जहानाबाद : नदी में लाखों रुपये बहानेवाले व्यवसायी राधेश्याम उर्फ रंजय गुप्ता को धन बरबाद होने का कोई गम नहीं है. लेकिन, पूरा परिवार गम में डूबा है. पत्नी पूनम गुप्ता अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ काफी मायूस हैं. मां सुशीला देवी, सास यशोमती देवी और बड़ा भाई संजय गुप्ता बड़ी धनराशि के बरबाद होने से बेहद परेशान हैं.
इस अजीबोगरीब घटना के लिए कोस रहे हैं रंजीत यादव नामक उस कमेटी संचालक को जिसके कारण व्यवसायी की दिमागी हालत बिगड़ गयी. घरवालों को पुलिस से उम्मीद है कि नदी में बहाये गये रुपयों को लूटनेवालों की शिनाख्त कर रुपये वापस दिलाने में सफलता हासिल करेगी. उधर, पैसे बरबाद करनेवाले किराना व्यापारी रंजय गुप्ता को इसका कोई मलाल नहीं है. उन्होंने सिर्फ एक ही रट लगा रखी है, अमीरों ने लूटा तो शेष रुपये गरीबों में बांटा. उनकी पत्नी, मां सुशीला देवी, सास यशोमती देवी और भाई संजय गुप्ता कहते हैं कि रंजय सिर्फ यही रट लगा रहे हैं. सोमवार को अपराह्न ढाई बजे के बाद से वे घर से बाहर निकल गये हैं जब उनसे मोबाइल फोन पर बात की गयी तो उन्होंने अपने को वाणावर के सतघरवा के पास बताया. कहा कि उन्होंने तीन लाख दस हजार रुपये बांटे हैं. भाई संजय गुप्ता बताते हैं कि वर्ष 2004 में उनकी शादी पालीगंज निवासी पूनम गुप्ता के साथ हुई थी. वे लोग संयुक्त परिवार हैं.
संजय फर्नीचर का व्यवसाय करते हैं. रंजय गुप्ता 10 साल से किराना का व्यवसाय कर रहे हैं. 17 मार्च को उनकी दिमागी हालत कुछ ज्यादा बिगड़ गयी. कारण बताया कमेटी के खेल में करीब पांच लाख रुपये का बरबाद होना. रंजीत यादव नामक व्यक्ति कमेटी का संचालन करता था. कई लोग कमेटी में सदस्य थे, जो प्रतिमाह रुपये जमा करते थे. हरेक माह रुपये उठाव की बोली लगती थी. सातवां उठाव तीन लाख का था. उसी वक्त संचालक ने सरेंडर कर दिया. रंजय जब उससे अपने जमा रुपये मांगा, तो वह मुकर गया. रुपये मांगने पर उनके भाई के साथ मारपीट भी की गयी थी. इसके बाद से उनकी दिमागी हालत बिगड़ी.