जहानाबाद : नवरात्र के तीसरे दिन शहर एवं ग्रामीण इलाके के देवी मंदिरों व पूजा पंडालो में मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई. पूजा को लेकर गुरुवार को देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही. वैदिक मंत्रोच्चार से जहां पूरा मंदिर प्रांगण गूंजता रहा वहीं घरों में भी लोगों ने […]
जहानाबाद : नवरात्र के तीसरे दिन शहर एवं ग्रामीण इलाके के देवी मंदिरों व पूजा पंडालो में मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई. पूजा को लेकर गुरुवार को देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही. वैदिक मंत्रोच्चार से जहां पूरा मंदिर प्रांगण गूंजता रहा वहीं घरों में भी लोगों ने दुर्गा पाठ किया. मंदिरों में महिलाओं की भीड़ ज्यादा देखी गयी .
शहर के दरधा -जमुना संगम स्थित देवी मंदिर , लाल मंदिर, कालीमंदिर ,मलहचक, उंटा प्राचीन देवी मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों एवं पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं ने मां चंद्रघंटा की पूजा की. लाल मंदिर के पुजारी राजकुमार पांडेय ने बताया कि मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इनकी पूजा से भक्तों का कष्ट निवारण होता है.
चरुई काली मंदिर में बरसती है मां की कृपा
मोदनगंज . मोदनगंज प्रखंड के चरुई गांव स्थित ऐतिहासिक काली मंदिर आस्था का केंद्र बना है. स्थानीय लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से मां के दरबार में हाजिरी लगाता है वह खाली हाथ नहीं लौटता . इस मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 20 वर्ष पूर्व स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से करवाया गया है.
इस मंदिर परिसर में बने कुएं में सदा पानी रहता है. पीपल का वृक्ष भी काफी पुराना है. इसी गांव के निवासी व मोदनगंज प्रखंड प्रमुख राजीव कुमार ने बताया कि वर्षो पूर्व खेत जोतने के क्रम में मां देवी की कई पिंडियां मिली थी. इन पिंडियों को धार्मिक अनुष्ठान के साथ गांव के बाहर पीपल वृक्ष के नीचे स्थापित किया गया. तब से इस इलाके का विकास शुरू हो गया. उनका कहना है कि इस मंदिर में पूजा करने के लिए पटना समेत कई जिले से लोग आते हैं. खास कर नवरात्र के दिनों में तो यहां मेला लगा रहता है. बाहर रहने वाले लोग भी पूजा करने के लिए यहां आते हैं.