकत में और इजाफा हुआ है. बहरहाल भाजपा में टिकट के दावेदारों की संख्या सबसे ज्यादा दिख रही है.
जदयू से अलग होने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में करीब 11 फीसदी की बढ़ेतरी हुई और यह दूसरे स्थान पर रही. राजद के वोट में करीब एक प्रतिशत वृद्धि तो हुई, लेकिन बसपा और भाजपा ने उसे तीसरे स्थान पर रोक दिया. जदयू चौथे स्थान पर रह कर जमानत बचाने में सफल हुआ था.
प्रमुख मुद्दे
सिंचाई की सुविधा
जजर्र सड़कें की मरम्मत
धान अधिप्राप्ति में हो रही गड़बड़ी
रोजगार के साधन
स्वास्थ्य सेवा में सुधार
विधि व्यवस्था
अब तक
जदयू के अशोक सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया. बुचुन सिंह बसपा छोड़ अब भाजपा में हैं. राजद में ज्यादा सिरफुटौव्वल नहीं है.
इन दिनों
भाजपा ने हाल ही में कार्यकर्ता सम्मेलन कराया है. वहीं राजद भी सक्रिय है. जदयू का भी जनसंपर्क अभियान चल रहा है.
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