मखदुमपुर के मालीबिगहा ही है आशीष का पुश्तैनी गांव
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गैंगवार में गिरी थीं मालीबिगहा में 14 लाशें
मखदुमपुर के मालीबिगहा ही है आशीष का पुश्तैनी गांव परती रहता है चार बीघे जमीन, मकान का नामो निशान नहीं जहानाबाद : खेत से मक्का तोड़ने को लेकर हुए मामूली विवाद में मारे गये नक्सली आशीष के पिता राजनाथ यादव की हत्या उनके पुश्तैनी गांव मकरपुर के मालीबिगहा में कर दी गयी थी. जब राजनाथ […]
परती रहता है चार बीघे जमीन, मकान का नामो निशान नहीं
जहानाबाद : खेत से मक्का तोड़ने को लेकर हुए मामूली विवाद में मारे गये नक्सली आशीष के पिता राजनाथ यादव की हत्या उनके पुश्तैनी गांव मकरपुर के मालीबिगहा में कर दी गयी थी. जब राजनाथ की हत्या हुई थी उस वक्त गांव में राजा यादव का एकछत्र राज था. उसकी मर्जी के खिलाफत करने वालों की खैर नहीं थी. राजनाथ यादव ने गांव में राजा के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक राजा को चुनौती दी. जिसका खामियाजा राजनाथ को जान देकर गंवानी पड़ी थी. लोग कहते हैं कि राजा ने राजनाथ को बेरहमी से मारा था. उसकी हत्या कर लाश के टुकड़े-टुकड़े कर डाले थे. जिसके बाद राजनाथ के दोनों बेटों रामाशीष और आशीष ने प्रतिशोध में नक्सली संगठन का दामन थामा. मौका मिलते ही एक दिन गांव में इन भाइयों ने पार्टी के साथ मिल कर नौ लाशें गिरा दी थी.
गैंगवार की इस लड़ाई में राजा यादव समेत उसके पांच परिजन और गांव के चार लोगों ने जान गंवायी थी. राजा की हत्या के बाद राजनाथ का पुरा परिवार गांव छोड़कर दूसरे जगह जा बसा. कुछ महीनों तक आशीष का परिवार मखदुमपुर के पीपरा गांव में रहा. उसके बाद ये लोग कहां जाकर बसे गांव वालों को भी मालूम नहीं था. अखबारों में जब खबर छपी की राजनाथ का बेटा आशीष पुलिस मुठभेड़ में झारखंड के गुमला में मारा गया तो लोग अवाक रह गये. क्योंकि गांव वाले भी इसके पता ठिकाना से वाकिफ नहीं थे. मौत के बाद ही पता चला कि आशीष का परिवार भगवानगंज थाने के नगौली गांव में जा बसा था. एक भाई गांव में तो दूसरा भाई गुमला में रहा करता था. यदा कदा गांव आकर खेतीबारी में भाई का हाथ बंटाता था.
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