गड़बड़ी. पानापुर पंचायत के वार्ड पांच पतेलवा में शौचालय निर्माण में लूट-खसोट!
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110 घरों में हुआ 209 शौचालयों का निर्माण
गड़बड़ी. पानापुर पंचायत के वार्ड पांच पतेलवा में शौचालय निर्माण में लूट-खसोट! शौचालय निर्माण बना अवैध कमाई का जरिया, मालामाल हो रहे अधिकारी! खुद से शौचालय बनवानेवालों को नहीं मिली राशि, एजेंसी से बनवाने वालों को भुगतान मोहनिया सदर : मोहनिया प्रखंड की पंचायतों को ओडीएफ कराने के नाम पर कुछ पदाधिकारी सरकार की इस […]
शौचालय निर्माण बना अवैध कमाई का जरिया, मालामाल हो रहे अधिकारी!
खुद से शौचालय बनवानेवालों को नहीं मिली राशि, एजेंसी से बनवाने वालों को भुगतान
मोहनिया सदर : मोहनिया प्रखंड की पंचायतों को ओडीएफ कराने के नाम पर कुछ पदाधिकारी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लूटने से तनिक भी परहेज नहीं कर रहे है. शौचालय निर्माण में व्याप्त भ्रष्टाचार ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी योजना का मतलब लूट की छूट. इसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि, कुछ ऐसा ही पानापुर पंचायत के वार्ड पांच में देखने को मिल रहा है, जहां स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर शौचालय निर्माण का लक्ष्य 209 दिखाया गया है.
लक्ष्य के अनुसार सभी शौचालयों को पूर्ण बताते हुए ओडीएफ घोषित करने के साथ 105 लाभुकों को शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी कर दिया गया है. जबकि, वर्ष 2016 की मतदाता सूची के अनुसार यहां कुल घरों की संख्या 110 है. अब सवाल यह उठता है कि 99 शौचालयों का निर्माण धरातल पर हुआ है या आसमान में, इसका खुलासा तो निष्पक्ष जांच होने के बाद ही चलेगा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस वार्ड में अभी भी बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण कराना है. साथ ही बहुत से अर्धनिर्मित है. फिर भी ऐसी स्थिति में 105 शौचालयों का भुगतान कैसे किया गया.
एजेंसी से शौचालय बनवानेवालों को मिली राशि
कागजों पर लाभुक और धरातल पर काबिज है एजेंसी. इसका ज्वलंत उदाहरण भी यह वार्ड है, जहां शौचालय का निर्माण करानेवाली एक एजेंसी से मिल कर प्रशासन ने उन लाभुकों के खातों में प्रोत्साहन राशि भेजी, जिसका निर्माण एजेंसी द्वारा कराया गया था. जबकि, खुद से शौचालयों का निर्माण करानेवाले बहुत से लाभुकों को चार माह बाद भी प्रोत्साहन राशि आवेदन जमा करने के बाद भी नहीं मिली. यदि खुद से शौचालय का निर्माण करानेवाले कुछ लाभुकों को प्रोत्साहन राशि मिली भी तो लक्ष्मी चढ़ावा के बाद.
सरकार की इस योजना को भ्रष्टाचार की सूली पर चढ़ाने के लिए एजेंसी और कुछ पदाधिकारियों का चोली दामन का साथ है. एक तरफ इस योजना को कामधेनु समझ कर दुहनेवाले कहते है कि एजेंसी का इसमें कोई रोल नहीं है. राशि लाभुक के खाते में भेजी जाती है. फिर एजेंसी का नाम बीच में कहां से आता है और फिर कैसे एजेंसी से शौचालय बनवानेवालों के खातों में रुपये भेज दिये जाते है.
घरों से अधिक बनें शौचालय
पानापुर पंचायत के वार्ड पांच यानी पतेलवा में वर्ष 2016 की मतदाता सूची के अनुसार कुल घरों की संख्या 110 है. लेकिन, इस गांव में भारत स्वच्छता मिशन की वेबसाइट से प्राप्त नवंबर माह के दैनिक जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि इस वार्ड में शौचालय निर्माण का लक्ष्य 209 है. पूर्ण भी 209 है. भुगतान भी 105 को किया गया. अब सवाल यह भी उठता है कि यदि लक्ष्य पूरा हो गया, तो अभी तक 99 लाभुकों को शौचालय की राशि क्यों नहीं दी गयी.
जब घरों की संख्या 110 है तो 209 शौचालय कहां और कैसे बनें. एजेंसी द्वारा बनवाये गये कई शौचालय क्षतिग्रस्त भी हो चुके हैं. जबकि, इस वार्ड में अभी भी बहुत लोगों के शौचालय नहीं बने है. फिर भी ओडीएफ कर दिया गया है. इस पंचायत को चालू वर्ष के फरवरी माह में ओडीएफ घोषित किया गया था.
बोले एसडीएम
इस संबंध मेंएसडीएम शिव कुमार राउत ने कहा कि वहां की मतदाता सूची से घरों की संख्या का आकलन किया जायेगा. जब घर 110 है तो शौचालय 209 कैसे बने. यह गंभीर मामला है. इसकी जांच कर दोषी पर कार्रवाई के लिए डीएम साहेब को लिखा जायेगा.
ग्रामीण भरत सिंह ने कहा कि हमने खुद से शौचालय बनाया है. चार माह हो गये फाॅर्म जमा किये. लेकिन, शौचालय के रुपये इस लिए नहीं मिले, क्योंकि हमने रिश्वत मांगने के बावजूद भी घूस नहीं दिया.
कंचन देवी कहती है कि हमने खुद से शौचालय का निर्माण करवाया है. फाॅर्म जमा किये तीन माह हो गये. फिर भी अब तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली. जबकि, हमने ब्याज पर रुपये लेकर शौचालय बनवाया है.
पतेलवां के ग्रामीण राजेंद्र बैठा कहते हैं कि हमने खुद से अपना शौचालय बनवाया है, जिसकी राशि पाने के लिए वार्ड सदस्य ने हमसे 1500 रुपये रिश्वत लिया और कहा कि बीडीओ साहेब को भी देना है. रुपये देने के बाद ही हमारे खाते में प्रोत्साहन राशि भेजी गयी.
ग्रामीण अनिल सिंह कहते हैं कि एजेंसी ने जिसका शौचालय बनवाया या फिर खुद बनवानेवाले जिन लोगों ने घूस दिया. उनको शौचालय के रुपये मिल गये. लेकिन, हम जैसे कई लोग है, जिन्होंने खुद से शौचालय बनवाया और घूस नहीं दिया तो आज तक शौचालय के रुपये नहीं मिला.
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