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रग्बी मैच के दौरान चोट लगने से खिलाड़ी की मौत
पटना/जहानाबाद : रविवार का दिन खेल जगत के लिए फिर दुखद रहा. बिना सुरक्षा गार्ड के खेल रहे जहानाबाद के रग्बी खिलाड़ी विश्वनाथ शरण की सिर में चोट लगने से मौत हो गयी है. इस घटना ने एक बार फिर से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज की यादें ताजा कर दी हैं. नवंबर, 2014 में विश्व […]
पटना/जहानाबाद : रविवार का दिन खेल जगत के लिए फिर दुखद रहा. बिना सुरक्षा गार्ड के खेल रहे जहानाबाद के रग्बी खिलाड़ी विश्वनाथ शरण की सिर में चोट लगने से मौत हो गयी है. इस घटना ने एक बार फिर से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज की यादें ताजा कर दी हैं.
नवंबर, 2014 में विश्व ने एक होनहार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज को खो दिया था. सिर में क्रिकेट बॉल से चोट लगी और मौत हो गयी. इस घटना ने पूरे खेल जगत को रुला दिया था. इससे सबक भी लिया गया और हेल्मेट की डिजाइन बदली गयी. रविवार को जहानाबाद में जो घटना घटी है, इससे लगता नहीं है कि रग्बी संघ ने कोई सबक लिया था. जहानाबाद जिले के घोसी में राज्यस्तरीय रग्बी मैच के दौरान खिलाड़ी हेल्मेट पहना होता, तो बच जाता.
टक्कर के बाद हुए बेहोश
विश्वनाथ शरण जहानाबाद तथा आरा के बीच खेले जा रहे क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जहानाबाद टीम के सदस्य थे. प्वाइंट लेने के लिए वह बॉल लेकर दौड़ रहे थे उसी दौरान आरा टीम के सात नंबर के खिलाड़ी से टक्कर हो गयी. वे गिर कर बेहोश हो गये थे. साथी खिलाड़ियों तथा परिजनों द्वारा इलाज के लिए पटना के पारस हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी. मृतक खिलाड़ी घोसी के निवासी मैथलीशरण का पुत्र था.
बड़ा भाई जिले का सचिव, मृतक के भाई भी खिलाड़ी
मृतक खिलाड़ी का बड़ा भाई वैद्यनाथ शरण जिला रग्बी फुटबॉल संघ के सचिव हैं और वे ही टूर्नामेंट आयोजित कर रहे थे.मृतक का छोटा भाई जगन्नाथ शरण भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं. भाई की मौत की खबर सुनने के बाद दोनों भाई की तबीयत भी खराब हो गयी है और उनका इलाज पटना के अस्तपाल में चल रहा है.
इलाके में पसरा मातम, आगे के सारे मैच हुए रद्द
इस घटना के बाद राज्य के रग्बी खिलाड़ी जहां दुखी हैं, वहीं इलाके में मातम पसरा है. देर शाम जब खिलाड़ी का शव घोसी स्थित आवास पहुंचा, तो लोगों का सैलाब उमड़ पड़. सभी की आंखों में आंसू थे. सभी खिलाड़ी रोते-बिलखते अपने साथी को श्रद्धांजलि देते घर की ओर रवाना हो रहे थे. इस घटना के बाद टूर्नामेंट के फाइनल मैच स्थगित कर दिये गये हैं. लड़कियों की ओर से जमुई और शेखपुरा तथा लड़कों की ओर से आरा और मुंगेर की टीमें फाइनल में पहुंची थीं.
लापरवाही : संघ को मान्यता की चिंता, अच्छे ग्राउंड और खिलाड़ी की सुरक्षा के बारे में नहीं सोचते हैं
राज्य में खेल संघों के अधिकारियों को सिर्फ मान्यता की चिंता रहती है, लेकिन मैदान सही है या नहीं और खिलाड़ी बिहार के मैदान पर खेलने योग्य है या नहीं, इसकी चिंता किसी को नहीं रहती. रविवार को घटना के बाद शायद यहीं लगता है. गरमी के मौसम में एक तो मैदान पूरी तरह से सूख गये हैं और ग्राउंड पर घास कम है.घोसी में जिस ग्राउंड पर मैच खेला जा रहा था, वह पूरी तरह से टाइट था और घास कम थी. ऐसे मैदान पर खिलाड़ियों को सुरक्षा गार्ड के बगैर मैच खेलने की इजाजत संघ की ओर से दी गयी.
अमेरिकन रग्बी की तरह हेल्मेट पहनने की मैच में मिले इजाजत
खिलाड़ी की मौत से आहत साथी खिलाड़ियों ने संघ से अमेरिकन रग्बी की तरह सेवन-ए-साइड में भी हेल्मेट पहनने की इजाजत देने की मांग की. मैच के बाद रग्बी खिलाड़ियों ने कहा कि इस घटना से मन में डर बैठ गया है. अगर विश्वनाथ शरण मैच के दौरान हेल्मेट पहना होता, तो शायद उसकी जिंदगी बच जाती. उन्होंने संघ से अमेरिकन रग्बी की तरह इसमें भी सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने का अनुरोध किया.
टच नहीं, टक्कर का खेल, फुटबॉल से ज्यादा चाहिए सुरक्षा
रग्बी को बहुत से लोग फुटबॉल जैसा ही खेल समझते हैं, पर रग्बी और फुटबॉल में बहुत अंतर है. खास कर खिलाड़ियों के किट में, जो खेल के दौरान उन्हें सुरक्षित रखे. रग्बी को टक्कर का खेल माना जाता है. खिलाड़ी गेंद को अपनी जद में लेने के लिए एक-दूसरे के कॉन्टैक के आते हैं. अंतरराष्ट्रीय रग्बी बोर्ड ने इस खेल के लिए कड़े सुरक्षा नियम बनाये हैं, पर खेल के दौरान प्रतिद्वंद्विता की होड़ में खिलाड़ी इसे ताक पर रख देते हैं. इसमें एक-दूसरे को धक्का देने की सख्त मनाही है.
घुटने के बचाव के लिए ‘नी गार्ड’, सिर को चोट से बचाने के लिए हेड बैंड और खास तरीके के ग्रिपवाले जूते का इस्तेमाल किया जाता है. मुंह और दांत में चोट न लगे इसके लिए खास माउथ गार्ड भी प्रयोग में लाया जाता है.
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